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संकेतक की गणना और विश्लेषण

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एमए pocket option

GLobal Hunger Index: क्या सचमुच भारत की स्थिति खराब या फिर गणना प्रणाली भ्रामक

ग्लोबल हंगर इंडेक्स के नवीनतम जारी आंकड़े में भारत 127 देशों की सूची में 107 वें स्थान पर आ गया है। साल 2021 में भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर था। GHI हंगर इंडेक्स में भारत को 29.1 स्कोर के साथ गंभीर स्तर के श्रेणी में रखा गया है। हालांकि यह साल 2000 के 38.8 अंक के खतरनाक स्तर में सुधार को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बाल पोषण का प्रदर्शन काफी चिंताजनक है।

लेकिन भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि हंगर इंडेक्स गलत है और इसमें भारत की छवि को खराब करने का प्रयास किया गया है।

GHI क्या है, इसे कैसे मापा जाता है और केन्द्र सरकार ने इसकी वार्षिक रिपोर्ट का विरोध क्यों किया है ?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स

GHI वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को मापता और ट्रैक करता है। यह सूचकांक तीन क्षेत्रों के चार बिंदुओं को मैप करता है। इसमें बाल मृत्यु दर के तहत पांच वर्ष से कम आयु का मृत्यु दर, खाद्य आपूर्ति के कारण कुपोषण, चाइल्ड स्टंटिंग (बच्चों में नाटापन की दर) और चाइल्ड वेस्टिंग (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) शामिल है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब संकेतक की गणना और विश्लेषण से चाइल्ड स्टंटिंग में गिना जाता है।

दृष्टि आईएएस ब्लॉग

सूचकांक किसी देश या समाज की प्रगति का मूल्यांकन करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम होते हैं। ये सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विकास के गणित को निर्धारित मानकों के आधार पर अंको में प्रदर्शित करते हैं। सूचकांक प्रगति को मापने के लिए तुलनात्मक अवसर भी प्रदान करते हैं। हालांकि इनपर एकपक्षीय या एकआयामी होने का आरोप भी लगता रहा है। हाल ही में जारी मानव विकास सूचकांक इस बार चर्चा में है। मानव विकास सूचकांक संयुक्त संकेतक की गणना और विश्लेषण राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी किया जाता है। यह सूचकांक 1990 से जारी किया जा रहा है। इस वर्ष यह सूचकांक इसलिए चर्चित है क्योंकि इस सूचकांक में पिछले 32 वर्षों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गयी है। चिंता का एक बिंदु यह भी है कि वैश्वीकरण के इस दौर में यह गिरावट सतत विकास लक्ष्यों के भी प्रतिकूल है। इस वर्ष 2021 के लिए 191 देशों का मानव विकास सूचकांक जारी किया गया है। मानव विकास सूचकांक के 3 मानक हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य और आय तथा मानव विकास। सूचकांक की गणना 4 संकेतकों- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय द्वारा की जाती है। इसकी गणना 0 और 1 के बीच की जाती है। संकेतक में जो देश अंक एक के जितना पास रहता है वह मानव विकास में उतने उच्च स्तर पर होता है। शिक्षा जहाँ ज्ञान से जुड़ी हुई है वहीं स्वास्थ्य लंबे और स्वस्थ जीवन तथा आय सभ्य जीवन स्तर से जुड़ी हुई है।

भारत की स्थिति-

मानव विकास सूचकांक में भारत की स्थिति चिंताजनक है। विकास के तमाम दावों के बावजूद सूचकांक में भारत अपने संकेतक की गणना और विश्लेषण पड़ोसी देशों से भी बहुत पीछे है। यूएनडीपी द्वारा 2022 में प्रकाशित मानव विकास सूचकांक, 2021 में भारत का स्थान 132वां है। भारत का एचडीआई मूल्य 0.633 रखा गया है जो कि 2020-21 के सूचकांक 131 एवं एचडीआई मूल्य 0.645 से कम है। पिछले वर्ष के सूचकांक के मुकाबले इस वर्ष भारत के मानव विकास में गिरावट आई है। भारत को प्राप्त मानव विकास सूचकांक मूल्य को मध्यम मानव विकास की श्रेणी में रखा जाता है।

हाल ही में जारी सूचकांक में भारत के नीचे फिसलने का मुख्य कारण जीवन प्रत्याशा में आई कमी है। 69.07 के मुकाबले अब जीवन प्रत्याशा 67.2 वर्ष हो गयी है। हालांकि जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट भी दर्ज की गई है, जो 2019 में 72.8 वर्ष से घटकर 2021 में 71.4 वर्ष हो गया है। यदि हम भारत में मानव विकास सूचकांक में निचले पायदान पर होने के कारणों की जांच करें तो इसके मुख्य कारण भारत के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के गिरावट में मिलता है। स्वास्थ्य में प्रमुख कारण जीवन प्रत्याशा में आई कमी, शिक्षा में नामांकन दर और शिक्षा की आवश्यक अवधि में कमी तथा जीवन स्तर के स्तर पर गुणात्मक जीवन स्तर का ना होना है। भारत में स्कूली शिक्षा का अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष और स्कूली शिक्षा का औसत वर्ष 6.7 साल है। नीति आयोग के स्कूली शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (School Education Quality Index) रैंकिंग के अनुसार, देश भर में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में भारी अंतर पाया गया है। यह अंतर एक राष्ट्र के लिए शैक्षिक क्षेत्र की सामूहिक कमजोरी का सूचक है।

सुधार के उपाय

हाल ही में जारी सूचकांक में यूएनडीपी ने कहा मानव विकास में गिरावट सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी हुई है। शीर्ष के 10 देशों में से 9 देशों में गिरावट दर्ज की गई है। यदि हम वैश्विक स्तर पर कारणों को देखें तो दुनिया कई संकटों का सामना कर रही है जिसमें प्रमुख है वैश्विक महामारी कोविड-19। इसके अतिरिक्त ऊर्जा संकट , युद्ध और तनाव तथा पलायन की स्थितियां भी मानव विकास में आई गिरावट के प्रमुख कारण हैं।

यूएनडीपी ने भारत के संदर्भ में कुछ सकारात्मक बातें भी कही है। यूएनडीपी ने बताया कि भारत समावेशी विकास की ओर बढ़ रहा है। स्वच्छ पानी, स्वच्छता, सस्ती स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच में सुधार हुआ है। इसके अतिरिक्त कमजोर वर्गों तक सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच को बढ़ावा मिला है। यदि हम आंकड़ों के लिहाज से देखें तो 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में 9.8% की वृद्धि दर्ज की गई है। सूचकांक में सुधार हेतु भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी आधारभूत जरूरतों की उपलब्धता और उनकी पहुँच के लिए पर्याप्त बजटीय प्रावधान तथा कार्य करना होगा। चूँकि यूएनडीपी मानव विकास सूचकांक के निर्धारण के लिए वैश्विक स्तर के आंकड़ों को आधार बनाता है इसलिए भारत को बहुआयामी सुधार और मानक के अनुरूप संसाधनों के वितरण की आवश्यकता है।

अग्रणी और पिछड़ने वाले संकेतक Pocket Option

Pocket Option इसके उपयोगकर्ताओं के लिए विभिन्न प्रकार के संकेतकों की एक विस्तृत विविधता उपलब्ध है। ट्रेडिंग में तकनीकी विश्लेषण के लिए इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है ताकि प्रवृत्ति दिशाओं की पहचान की जा सके, उलटफेर किया जा सके, सर्वोत्तम प्रवेश और निकास बिंदुओं को देखा जा सके। दो बी हैंig आम तौर पर प्रतिष्ठित संकेतकों के समूह, अग्रणी और पिछड़ रहे हैं। वे किस प्रकार भिन्न हैं और आपके व्यापार में किसका उपयोग कब करना है? आइए नीचे दिए गए लेख में इन सवालों के जवाब देने का प्रयास करें।

Lagging इंडिकेटर

लैगिंग संकेतकों की गणना ऐतिहासिक मूल्य डेटा के आधार पर की जाती है; उन्हें 'लैगिंग' कहा जाता है क्योंकि उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी में थोड़ी देरी होती है। उनका उपयोग अक्सर एक निश्चित पैटर्न की पुष्टि और स्पष्ट करने के लिए किया जाता है जो कि संभावित भविष्य की कीमत के आंदोलन को इंगित करने के बजाय एक समय अवधि में हो रहा है। उदाहरण के लिए, एक बार जब कोई व्यापारी किसी व्यापार में प्रवेश करने के लिए एक संभावित बिंदु की पहचान करता है, तो वे कुछ समय बाद इसकी पुष्टि करने के लिए एक लैगिंग संकेतक का उपयोग कर सकते हैं और अधिक आत्मविश्वास के साथ एक स्थिति खोल सकते हैं। निश्चित रूप से नुकसान ऐसे संकेतकों की जानकारी में देरी है, क्योंकि कुछ मूल्यवान समय नष्ट हो सकता है; इसके अलावा, यह मत भूलो कि किसी भी संकेतक द्वारा उत्पन्न संकेतों में हमेशा कुछ संकेतक की गणना और विश्लेषण अनिश्चितता होती है।

कंपनी की शोधन क्षमता: लक्ष्यों, विश्लेषण और संकेतक

सबसे पहले, के विषयों और वित्तीय विश्लेषण के उद्देश्यों को परिभाषित करते हैं। कंपनी की असमर्थता भुगतान बाहर ले जाने के ठेकेदारों दोनों अपने स्वयं के और उधार ली गई वित्तीय आस्तियों के नुकसान में परिणाम कर सकते हैं करने के लिए। इसलिए, कंपनी की शोधन क्षमता का संबंध न केवल मालिकों, लेकिन यह भी बाजार (ठेकेदारों) में अन्य खिलाड़ियों के लिए कर रहे हैं। बाहरी आर्थिक गतिविधियों के विश्लेषण के विषय व्यापार भागीदारों, निवेशकों और लेनदारों कर रहे हैं। वे वित्तीय जोखिम और संपत्ति हालत की डिग्री का अध्ययन सहयोग पर फैसला करने के लिए। दिवालियापन प्रक्रिया की स्थिति में विश्लेषण किया विशेष रूप से आकर्षित किया गया था दिवालियापन में ट्रस्टी।

• अपने दायित्वों के प्रदर्शन के विश्लेषण की वस्तु की क्षमता का निर्धारण;
• सभी प्रक्रियाओं की स्थिरता सुनिश्चित करना;
• मालिक के वित्तीय हितों संकेतक की गणना और विश्लेषण के साथ अनुपालन;
• विकास के अतिरिक्त स्रोतों की खोज;
• लंबे समय में उद्यम की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने।

संकेतक की गणना और विश्लेषण

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