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व्यापारियों को जीएसटी से लाभ

व्यापारियों को जीएसटी से लाभ

GST क्या है? जीएसटी के लाभ और चुनौतियां, यहां समझें आसान भाषा में

GST क्या है? जीएसटी के लाभ और चुनौतियां, यहां समझें आसान भाषा में व्यापारियों को जीएसटी से लाभ

जीएसटी क्या है? GST in Hindi: भारत में कर प्रणाली (tax system) बहुत प्राचीन है। पहले के समय में राजा-महाराजा भी अपने राज्य को चलाने के लिए जनता पर कर लगाती थी। आज के समय में सरकारें भी जनता व अन्य चीजों पर टैक्स लगाती है। आज के समय में जीएसटी (GST) भी एक प्रकार का टैक्स है।

अतः आज हम द रुरल इंडिया के इस लेख में बात करने वाले हैं जीएसटी की। GST यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स ।

इस ब्लॉग में आप जानेंगे-

वस्तु एवं सेवा कर (GST)क्या है?

पहले कर व्यवस्था में क्या गड़बड़ी थी

उपभोक्ताओं को जीएसटी के लाभ

व्यापारियों को जीएसटी से लाभ

जीएसटी की हानि व्यापारियों को जीएसटी से लाभ या चुनौती

वस्तु एवं सेवा कर (GST)क्या है?

वस्तु एवं सेवा कर एक अप्रत्यक्ष कर है। इस टैक्स के माध्यम से भारत में व्यापार करने में आसानी हो गई है। उद्योग जीएसटी के कारण रसद और आपूर्ति श्रृंखला में आप पर्याप्त बचत कर सकते हैं।

आपको बता दें, सेवा कर अधिनियम 29 मार्च 2017 को संसद में पारित किया गया था। यह अधिनियम 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था।

जीएसटी के प्रकार (types of GST)

जीएसटी के तीन प्रकार हैं:

CGST (केंद्रीय माल एवं सेवा कर)

SGST (राज्य वस्तु एवं सेवा कर)

UTGST (केंद्र शासित प्रदेश माल एवं सेवा कर)

पहले कर व्यवस्था में क्या गड़बड़ी थी

पुराने टैक्स व्यवस्था में टैक्स मकड़जाल की तरह फैला हुआ था एक ही चीजों पर कई व्यापारियों को जीएसटी से लाभ बार टैक्स भरना होता था कई बार कई सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क यानी Additional Excise Duty भी लगता था। यही सामान अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहा है तो राज्य में घुसते ही Entry Tax लगता था। इसके बाद जगह-जगह चुंगियां अलग से। जब सामान बिकने की बारी आई तो Sales Tax यानी VAT लगता था। सामान अगर विलासिता से जुड़ा है तो लग्जरी टैक्स अलग से। होटलों या रेस्टोरेंट आदि में वह सामान उपलब्ध कराया जा रहा हो तो सर्विस टैक्स लगता है।मतलब यह कि ग्राहक के हाथों में पहुंचने से पहले सामान कई करों से होकर गुजरती थी। यही कारण है जिससे जीएसटी लाने की स्थिति बनीं।

जीएसटी से लाभ (Benefits of GST)

छोटे उद्योगपति भी अगर कोई बिजनेस को मार्केट में लाना चाहते हैं तो मैं भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना होगा तो, आइए जानते हैं जीएसटी से जुड़े लाभ के बारे में।

जीएसटी एक ऐसा कर है, जिसने भारत को एकत्रित आम बाजार बन दिया है। जो केवल मूल्य बढ़ने पर लगाया जाता है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की शुरूआत ने कई फायदे लाए हैं।

इसकी शुरुआत के बाद भारत में करदाताओं ने जीएसटी के लाभ और हानि देखे हैं। तो पहले बात करते हैं कि इससे लाभ क्या है

1 . कैस्केडिंग (व्यापक) प्रभाव को समाप्त करना

जीएसटी लाभ के अंतर्गत सर्वप्रथम भारत से कैस्केडिंग (व्यापक) प्रभाव को समाप्त करना था क्योकि वैट ने ग्राहकों के लिए वस्तुओं और सेवाओं को बहुत अधिक महंगा बना दिया था। जिस से छुटकारा पाने के लिए जीएसटी को एक कर के रूप में तैयार किया गया। जिससे अन्य करों का प्रभाव समाप्त हो गया।

एक उदाहरण से समझते हैं कि टैक्स पर टैक्स क्या है?

जीएसटी नियम से पहले एक सर्विस प्रदाता ने 50,000 रुपये की सेवा की पेशकश की और 15% सेवा कर (50,000 रुपए * 15% = 7,500 रुपए) लगाया। फिर कहते हैं, वह रुपये के लिए कार्यालय की आपूर्ति 20,000 रूपए में खरीदेगा। तो भुगतान पर 5% वैट कर (20,000 रुपये 5% = 1,000 रुपये)। उन्हें, पहले से ही भुगतान किए गए 1,000 रूपए वैट की कटौती के बिना स्टेशनरी पर 7,500 रूपए का आउटपुट भुगतान करना पड़ा। तो, उनका कुल देय 8,500 रुपये है।

2. पंजीकरण की उच्च सीमा

जीएसटी के फायदे और नुकसान के तहत जीएसटी शासन ने जीएसटी पंजीकरण की टर्नओवर सीमा को बढ़ा दिया है। इससे पहले, वैट संरचना में, 5 लाख रुपये के कारोबार (ज्यादातर राज्यों में) के साथ कोई भी व्यवसाय वैट का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी था। वही अब जीएसटी के व्यापारियों को जीएसटी से लाभ तहत टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख कर दिया है और कई छोटे व्यवसायों पर छूट प्रदान करता है। उत्तर पूर्वी राज्यों में जीएसटी पंजीकरण की टर्नओवर सीमा 10 लाख व्यापारियों को जीएसटी से लाभ व्यापारियों को जीएसटी से लाभ रूपए रखी गयी थी।

जीएसटी के नवीकरण नियम के अनुसार अब जीएसटी के तहत टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख से 40 लाख कर दिया गया है।

वहीं उत्तर पूर्वी राज्यों में जीएसटी पंजीकरण की टर्नओवर सीमा 10 लाख से बढ़ा कर 20 लाख रूपए तक किया गया है। जीएसटी शासन के तहत छोटे व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं के लिए इसकी सीमा 40 लाख कर दी गई है।

व्यापारियों को बताए जीएसटी के लाभ

वाणिज्य कर विभाग द्वारा बुधवार को कार्यालय में एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में व्यापारियों को जीएसटी पंजीकरण से संबंधित लाभ के बारे में जानकारी दी.

व्यापारियों को बताए जीएसटी के लाभ

वाणिज्य कर विभाग द्वारा बुधवार को कार्यालय में एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में व्यापारियों को जीएसटी पंजीकरण से संबंधित लाभ के बारे में जानकारी दी गई। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि व्यापारियों को बिना प्रीमियम के 10 लाख का दुर्घटना बीमा होता है। पंजीयन के बाद देशभर में कहीं भी ई-वे बिल से माल व्यापारियों को जीएसटी से लाभ की आपूर्ति की जा सकती है। इस मौके पर उपायुक्त रामश्रय प्रसाद, सुरेश कुमार वर्मा, प्रधान सहायक रामेश्वर दयाल, बिजेन्द्र सिंह और व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारी दीपू गर्ग, पंकज अग्रवाल रहे।

व्यापारियों को बताए जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लाभ

टैक्स बार एसोसिएशन के सहयोग से वाणिज्य कर विभाग द्वारा जीएसटी पंजीयन शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान व्यापारियों जीएसटी पंजीयन के लाभ से अवगत कराया.

व्यापारियों को बताए जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लाभ

टैक्स बार एसोसिएशन के सहयोग से वाणिज्य कर विभाग द्वारा जीएसटी पंजीयन शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान व्यापारियों जीएसटी पंजीयन के लाभ से अवगत कराया गया। शिविर में 22 व्यापारियों का जीएसटी में अपना पंजीयन कराया।

मंगलवार को रेलवे रोड स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में जीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर राममूरत, डिप्टी कमिश्नर उदित नारायन, सहायक कमिश्नर रविंद्र सिंह, सहायक कमिश्नर हरिशंकर सिंह और अनिता ने व्यापारियों को जीएसटी में पंजियन के लाभ बताए। इस दौरान उन्होंने व्यापारियों को बताया जीएसटी में पंजीयन कराने के बाद व्यापारियों को काफी लाभ पहुंचता है। सेमिनार में अधिवक्ता विपिन त्यागी, अमित गोयल, दीपकराज सिंघल, अरुण गुप्ता, मनोज सिंघल, राजेश गुप्ता, विवेक तायल, दीपक गर्ग व राजेश सिंघल आदि ने भी विचार रखे। अध्यक्षता अधिवक्ता रितेश बंसल एड. और संचालन अधिवक्ता रवि शर्मा एडवोकेट एवं अमित गोयल ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान राकेश सिंघल, प्रभात राणा, नितिन गोयल, रविंद्र गांधी, अजय ऋषि, अभय देव दीक्षित, सुमित बंसल, अभिषेक शर्मा, पंकज पंवार, इस्हाक बाले खां, आलोक सिंघल, राकेश मित्तल, जैद अहमद, वरयाम खान और सुभाष मित्तल आदि मौजूद रहे।

सेमिनार में व्यापारियों को बताए जीएसटी के फायदे

जीएसटी पंजीयन जागरुकता शिविर में समस्या बताते व्यापारी नेता।

महोबा। चरखारी बाईपास मार्ग स्थित वाणिज्यकर कार्यालय में बुधवार को जीएसटी पंजीयन जागरुकता सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्यकर जयप्रकाश ने कहा कि वाणिज्यकर विभाग जीएसटी में पंजीकृत व्यापारी को बिना किसी शुल्क अदायगी के दस लाख के दुर्घटना बीमा का लाभ देता है। ऐसे में सभी व्यापारियों को जीएसटी पंजीयन कराना चाहिए।


सेमिनार में असिस्टेंट कमिश्नर ने कहा कि एक जनवरी से गारमेंट्स, फुटवियर आदि कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में परिवर्तन किया गया है। व्यापारियों को परिवर्तित दर के अनुरूप अपने समान का मूल्य जीएसटी जोड़कर निर्धारित करना चाहिए। साथ ही कम जीएसटी पर बिक्री न हो सके और व्यापारी जुर्माने आदि से बच सके। डिप्टी कमिश्नर राम प्रकाश पांडेय ने जीएसटी की नई सरलीकृत प्रक्रिया के बारे में व्यापारियों को बताया।


सेमिनार में जिला उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष भागीरथ नगायच ने व्यापारियों की समस्याएं उठाईं। अधिकारियों ने समस्याओं के निस्तारण का भरोसा दिया। इस मौके पर वाणिज्यकर अधिकारी धर्मेंद्र कुमार, अधिवक्ता बृजेंद्र गुप्ता, प्रदीपचंद्र गुप्ता, शिवकुमार सोनी, राहुल अग्रवाल, मुलायम सिंह आदि व्यापारी मौजूद रहे।

जीएसटी : नए नियमों से व्यापारियों को होगा लाभ, अब से इनपुट टैक्स क्रेडिट भी रिफंड कैलकुलेशन में शामिल

जीएसटी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक इनपुट सेवाओं का रिफंड नहीं दिया गया था

आज से लागू हुए नए जीएसटी कानून के तहत सेवाओं पर मिलने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट को भी रिफंड कैलकुलेशन में शामिल किया गया है। जिससे टेक्सटाइल इंडस्ट्री को काफी फायदा हो रहा है। कपड़ा उद्योगपति जिन्होंने 18% वस्तु पर जीएसटी का भुगतान करने वाली मशीनरी खरीदी थी, उन्हें अब तक इस 18% का रिफंड नहीं मिल रहा था और इसका उपयोग भी नहीं कर सकते थे। हालांकि अब नए कानून के अनुसार यदि कपड़ा उद्योगपति उचित योजना के साथ मशीनरी खरीदते हैं और इसके सामने यार्न ऑर्डर करते हैं और 18 प्रतिशत आईटीसी का उपयोग जॉब वर्क करके किया जा सकता है।

जीएसटी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक इनपुट सेवाओं का रिफंड नहीं दिया गया था, हालांकि अब से नए कानून के तहत सेवा पर मिलने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट को भी कारोबारियों को भुगतान किए गए रिफंड की गणना के लिए रिफंड कैलकुलेशन में शामिल किया गया है। जिससे उद्यमियों को ली गई विभिन्न सेवाओं का रिफंड भी मिल सकता है। इसी तरह अब तक कपड़ा उद्योग मशीनरी खरीदते समय 18% जीएसटी का भुगतान करता था, लेकिन उनका क्रेडिट जाम हो गया था और वे इस कर का उपयोग नहीं कर सकते थे। हालांकि अब वे आईटीसी का इस्तेमाल कर सकेंगे।

हालांकि, उन्हें रिटर्न में यह दिखाना होगा कि उन्होंने अपनी फर्म से यार्न खरीदा है और उस पर जॉब वर्क कर रहे हैं। गौरतलब है कि अब तक उद्योगपतियों के करोड़ों रुपये का आईटीसी जाम हो चुका है। नए कानून से कपड़ा उद्योग को बड़ी राहत मिलेगी।

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