निवेश के तरीके

बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया

बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया
Sandeep Kumar | 02/Dec/2022

बिटकॉइन पर नया प्रतिबंध लगे

बिटकॉइन का लाभ शून्य है और हानि पर्यावरण, अपराध और रिस्क की, तीनों की है। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए रिजर्व बैंक ने दो वर्ष पहले अपने देश में बिटकॉइन पर प्रतिबंध लगा दिया था। बीते वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के उस प्रतिबंध को गैर कानूनी घोषित कर दिया। इसलिए वर्तमान में देश में बिटकॉइन का व्यापार कानूनी ढंग से किया जा सकता है। लेकिन सरकार को नया कानून लाकर इसे प्रतिबंधित करने पर विचार करना चाहिए एवं सुप्रीम कोर्ट को इसके नुकसानों को समझना चाहिए जिससे यह हानिप्रद व्यवस्था समाप्त की जा सके…

किसी समय इंग्लैंड में एक अमीर थे रॉत्सचाइल्ड। इनकी कई देशों में व्यापार की शाखाएं थी। यदि किसी व्यक्ति को एक देश से दूसरे देश रकम पहुंचानी होती थी तो वह ट्रांसफर रॉत्सचाइल्ड के माध्यम से सुरक्षा पूर्वक हो जाता था। जैसे मान लीजिए आपको दिल्ली से मुंबई रकम पहुंचानी है। आपने रॉत्सचाइल्ड के दिल्ली दफ्तर में एक लाख चांदी के सिक्के जमा करा दिए। उन्होंने आपको लाख सिक्कों की रसीद दे दी। आप मुंबई गए और रॉत्सचाइल्ड के मुंबई दफ्तर में वह रसीद देकर आपने एक लाख सिक्के प्राप्त कर लिए। इतने सिक्कों को लेकर जाने के झंझट से आप मुक्त हो गए। समय क्रम में रॉत्सचाइल्ड ने देखा कि उनके लिखे हुए प्रॉमिसरी नोट या रसीद पर लोगों को अपार विश्वास है। उन्होंने स्वयं ही प्रॉमिसरी नोट बनाए और मिली रकम से अपना व्यापार बढ़ाया। जैसे मान लीजिए उन्हें कोई मकान खरीदना था। उन्होंने एक करोड़ सिक्कों का प्रॉमिसरी नोट लिख दिया और मकान के विक्रेता ने उस रसीद को सच्चा मानकर मकान उन्हें बेच दिया। रॉत्सचाइल्ड द्वारा जारी की गई यह रसीदें अथवा प्रॉमिसरी नोट ही आगे चलकर नगद नोट के रूप में प्रचलित हुए।

समय क्रम में सरकारों ने अथवा उनके केंद्रीय बैंकों ने इसी प्रकार के प्रॉमिसरी नोट छापना एवं जारी करना शुरू कर दिया। इन्हीं प्रॉमिसरी नोट को नगद नोट कहा जाता है। आप देखेंगे कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया नोट पर लिखा रहता है, ‘मैं धारक को एक सौ रुपए अदा करने का वचन देता हूं।’ ऐसा ही वचन रॉत्सचाइल्ड ने बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया दिया था जिससे कि नगद मुद्रा का चलन शुरू हो गया। जाहिर होगा कि नोट का प्रचलन इस बात पर टिका हुआ है कि उसे जारी करने वाले पर समाज को विश्वास है अथवा नहीं। इसी विश्वास के आधार पर बिटकॉइन एवं अन्य क्रिप्टोकरंसी का आविष्कार हुआ है। ऐसा समझें कि सौ कंप्यूटर इंजीनियर एक हॉल में बैठे हैं और उन्होंने एक सुडोकू पहेली को आपस में हल करने की प्रतिस्पर्धा की। जिस इंजीनियर ने उस पहेली को सर्वप्रथम हल कर दिया, उसके हल को अन्य इंजीनियरों ने जांच की और सही पाने पर उन्हें एक बिटकॉइन इनाम स्वरूप दे दिया। इन इंजीनियरों ने आपसी लेन-देन इन बिटकॉइन में करना शुरू कर दिया। एक इंजीनियर को दूसरे से कार खरीदनी हो तो उसका पेमेंट दूसरे को बिटकॉइन से कर दिया। यह संभव हुआ चूंकि दोनों इंजीनियरों को उस बिटकॉइन पर भरोसा था। अब इस बिटकॉइन की विश्वसनीयता सिर्फ उन सौ कंप्यूटर इंजीनियरों के बीच बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया है जिन्होंने उस खेल में भाग लिया था। समय क्रम में ये सौ कंप्यूटर इंजीनियर बढ़कर दस लाख हो गए या एक करोड़ हो गए और तमाम लोगों को इस प्रकार के बिटकॉइन पर विश्वास हो गया, बिल्कुल उसी तरह जैसे रॉत्सचाइल्ड के द्वारा जारी किए गए प्रॉमिसरी नोट पर जनता को विश्वास हो गया था। आज विश्व में इस प्रकार की तमाम क्रिप्टोकरंसी हैं। बिटकॉइन को एक करोड़ कंप्यूटर इंजीनियर मान्यता देते हैं तो एथेरियम को मान लीजिए पचास लाख कंप्यूटर इंजीनियर मान्यता देते हैं। जितनी मान्यता है उतना ही प्रचलन है। इस प्रकार तमाम लोगों ने अपनी-अपनी क्रिप्टोकरंसी बना रखी है। आज विश्व में लगभग पंद्रह सौ अलग-अलग बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया क्रिप्टोकरंसी चालू हैं।

मूल बात यह है की बिटकॉइन की विश्वसनीयता इस बात पर टिकी हुई है कि भारी संख्या में लोग इसे मान्यता देते हैं। जबकि इसके आधार में कुछ भी नहीं है। रॉत्सचाइल्ड अथवा रिज़र्व बैंक ने प्रॉमिसरी नोट का भुगतान नहीं किया तो आप उनके घर-दफ्तर पर धरना दे सकते थे। लेकिन बिटकॉइन का कोई घर नहीं है। ये एक करोड़ कंप्यूटर इंजीनियर अलग बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया देशों में रहते हैं और इन्होंने कोई लिखित करार नहीं किया है। बिटकॉइन में तमाम समस्याएं दिखने लगी हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि आज बिटकॉइन बनाने की बड़ी फैक्ट्रियां लग गई हैं। सुडोकू की पहेलियां इतनी जटिल हो गई हैं कि इन्हें हल करना मनुष्य की क्षमता के बाहर हो गया है। उद्यमियों ने बड़े कंप्यूटर लगा रखे हैं जो इन पहेलियों को हल करते हैं और जब इनका हल हो जाता है तो उन्हें बिटकॉइन का समाज एक बिटकॉइन दे देता है। जिस प्रकार आप दुकान में कंप्यूटर लगाने में निवेश करते हैं, उसी प्रकार ये उद्यमी बिटकॉइन की पहेलियां हल करने के लिए कंप्यूटर लगाने में निवेश करते हैं और बिटकॉइन कमाते हैं। यह प्रक्रिया पूर्णतया पर्यावरण के विरुद्ध है। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में भारी मात्रा में बिजली खर्च होती है जिससे यह कंप्यूटर चलाए जाते हैं और इससे किसी प्रकार का जनहित हासिल नहीं होता है। दूसरी समस्या अपराध की है। बीते समय में अमरीका की कॉलोनियल आयल कंपनी के कंप्यूटरों को हैक कर लिया गया। हैकर्स ने कॉलोनियल आयल कंपनी को सूचना दी कि वे अमुक रकम बिटकॉइन के रूप में उन्हें पेमेंट करें, तब वे उनके कंप्यूटर से जो मॉलवेयर यानी कि जो उसमें अवरोध पैदा किया गया था, उसको हटा देंगे।

कॉलोनियल ऑयल कंपनी ने उन्हें लगभग पैंतीस करोड़ रुपय का मुआवजा बिटकॉइन के रूप में दिया जिससे कि उनके कंप्यूटर पुनः चालू हो जाएं। इस प्रकार बिटकॉइन जैसी करंसी आज अपराध को बढ़ावा दे रही है क्योंकि इनके ऊपर किसी सरकार का सीधा नियंत्रण नहीं होता है। बिटकॉइन बनाने वाली फैक्ट्री या उसका उद्यमी रूस में है, चीन में है, भारत में है या इंडोनेशिया में है, इसकी कोई जांच नहीं होती क्योंकि सारा लेन-देन इंटरनेट पर होता है। इस प्रकार आज अपराधियों द्वारा वसूली बिटकॉइन के माध्यम से की जा रही है। तीसरी समस्या रिस्क की है। बिटकॉइन हाथ का लिखा हुआ या प्रिंटिंग प्रेस का छपा हुआ नोट नहीं होता है। यह केवल एक विशाल नंबर होता है जो कि किसी कंप्यूटर में सुरक्षित रखा जाता है। ऐसे भी वाकया हुए हैं कि किसी व्यक्ति का कंप्यूटर क्रैश कर गया और उसमें रखा हुआ बिटकॉइन का नंबर पूर्णतया पहुंच के बाहर हो गया। उन्हें उस बिटकॉइन का घाटा लग गया। इसलिए बिटकॉइन का लाभ शून्य है और हानि पर्यावरण, अपराध और रिस्क की, तीनों की है। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए रिजर्व बैंक ने दो वर्ष पहले अपने देश में बिटकॉइन पर प्रतिबंध लगा दिया था। बीते वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के उस प्रतिबंध को गैर कानूनी घोषित कर दिया। इसलिए वर्तमान में देश में बिटकॉइन का व्यापार कानूनी ढंग से किया जा सकता है। लेकिन सरकार को नया कानून लाकर इसे प्रतिबंधित करने पर विचार करना चाहिए एवं सुप्रीम कोर्ट को इसके नुकसानों को समझना चाहिए जिससे यह हानिप्रद व्यवस्था समाप्त की जा सके।

बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया

अगर बिटकॉइन की बात छिपाई तो लग सकता है 20 करोड़ रुपये का जुर्माना ! यहां जानिए पूरी विस्तृत जानकारी

मोदी सरकार बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसीज पर नजर रखने की जिम्मेदारी कैपिटल मार्केट्स रेगुलेटर को देने पर विचार बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया कर रही है। ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। क्रिप्टो को लेकर देश में अभी कोई नियम कानून नहीं हैं। सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में इससे जुड़ा एक बिल लाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि क्रिप्टोकरेंसीज को फाइनेंशियल एसेट्स के रूप में क्लासीफाई किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक क्रिप्टो निवेशकों को अपनी एसेट्स घोषित करने और नए नियमों का अनुपालन करने के लिए समयसीमा दी जा सकती है। एक सूत्र ने कहा कि बिल में क्रिप्टोकरेंसीज के बजाय क्रिप्टोएसेट्स का यूज किया जा सकता है। नियमों का उल्लंघन करने वाले पर 20 करोड़ रुपये जुर्माना या 1.5 साल जेल की सजा हो सकती है। साथ ही सरकार छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए क्रिप्टो में निवेश की सीमा तय की जा सकती है।

इस मामले में टिप्प्णी के लिए वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता से तत्काल कोई संपर्क नही हो पाया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने पिछले हफ्ते कहा था कि सरकार ने पिछले बिल पर नए सिरे से काम किया है। पिछले बिल में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगाने की बात कही गई थी। उन्होंने साफ किया था कि देश में बिटकॉइन को करेंसी के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

क्रिप्टो एनालिसिस फर्म Chainalysis की अक्टूबर में आई एक रिपोर्ट में मुताबिक जून 2021 तक पिछले 1 साल में देश में क्रिप्टो मार्केट 641 फीसदी बढ़ा है। सरकार अब डिजिटल करेंसीज से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाने पर विचार कर रही है। साथ ही वर्चुअल कॉइन्स के ट्रांजैक्शन पर कड़े नियम बनाने की भी मांग उठ रही है। हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल करेंसी पर एक समीक्षा बैठक ली थी।

कैलिफोर्निया में बिटकॉइन बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया को कानूनी निविदा बनाने के लिए राज्य के पूर्व सांसदों ने विधेयक का मसौदा तैयार किया

कैलिफोर्निया में बिटकॉइन को कानूनी निविदा बनाने के लिए राज्य के पूर्व सांसदों ने विधेयक का मसौदा तैयार किया

कैलिफोर्निया राज्य विधानसभा के पूर्व बहुमत नेता इयान सी. काल्डेरन ने a . के माध्यम से घोषणा की कलरव रविवार को उन्होंने द्विदलीय बिटकॉइन बिल का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में बिटकॉइन विशेषज्ञ डेनिस पोर्टर के साथ सहयोग किया है। प्रस्ताव के बारे में अधिक जानकारी का खुलासा नहीं किया गया था।

इस बीच, पोर्टर ने एक याचिका-होस्टेड मतदाता आवाज ट्वीट की जिसमें बिटकॉइन अपनाने की आवश्यकता बताई गई और उपयोगकर्ताओं को साइन अप करने के लिए कहा। एक मुद्रास्फीति बचाव की आवश्यकता के लिए आह्वान, मतदाता आवाज पृष्ठ पढ़ना:

“हम में से कई लोगों ने बिटकॉइन को हमारे विनिमय के माध्यम के रूप में चुना है, लेकिन संघीय सरकार बिटकॉइन को कानूनी निविदा के रूप में मान्यता नहीं देती है। यह औसत अमेरिकी को पूंजीगत लाभ करों का अनुभव किए बिना विनिमय के दैनिक माध्यम के रूप में बिटकॉइन का प्रभावी ढंग से उपयोग करने से रोकता है।”

इसी तरह का एक बिल इस जनवरी में एरिज़ोना में पेश किया गया था जब रिपब्लिकन सीनेटर वेंडी रोजर्स ने बिटकॉइन को कानूनी निविदा बनाने के लिए देखा था। टेक्सास के गवर्नर के लिए नामांकित डॉन हफिन्स ने यह भी कहा कि अगर वह चुने जाते हैं तो वह राज्य में बिटकॉइन को कानूनी निविदा बना देंगे।

हालांकि, अमेरिकी संविधान राज्यों को अपनी कानूनी निविदा रखने की अनुमति नहीं देता है। इसलिए, यह अभी तक निर्धारित नहीं किया गया है कि उपरोक्त बिल कैसे खेलते हैं।

बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया

Sandeep Kumar | 02/Dec/2022

Digital Currency:

नया भारत डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) डिजिटल रुपये के खुदरा इस्तेमाल से जुड़ा पहला पायलट प्रोजेक्ट एक दिसंबर को शुरू करने जा रहा है। इसमें सरकारी एवं निजी क्षेत्र के चार बैंक शामिल होंगे। बता दें कि रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर से डिजिटल रुपये के थोक खंड की बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया शुरुआत की थी। (Digital Currency)

Digital Currency के लिए किया गया इन बैंकों का चुनाव

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इसके लिए कुल 9 बैंकों का चुनाव किया गया है. इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), यूनियन बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC बैंक शामिल होंगे.पहले चरण में भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया यस बैंक और आईडीएफसी फ‌र्स्ट बैंक देश के चार शहरों में खुदरा डिजिटल रुपया जारी करेंगे। अगले चरण में बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक को भी इस पायलट प्रोजेक्ट से जोड़ दिया जाएगा। (Digital Currency)

डिजिटल रुपये की खासियत

डिजिटल रुपये का उपयोग यूपीआई, एनईएफटी, आरटीजीएस, आईएमपीएस, डेबिट/क्रेडिट कार्ड आदि के माध्यम से किए गए भुगतानों के बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया समान डिजिटल भुगतान करने के लिए किया जाएगा। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपये का उपयोग यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) की तरह ही डिजिटल पेमेंट के लिए करने के लिए किया जाएगा। (Digital Currency)

डिजिटल करेंसी 3 प्रकार की होती है

1. क्रिप्टोकरेंसी:- यह डिजिटल करेंसी है जो नेटवर्क में लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। इसपर किसी भी देश की सरकार का नियंत्रण नहीं होता है। बिटकॉइन और एथेरियम इसके उदाहरण हैं।

2. वर्चुअल करेंसी: वर्चुअल करेंसी डेवलपर्स या प्रक्रिया में शामिल विभिन्न हितधारकों से मिलकर एक संगठन द्वारा नियंत्रित अनियमित डिजिटल करेंसी है।

3. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC): सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी किसी देश के सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की जाती हैं। आरबीआई ने इस करेंसी को ही जारी करने की बात कही है।

Digital Currency को लेकर RBI का बड़ा ऐलान

रिजर्व बैंक की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, इसका इस्तेमाल पहले सरकारी सिक्योरिटीज़ यानि सरकारी बॉन्ड आदि की खरीद बिक्री पर होने वाले निपटारे की रकम के तौर पर होगा. रिजर्व बैंक ने इसके साथ ये भी कहा है कि महीने भर के भीतर खुदरा लेनदेन के लिए भी डिजिटल रु का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च होगा. (Digital Currency)

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