ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है?

कॉल और पुट की जानकारी, ऑप्शन ट्रेडिंग की जानकारी
कॉल और पुट क्या होती है, निफ़्टी की कॉल और पुट का मतलब, ऑप्शन ट्रेडिंग
What is ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? Options trading, information about Options trading in Hindi
ऑप्शन (Option) दो प्रकार के होते है – कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन. इन्हें आम भाषा में कॉल और पुट कहते है, (Call or Put). ऑप्शन अंग्रेज़ी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है, विकल्प. हर ऑप्शन की एक आखिरी तारीख होती है, इसे एक्सपायरी या मेचुरिटी डेट (expiry or maturity date) भी कहते है. इस दिन के बाद वह ऑप्शन अर्थात कॉल या पुट ख़त्म हो जाती है. भारतीय शेयर बाजारों (NSE और BSE) में महीने के आखिरी गुरुवार को उस महीने के फ्यूचर और ऑप्शन (F&O) की एक्सपायरी (expiry) होती है. यदि आखिरी गुरुवार को छुट्टी हो तो एक दिन पहले एक्सपायरी की तारीख होती है. लेकिन करेंसी फ्यूचर और ऑप्शन की एक्सपायरी तारीख अलग होती है. ऑप्शन ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमे खरीदने वाले के पास यह विकल्प होता है की वह उस कॉन्ट्रैक्ट की अंतिम तारीख या मेचुरिटी पर वह कॉन्ट्रैक्ट खरीदना चाहता है या नहीं. इसमें खरीदने वाले व्यक्ति पर यह बाध्यता नहीं होती है की उसे कॉन्ट्रैक्ट खरीदना या बेचना ही है. इसे आगे उदाहरण से समझाया गया है. निफ़्टी की पुट और कॉल यानि इंडेक्स (Index) के ऑप्शन यूरोपियन ऑप्शन होते है. (Nifty Put and Calls are European Options). स्टॉक्स यानि शेयर्स के पुट और कॉल के ऑप्शन अमेरिकन ऑप्शन होते है. (Stock Put and Calls are American Options). यूरोपियन ऑप्शन में कॉन्ट्रैक्ट के आखिरी दिन यानि एक्सपायरी के दिन खरीदने वाला व्यक्ति अपने विकल्प का उपयोग कर सकता है, जबकि अमेरिकन ऑप्शन में खरीदने वाला व्यक्ति कभी भी अपने विकल्प का उपयोग कर सकता है. लेकिन इन दोनों में आप अपनी खरीदी हुई कॉल या पुट को कभी भी बेच सकते है.
निफ़्टी की कॉल या पुट ऑप्शन खरीदने का अर्थ है कि आपके पास निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट खरीदने या बेचने का विकल्प है. निफ़्टी की कॉल आपको निफ़्टी खरीदने का विकल्प देती है. निफ़्टी की पुट आपको निफ़्टी बेचने का विकल्प देती है. विकल्प का अर्थ यह है की आप चाहे तो वह कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे या बेचे, या फिर कुछ न करे. इसे आगे उदाहरण के द्वारा समझाया गया है. निफ़्टी के कुछ शेयर्स में भी फ्यूचर, कॉल और पुट की ट्रेडिंग होती है. इनको स्टॉक ऑप्शन (stock options) भी कहते है. फ्यूचर, कॉल और पुट हमेशा लॉट (Lot) में ख़रीदे बेचे जाते है. हर लॉट में एक निश्चित संख्या के शेयर्स होते है. यह लॉट निफ़्टी और शेयर्स के लिए अलग-अलग होते है. इनके लॉट का साइज़ इनके शेयर्स के भाव के अनुसार होता है. किसी भी लॉट की संख्या शेयर्स के मार्किट भाव के अनुसार पहले से तय होती है. यदि शेयर का भाव ज्यादा है तो लॉट का साइज़ कम होगा, और यदि शेयर का भाव कम है तो लॉट का साइज़ ज्यादा होगा.
आजकल निफ़्टी के फ्यूचर, कॉल और पुट के एक लॉट में 50 शेयर्स होते है. जैसे किसी ने निफ़्टी 7800 की कॉल का एक लॉट 20 रूपये में ख़रीदा है तो यह बीस रूपये उस ऑप्शन के एक शेयर का प्रीमियम (Option premium) कहलाता है. उस व्यक्ति ने कुल प्रीमियम ₹20 * 50 = ₹1,000 दिया. उस व्यक्ति ने 1000 रूपये दे कर 7800 की निफ़्टी का एक लॉट खरीद लिया है. हम एक निवेशक के उदाहरण से इसको समझते है. मान लीजिए की निफ़्टी आज 8500 पर है और आपको लगता को लगता है कि महीने के आखिरी गुरुवार या ऑप्शन ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? की आखिरी तारीख तक निफ़्टी गिर कर 8300 पर पहुँच जायेगा, तो ऐसी स्तिथि में वह व्यक्ति 8300 की पुट खरीदेगा. अब जैसे जैसे बाजार में गिरावट आती जायेगी, और निफ्टी गिरता जायेगा और 8300 के पास पहुंचता जायेगा, उसी प्रकार से 8300 की पुट का भाव भी बढ़ता जायेगा. और यदि बाजार ऊपर चढ़ता जायेगा, और निफ्टी 8500 के ऊपर जाते जायेगा, उसी प्रकार से 8300 की पुट का भाव भी गिरता जायेगा या कम होने लगेगा. ऐसा इसलिए होता है की यदि निफ्टी 8700 पर चला गया तो उसे 8300 तक आने के लिए 400 पॉइंट की गिरावट चाहिए और चूंकि इसकी संभावना कम है, इसलिए 8300 की पुट का भाव भी कम होते जायेगा.
आप भी करते हैं ऑप्शन ट्रेडिंग, समझ लें इंट्रिन्सिक और टाइम वैल्यू का गणित
ऑप्शन मार्केट में ज्यादातर नए इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स सीमित जोखिम के साथ असीमित फायदे की वजह से कॉल या पुट खरीदना पसंद करते हैं.
- Money9 Hindi
- Publish Date - November 7, 2022 / 05:53 PM IST
ऑप्शन मार्केट में ज्यादातर नए इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स सीमित जोखिम के साथ असीमित फायदे की वजह से कॉल या पुट खरीदना पसंद करते हैं. शॉर्ट टर्म प्रॉफिट के लिए निवेशक ऑप्शन ट्रेडिंग का इस्तेमाल करते हैं. किसी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को खरीदने के लिए ट्रेडर प्रीमियम का भुगतान करता है और इसका इस्तेमाल प्रॉफिट बनाने के लिए किया जाता है. ऐसे में ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू और टाइम वैल्यू को समझना जरूरी है. यह आपको प्रोफेशनल ऑप्शन ट्रेडर बनने में मदद कर सकता है.
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टाइम वैल्यू को समझने से पहले हम बात करते हैं इंट्रिन्सिक वैल्यू की. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में इंट्रिन्सिक वैल्यू का मतलब आमतौर पर कॉन्ट्रैक्ट की मार्केट वैल्यू से होता है. इंट्रिन्सिक वैल्यू यह बताता है कि वर्तमान में कॉन्ट्रैक्ट में कितना ‘इन-द-मनी’ है. ‘इन द मनी’ से मतलब है कि अंडरलाइंग एसेट की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ज्यादा हो. किसी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने के लिए जिस मूल्य पर दो पक्षों के लिए समझौता होता है, उसे स्ट्राइक प्राइस कहते हैं.
उदाहरण के लिए, अगर आपके पास 200 रुपए के स्ट्राइक प्राइस वाला एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है, जिसका मौजूदा समय में दाम 300 रुपए है. इस कॉल ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू 100 रुपए (300-200) होगी. ध्यान रखने वाली बात यह है कि जब अंडरलाइंग एसेट की ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? कीमत स्ट्राइक प्राइस से कम होगी, तो इंट्रिन्सिक वैल्यू जीरो होगी, क्योंकि कोई भी खरीदार उस सौदे को पूरा नहीं करना चाहेगा, जब उसे नुकसान हो रहा हो.
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की टाइम वैल्यू क्या है?
टाइम वैल्यू वह अतिरिक्त रकम है, जो खरीदार को इंट्रिन्सिक वैल्यू के ऊपर कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति तक के लिए देनी होती है. यह रकम ऑप्शन विक्रेता को ऑप्शन या राइट देने के एवज में मिलती है. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी बढ़ने पर टाइम वैल्यू की रकम भी बढ़ती है. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट अपने एक्सपायरी डेट से जितना दूर होगा, उसमें अंडरलाइंग एसेट की कीमत स्ट्राइक प्राइस के मुकाबले ज्यादा होने या खरीदार की पसंदीदा जगह पर जाने की संभावना अधिक होती है. उदाहरण के लिए, यदि एक ऑप्शन की एक्सपायरी में 3 महीने और दूसरे ऑप्शन की एक्सपायरी में 2 महीने हैं, तो पहले वाले ऑप्शन में टाइम वैल्यू अधिक होगी.
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का लाभ उठाने के लिए खरीदार विक्रेता को प्रीमियम देता है. प्रीमियम के दो कम्पोनेंट होते हैं- इंट्रिन्सिक वैल्यू और टाइम वैल्यू. टाइम वैल्यू की रकम निकालने के लिए ऑप्शन प्रीमियम में से इंट्रिन्सिक वैल्यू को घटाना होगा. उदाहरण के लिए, ऊपर दिए गए 200 रुपए वाले ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का प्रीमियम मान लीजिए 150 रुपए था, जबकि इंट्रिन्सिक वैल्यू 100 रुपए थी. ऐसे में टाइम वैल्यू 50 रुपए (150-100) होगी.
Future और Options ट्रेडिंग क्या है What is Future Trading and Option Trading Hindi
Best stocks for 2022 शेयर मार्किट के अन्दर आज बहुत से इन्वेस्टर इन्वेस्ट करते है और इन्वेस्टमेंट करते समय बहुत से सवाल मन में आते है जैसे ; 2022 में शेयरों में निवेश करने की योजना? स्टॉक ट्रेंड से आगे रहना चाहते हैं? 2022 में आपको किन शेयरों में निवेश करना चाहिए? क्या स्टॉक में निवेश करने के लिए 2022 एक अच्छा साल होगा? 2022 में निवेश पर सबसे अच्छा रिटर्न कौन सा स्टॉक होगा? हम 2022 में शेयर बाजार से क्या उम्मीद कर सकते हैं? आदि
इसलिए सभी शेयर मार्किट में इन्वेस्टमेंट करने से पहले बहुत रिसर्च करते है उसके बाद ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? इन्वेस्टमेंट करते है अब 2022 आने वाला है और सभी इन्वेस्टर इसी बात के बारे में सोच रहे की कौन से स्टॉक में पैसे लगाये कौन सा ऊपर जायेगा या फिर किस प्रकार से शेयर मार्किट से पैसा कमाया जाये तो इस आर्टिकल में हम आपको Future और Options ट्रेडिंग जो शेयर मार्किट से अच्छे पैसे कमाने का तरीका है उसके बारे में विस्तार से बतायेंगे |
Future और Options ट्रेडिंग Future Option Trading Hindi
शेयर बाजार निवेश और Trading Purposes के लिए कई प्रोडक्ट प्रदान करता है। उनमें से कुछ म्यूचुअल फंड, इक्विटी, आईपीओ, एनसीडी, बॉन्ड, डेरिवेटिव आदि हैं। आइए हम डेरिवेटिव की Category में आने वाले फ्यूचर्स और विकल्पों के बारे में जानें। डेरिवेटिव अनुबंध हैं जो दो पक्षों के बीच एक निश्चित मूल्य और निश्चित समय पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने के लिए तैयार किए जाते हैं। ये जोखिम प्रबंधन उपकरण हैं
जो जोखिम लेने के लिए तैयार लोगों को जोखिम स्थानांतरित करने में मदद करते हैं। डेरिवेटिव 4 प्रकार के होते हैं: फॉरवर्ड, फ्यूचर्स, ऑप्शंस और स्वैप। futures और options अनुबंधों का उपयोग जोखिम को कम करने और अत्यधिक अस्थिर स्थिति में लाभ कमाने के लिए हेजिंग टूल के रूप में किया जाता है। वस्तुओं की कीमतें अचानक बढ़ सकती हैं या गिर भी सकती हैं। यह भविष्य के अनुबंधों के महत्व की आवश्यकता है। सबसे पहले, आइए पढ़ें कि शेयर बाजार में फ्यूचर ट्रेडिंग क्या है
फ्यूचर क्या है
What are futures? :- फ्यूचर्स दो पक्षों के बीच किए गए agreement होते हैं, जिसमें वे भविष्य में किसी विशेष समय पर एक निश्चित मूल्य पर किसी विशेष संपत्ति को खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं। यह शामिल जोखिम और नुकसान को कम करने में मदद ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? करता है। मान लीजिए कि आप सोयाबीन के किसान हैं, अच्छी बारिश हो रही है और इसलिए सोयाबीन की आपूर्ति अधिक है और इसलिए कीमतें ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? नीचे आती हैं।
एक किसान के रूप में आपको नुकसान होगा। सोयाबीन के खरीदार के बारे में अभी सोचिए। अप्रत्याशित सूखे के कारण सोयाबीन की कीमतों में तेजी आई है। इसलिए एक खरीदार के रूप में, उसे अधिक भुगतान करना पड़ता है और इसलिए उसे नुकसान का सामना करना पड़ता है। इन नुकसानों से बचने के लिए फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में प्रवेश करना जरूरी है।
यह बाजार के उतार-चढ़ाव के बावजूद आपकी रक्षा करेगा। उदाहरण के लिए, सोयाबीन की कीमत रु। 3 महीने के बाद 350, लेकिन अगर आपने पहले ही रुपये पर Futures अनुबंध कर लिया है। 400 रुपये का लाभ होगा। 50 भले ही बाजार मूल्य रु। 350. इस तरह आप भविष्य की मांग, कीमत का अनुमान लगा सकते हैं और नुकसान भी कम कर सकते हैं। आप वायदा अनुबंध के मामले में वास्तव में कम मार्जिन का उपयोग करके व्यापार कर सकते हैं
ऑप्शन क्या हैं? Future Option Trading Hindi
What are Options ? :- ऑप्शन Contract buyer को अधिकार देता है, लेकिन वह संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए बाध्य नहीं है। जबकि Contract buyer का seller ऑप्शन contract buyer के निर्णय के आधार पर संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए बाध्य है। उदाहरण के लिए, आपके पास एक बाइक है और आपने बाइक के ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? लिए रु. का बीमा खरीदा है। 10000. अगर आपकी बाइक खराब हो जाती है
तो आपको एग्रीमेंट के अनुसार आपका बीमा क्लेम मिलेगा। लेकिन अगर ऐसा कोई नुकसान नहीं होता है, तो आपके द्वारा भुगतान किया गया प्रीमियम बीमा कंपनी की आय बन जाता है। ऑप्शन खरीदार के मामले में, वापसी की संभावना असीमित है जबकि जोखिम या हानि केवल प्रीमियम तक ही सीमित है।
ऑप्शन विक्रेता के मामले में, रिटर्न प्रीमियम तक सीमित है जबकि इसमें शामिल जोखिम असीमित है। कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन नाम से 2 तरह के ऑप्शन होते हैं
1. कॉल ऑप्शन ;- इस मामले में, owner के पास Property खरीदने का अधिकार है लेकिन उसके पास कोई obligation नहीं है। उदाहरण के लिए, आपने सोनू के साथ टीसीएस शेयर रुपये पर खरीदने के लिए कॉल ऑप्शन अनुबंध किया। 500. बाजार में टीसीएस की कीमत रु. 600. तो आप निश्चित रूप से सोनू से रुपये में शेयर खरीदना पसंद करेंगे।
500 रुपये देने के बजाय। 100 और। आपका लाभ रु. इस मामले में 100. यदि शेयर की कीमत बाजार में 400 रुपये है, तो आप इसे सोनू से खरीदने के बजाय बाजार से खरीदना पसंद करेंगे। तो सोनू को यहाँ क्या लाभ होता है? जब आप एक अनुबंध में प्रवेश करते हैं, तो आपको एक प्रीमियम का भुगतान करना होता है। इसलिए यदि आप सोनू से शेयर नहीं खरीदते हैं, तो भी वह आपके द्वारा पहले भुगतान किए गए प्रीमियम के कारण लाभान्वित होता है।
2. पुट आप्शन :- पुट ऑप्शन खरीदार को बेचने का अधिकार है, लेकिन contract को बेचने का कोई दायित्व नहीं है और पुट ऑप्शन विक्रेता को खरीदने का दायित्व है। इस मामले में भी, अनुबंध का खरीदार प्रीमियम का भुगतान करता है। अनुबंध buyer के मामले में लाभ असीमित है जबकि अनुबंध seller के मामले में यह सीमित है
फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?
What is future and option trading? फ्यूचर्स और ऑप्शंस का एक फायदा यह है कि आप इन्हें विभिन्न एक्सचेंजों पर स्वतंत्र रूप से trading कर सकते हैं। उदा. आप स्टॉक एक्सचेंजों पर स्टॉक फ्यूचर्स और विकल्पों का व्यापार कर सकते हैं, कमोडिटी एक्सचेंजों पर कमोडिटी आदि। एफ एंड ओ ट्रेडिंग के बारे में सीखते समय, यह समझना आवश्यक है कि आप अंतर्निहित परिसंपत्ति पर कब्जा किए बिना ऐसा कर सकते हैं।
हालांकि, हो सकता है कि आप सोने को खरीदने में दिलचस्पी न लें, फिर भी आप सोने के वायदा और विकल्पों में निवेश करके वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं। इन मूल्य परिवर्तनों से लाभ के लिए आपको बहुत कम पूंजी की आवश्यकता होगी।
कमोडिटी में फ्यूचर और ऑप्शन Future Option Trading Hindi
Futures and options in commodities :-कमोडिटी में फ्यूचर और ऑप्शननिवेशकों के लिए एक और विकल्प हैं। हालांकि, कमोडिटी बाजार अस्थिर हैं, इसलिए उनमें केवल तभी उद्यम करना बेहतर है जब आप ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? काफी जोखिम उठा सकते हैं। चूंकि कमोडिटी के लिए मार्जिन कम है, इसलिए काफी उत्तोलन की गुंजाइश है। उत्तोलन लाभ के अधिक अवसर प्रस्तुत कर सकता है, लेकिन जोखिम समान रूप से अधिक होता है।
आप भारत में कमोडिटी एक्सचेंजों जैसे मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) के माध्यम से कमोडिटी फ्यूचर्स और विकल्पों का व्यापार कर सकते हैं।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि फ्यूचर और ऑप्शन क्या हैं क्योंकि वे दुनिया में एक आवश्यक वित्तीय भूमिका निभाते हैं। वे कीमतों में उतार-चढ़ाव के खिलाफ बचाव में मदद करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि बाजार तरल हो। एक जानकार निवेशक भी इन डेरिवेटिव में निवेश करके लाभ कमा सकता है।
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Stock Market: मसालों में ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? ऑप्शन ट्रेडिंग को SEBI ने दी मंजूरी
जीरा, हल्दी, धनिया पाउडर, ये वो मसाले हैं जो आपकी किचन में मिलते हैं. अक्सर आपने सुना होगा कि इन मसालों का तड़का सिर्फ खाने बनाने में लगता है लेकिन स्टॉक मार्केट में भी इनकी अहम भूमिका है. मसालों की अब ऑप्शन ट्रेडिंग भी होगी. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने मसालों की ऑप्शन ट्रेडिंग को मंजूरी दे दी है. अब 15 जुलाई से NCDEX पर ऑप्शन ट्रेडिंग को मंजूरी मिल गई है.