शुरुआती लोगों की मुख्य गलतियाँ

बाजार के लिए वैश्विक रणनीति

बाजार के लिए वैश्विक रणनीति
जीआईएनए रिपोर्ट (अस्थमा प्रबंधन और रोकथाम के लिए वैश्विक रणनीति) को 2002 के बाद सालाना अद्यतन किया गया है, और जीआईएनए रिपोर्टों के आधार पर प्रकाशनों का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है। 2001 में, जीआईएनए ने सालाना विश्व अस्थमा दिवस शुरू किया, अस्थमा के बोझ के बारे में जागरूकता बढ़ाई, और अस्थमा को प्रबंधित करने और नियंत्रित करने के प्रभावी तरीकों के बारे में परिवारों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को शिक्षित करने के लिए स्थानीय और राष्ट्रीय गतिविधियों के लिए ध्यान केंद्रित किया।

अस्थमा के प्रबंधन और रोकथाम के लिए वैश्विक रणनीति

अस्थमा सभी आयु समूहों को प्रभावित करने वाली एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है। इसका विस्तार कई देशों में बढ़ रहा है, खासकर बच्चों के बीच। हालांकि कुछ देशों ने अस्पताल में भर्ती और अस्थमा से मृत्यु में कमी देखी है, अस्थमा अभी भी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर और समाज पर उत्पादकता में उत्पादकता के नुकसान और परिवार के लिए अस्थमा, परिवार में व्यवधान के माध्यम से एक अस्वीकार्य बोझ लगाता है।

एक्सएनएएनएक्स में, नेशनल हार्ट, फेफड़े और ब्लड इंस्टीट्यूट ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एक कार्यशाला आयोजित करने के लिए सहयोग किया जिसने कार्यशाला रिपोर्ट की शुरुआत की: अस्थमा प्रबंधन और रोकथाम के लिए वैश्विक रणनीति। इसके बाद अस्थमा के रोगियों की देखभाल के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए अस्थमा (जीआईएनए), व्यक्तियों, संगठनों, और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के नेटवर्क के लिए वैश्विक पहल की स्थापना और बेहतर अस्थमा में वैज्ञानिक साक्ष्य का अनुवाद करने के लिए एक तंत्र प्रदान करने के लिए देखभाल।

वैश्विक बाजार में मंदी छाई है, भारत में नौकरी करने वालों के ‘अच्छे दिन’

salary hike

वैश्विक बाज़ार के हालात इस समय कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं। बाजार के लिए वैश्विक रणनीति स्वयं को कथित महाशक्ति मानने वाले देश इस वक्त मंदी के सामने घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। कोरोना महामारी और उसके बाद रूस-यूक्रेन के कारण वैश्विक बाज़ार को काफी आघात पहुंचा है। अमेरिका, चीन जैसे बड़े बड़े देशों की भी हालत खराब होती चली जा रही है। इस बीच ऐसी खबरें लगातार सामने आ रही है कि मंदी की चपेट में आने के कारण कई बाजार के लिए वैश्विक रणनीति कंपनियां बड़ी संख्या में लोगों से रोजगार छिन रही है।

इन सबके बीच भारत ही ऐसा एकमात्र देश है जो सुकून की सांस ले रहा है। मंदी की वजह से पैदा हुए हालातों से भारत अब तक अछूता रहा है। जहां एक तरफ दूसरे देश वैश्विक मंदी के चलते अपने कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल रहे हैं, तो वहीं भारतीय कंपनियां ऊंचाइयां हासिल करने के प्रयास में जुटी हुई है। केवल इतना तो नहीं भारत में कर्मचारियों का वेतन तक बढ़ाने का विचार किया जा रहा है और वो भी डबल डिजिट में।

सैलरी में होगी बड़ी वृद्धि

दरअसल, अभी हाल ही में एक रिपोर्ट ऐसी सामने आई है, जो भारतीय कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान ला सकती है। रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति के बीच और कंपनियों की लाभप्रदता कम होने के बाद भी भारतीय कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होने की संभावना है। कंपनियां अपने कर्मचारियों की सैलरी में 10.4 फीसदी की वृद्धि कर सकती हैं। अग्रणी वैश्विक पेशेवर सेवा फर्म एओएन पीएलसी के द्वारा भारत में नवीनतम वेतन वृद्धि सर्वेक्षण के अनुसार भारत में वर्ष 2023 में 10.4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। बात पिछले वर्ष की करें तो साल 2022 में अब तक 10.6 प्रतिशत ही वृद्धि हुई थी, जो इससे थोड़ी अधिक है।

देखा जाए तो वर्ष 2022 से दस साल पहले यानी 2012 में भारतीय उद्योग जगत में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी डबल डिजिट में बढ़ी थी। इस बार सर्वे में देश में 40 से अधिक उद्योगों की 1,300 कंपनियों का विश्लेषण किया गया। इस वर्ष कर्मचारियों की सैलरी में औसतन 10.6 फीसदी की वृद्धि के साथ भारतीय उद्योग जगत ने दुनिया के कई विकसित देशों की तुलना में अधिक वृद्धि की है। विश्लेषण मे यह बताया गया है साल 2022 की पहली छमाही में नौकरी छोड़ने वाले लोगों की संख्या 20.3 प्रतिशत थी, जो कि साल 2021 में दर्ज 21 प्रतिशत की तुलना में कम है। सर्वेक्षण में ये बात कही गयी है कि यह प्रवृत्ति अगले कुछ महीनों तक ऐसे ही रहने की उम्मीद है।

अलीबाबा ने 10 हजार लोगों को नौकरी से निकाला

चीन की अर्थव्यवस्था को ही देख लें तो साल 2022 की पहली तिमाही में वहां सकल घरेलू उत्पाद (GDP) केवल 0.4 प्रतिशत ही बढ़ी थी, जबकि जीडीपी विकास दर 5.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद की जा रही थी। स्टॉक के विभिन्न आर्थिक विशेषज्ञ, अरबपति, निवेशक और सरकार के अधिकारियों का ऐसा मानना है कि अमेरिकी की अर्थव्यवस्था भी अब गिर रही है। कथित तौर पर अप्रैल 2020 में अमेरिका ने लगभग 20.5 मिलियन नौकरियां खो दी थी। जब से वैश्विक मंदी की खबरें आई है तब से कई बड़ी-बड़ी कंपनियों में छंटनी की भी खबरे चर्चा का विषय बनाई हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन की अलीबाबा ने एक साथ 10,000 कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल दिया है।

मौजूदा समय में हर क्षेत्र में भारत का दबदबा देखने को मिल रहा है। बीते कुछ सालों में भारतीय आईटी क्षेत्र से काफी तरक्की हुई। भारतीय टेक कंपनियों और स्टार्टअप ने अपनी मजबूत प्रदर्शन किया है। विभिन्न तरह की सरकारी योजनाएं जैसे मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत इसमें काफी सहयोग कर रही है। भारत एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। भारत के विकास में अपना योगदान देने के लिए टाटा समूह भी आगे आया है। टाटा समूह की योजना भारत में आईफोन का निर्माण करने की है।

बाजार के लिए वैश्विक रणनीति

वैश्विक बाजार में मचेगी ब्रांड यूपी की धूम, ओडीओपी उत्पाद बनेंगे जरिया

-योगी सरकार ने की ओडीओपी को लोकल से ग्लोबल बनाने की मुकम्मल तैयारी

-मिडिल ईस्ट, यूरोपियन यूनियन, नार्डिक, अफ्रीका और सीआईएस क्षेत्र के देश होंगे बाजार

लखनऊ, 21 जुलाई (हि.स.)। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही वैश्विक बाजार में “ब्रांड यूपी“ की धूम मचेगी। विविधता से भरपूर ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) के खूबसूरत उत्पाद इसका माध्यम बनेंगे।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को यहां बताया कि यह एक तरीके से उत्तर प्रदेश के ओडीओपी उत्पादों को “लोकल से ग्लोबल“ बनाने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस बाबत मुकम्मल तैयारी की है।

वैश्विक बाजार की संभावनाओं वाले करीब तीन दर्जन देश बाजार के लिए वैश्विक रणनीति चिह्नित

वन धन सेल्फ हेल्प ग्रुप से मिल रही आजीविका

बता दें कि दो साल से भी काम समय में, ट्राइफेड ने 25 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के, 3110 वन धन विकास केन्द्रों से बने 52,967 वन धन सेल्फ हेल्प ग्रुप को स्वीकृति दी है और जिससे 9.27 लाख लाभार्थियों को आजीविका प्राप्त हुई है । इस योजना के माध्यम से विकसित किए गए उत्पादों को ट्राइब्स इंडिया आउटलेट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (www.tribesindia.com) के माध्यम से बेचा जाता है और उन्हें अन्य मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी विपणन किया जाता है।

वर्तमान में, एक आदर्श वन-स्टॉप गंतव्य, “ट्राइब्स इंडिया” के कैटलॉग जिसमें देश भर के प्राकृतिक उत्पाद, हस्तशिल्प और हथकरघा आदिवासी जीवन के तरीकों को दर्शाते हैं, को शामिल किया गया है। इसके अलावा, TRIFED जनजातीय उत्पादों को “ट्राइब्स इंडिया” नामक अपनी दुकानों के माध्यम से और फ्रेंचाइजी आउटलेट्स और राज्य एम्पोरिया के आउटलेट्स के माध्यम से विपणन कर रहा है। TRIFED ने 1999 में नई दिल्ली में एकल दुकान के साथ शुरुआत की और अब, TRIFED 119 ऐसे आउटलेट के माध्यम से इन आदिवासी उत्पादों का विपणन बाजार के लिए वैश्विक रणनीति करता है।

क्षमता

हमारा ऐतिहासिक बाजार लाभ सबसे कम संभव समय के भीतर सर्वोत्तम परिणाम दिखाना है। हमारी अंतिम दक्षता और प्रदर्शन दुनिया के सबसे बड़े ग्राहकों और निवेशकों बाजार के लिए वैश्विक रणनीति के साथ दीर्घकालिक सहयोग सुनिश्चित करता है, जो लंबे समय तक हमारे नियोजन क्षितिज का विस्तार करता है।

ग्राहकों, कर्मचारियों, निवेशकों और देनदारों के साथ स्‍पष्‍ट और बाजार के लिए वैश्विक रणनीति विश्वासनीय संबंध बनाना हमारे दर्शन का एक प्रमुख घटक है और कंपनी की वित्तीय सफलता के प्रमुख तत्वों में से एक है।

हम शहरों, देशों और महाद्वीपों के बीच मौजूद बाधाओं को मिटाते हैं और हमारी पीढ़ी के वैश्विक कार्यों को हल करने के लिए लोगों और विचारों को एकजुट करते हैं। वैश्विक सहक्रिया रणनीति को बढ़ावा देकर, हम वैश्विक वित्तीय प्रणाली के विकास में योगदान देते हैं।

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