शुरुआती लोगों की मुख्य गलतियाँ

लिक्विडिटी

लिक्विडिटी

क्या है फाइनेंशियल लिक्विडिटी ? निवेश करने से पहले इसका पता लगाना जरूरी

दरअसल किसी एसेट को कैश में बदलने में जितना कम वक्त लगता है वह उतना ही लिक्विड होता है. बैंक एफडी, लिस्टेड कंपनियों के शेयर और ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड जैसे एसेट ज्यादा लिक्विड होते हैं.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 13 Jan 2021 01:06 PM (IST)

फाइनेंशियल लिक्विडिटी का सीधा सा मतलब यह है कि बाजार की कीमतों के मुताबिक आपका मौजूदा एसेट कितनी जल्दी कैश में बदल सकता है. जब भी आप कोई ऐसे एसेट में निवेश के लिए फाइनेंशियल प्लानर की सलाह लेने जाते हैं, तो आपको एसेट की लिक्विडिटी पर ध्यान देने को कहा जाता है. अलग-अलग एसेट के हिसाब से लिक्विडिटी भी अलग-अलग होती है. दरअसल एसेट को कैश में बदलने की जरूरत आपको तब पड़ती है लिक्विडिटी जब आपको खर्च या निवेश करने के लिए तुरंत कैश की जरूरत हो.

बैंक एफडी, म्यूचुअल फंड, शेयरों की लिक्विडिटी अधिक

दरअसल किसी एसेट को कैश में बदलने में जितना कम वक्त लगता है वह उतना ही लिक्विड होता है. बैंक एफडी, लिस्टेड कंपनियों के शेयर और ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड जैसे एसेट लिक्विडिटी लिक्विडिटी ज्यादा लिक्विड होते हैं. किसी एसेट जितनी कम लागत में कैश में बदला जाए उसकी लिक्विडिटी और अच्छी मानी जाती है. कुछ एसेट ऐसे होते हैं, जिसे बेचने या उसमें से निकलने पर पेनल्टी या एग्जिट फीस लगती है. इस हिसाब से यह कमजोर लिक्विडिटी वाले एसेट माने जाएंगे.

कंपनियों की लिक्विडिटी भी है अहम

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एफडी, म्यूचुअल फंड, शेयर और गोल्ड ऐसे एसेट हैं, जिनकी लिक्विडिटी अधिक है. वहीं मकान, बिल्डिंग, प्लांट, मशीनरी में लिक्विडिटी कम होती है. किसी कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ जानने के लिए कंपनी की लिक्विडिटी का पता किया जाता है. यह देखा जाता है कि कंपनी अपने शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कर्जों को चुकाने में कितनी सक्षम है. कंपनी की लिक्विडिटी कैश, रेश्यो, करंट रेश्यो और कुछ अन्य तरीकों से भी पता की जा सकती है.

Published at : 13 Jan 2021 01:05 PM (IST) Tags: Financial liquidity Bond Bank Fixed Deposit Mutual fund हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

'फाइनेंशियल लिक्विडिटी' क्‍या है? इसके बारे में यहां जानिए 5 अहम बातें

जब आप कोई एसेट खरीदने वाले होते हैं तो फाइनेंशियल प्‍लानर अक्‍सर उसमें 'लिक्विडिटी' के पहलू पर ध्‍यान देने को कहते हैं. आखिर ये लिक्विडिटी क्‍या है? एसेट से इसका क्‍या संबंध है? यहां हम इसी के बारे में 5 महत्‍वपूर्ण लिक्विडिटी चीजों के बारे में बता रहे हैं.

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हर तरह के एसेट की फाइनेंशियल लिक्विडिटी अलग-अलग होती है. बैंक फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट, सूचीबद्ध शेयर और ओपन-एंडेड म्‍यूचुअल फंड जैसे एसेट अपेक्षाकृत ज्‍यादा लिक्विड होते हैं.

2. किसी एसेट को कैश में बदलने में जितना कम वक्‍त लगता है, वह उतना ही ज्‍यादा लिक्विड होता है. बैंक फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट, सूचीबद्ध शेयर और ओपन-एंडेड म्‍यूचुअल फंड जैसे एसेट अपेक्षाकृत ज्‍यादा लिक्विड होते हैं.

3. जितनी कम लागत में किसी एसेट को कैश में बदल लिया जाए, वह उतना ज्‍यादा लिक्विड होता है. कुछ एसेट के साथ पेनाल्‍टी और एग्जिट लोड होते हैं, जो उसकी कॉस्‍ट बढ़ाते हैं.

4. किसी एसेट की तेज बिक्री में प्राइस फ्लक्‍चुएशन जितना कम होगा, वह उतना अधिक लिक्विड होगा. मसलन, लिक्विट शेयरों को उसके दाम में बगैर बहुत कटौती किए बेचा जा सकता है.

5. फाइनेंशियल एडवाइजर सलाह देते हैं कि इमर्जेंसी के लिए आपका पैसा लिक्विड एसेट्स में लगा होना चाहिए. यह पैसा आपके छह महीनों के खर्च के बराबर होना चाहिए.

इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.

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क्या है फाइनेंशियल लिक्विडिटी ? निवेश करने से पहले इसका पता लगाना जरूरी

दरअसल किसी एसेट को कैश में बदलने में जितना कम वक्त लगता है वह उतना ही लिक्विड होता है. बैंक एफडी, लिस्टेड कंपनियों के शेयर और ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड जैसे एसेट ज्यादा लिक्विड होते हैं.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 13 Jan 2021 01:06 PM (IST)

फाइनेंशियल लिक्विडिटी का सीधा सा मतलब यह है कि बाजार की कीमतों के मुताबिक आपका मौजूदा एसेट कितनी जल्दी कैश में बदल सकता है. जब भी आप कोई ऐसे एसेट में निवेश के लिए लिक्विडिटी फाइनेंशियल प्लानर की सलाह लेने जाते हैं, तो आपको एसेट की लिक्विडिटी पर ध्यान देने को कहा जाता है. अलग-अलग एसेट के हिसाब से लिक्विडिटी भी अलग-अलग होती है. दरअसल एसेट को कैश में बदलने की जरूरत आपको तब पड़ती है जब आपको खर्च या निवेश करने के लिए तुरंत कैश की जरूरत हो.

बैंक एफडी, म्यूचुअल फंड, शेयरों की लिक्विडिटी अधिक

दरअसल किसी एसेट को कैश में बदलने में जितना कम वक्त लगता है वह उतना ही लिक्विड होता है. बैंक एफडी, लिस्टेड कंपनियों के शेयर और ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड जैसे एसेट ज्यादा लिक्विड होते हैं. किसी एसेट जितनी कम लागत में लिक्विडिटी कैश में बदला जाए उसकी लिक्विडिटी और अच्छी मानी जाती है. कुछ एसेट ऐसे होते हैं, जिसे लिक्विडिटी बेचने या उसमें से निकलने पर पेनल्टी या एग्जिट फीस लगती है. इस हिसाब से यह लिक्विडिटी कमजोर लिक्विडिटी वाले एसेट माने जाएंगे.

कंपनियों की लिक्विडिटी भी है अहम

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एफडी, म्यूचुअल फंड, शेयर और गोल्ड ऐसे एसेट हैं, जिनकी लिक्विडिटी अधिक है. वहीं मकान, बिल्डिंग, प्लांट, मशीनरी में लिक्विडिटी कम होती है. किसी कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ जानने के लिए कंपनी की लिक्विडिटी का पता किया जाता है. यह देखा जाता है कि कंपनी अपने शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कर्जों को चुकाने में कितनी सक्षम है. कंपनी की लिक्विडिटी कैश, रेश्यो, करंट रेश्यो और कुछ अन्य तरीकों से भी पता की जा सकती है.

Published at : 13 Jan 2021 01:05 PM (IST) Tags: Financial liquidity Bond Bank Fixed Deposit Mutual fund हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

बाजार में तेजी की वजह हो सकती है लिक्विडिटी, क्या यह लंबी अवधि में बाजार को ऊपर ले जाने के लिए पर्याप्त है?

निवेश के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pixabay

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। एक निवेशक के तौर पर यह जानना अहम है कि बाजार में रकम का प्रवाह क्यों है? रकम किस तरह के स्टॉक्स में आ रही है? जिनकी रकम बाजार में आ रही है उनका भविष्य का नजरिया क्या है? रकम बाजार में तेजी देखकर आ रही है या निवेश करने वाले अवसर देख रहे हैं? मुनाफा या नुकसान का अनुमान इन बातों पर गौर करके ही लगाया जा सकता है।

बाजार में पिछले कुछ समय की तेजी की वजह लिक्विडिटी हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में सिर्फ लिक्विडिटी ही बाजार को ऊपर नहीं ले जा सकती। इक्विटी मार्केट में तेजी की वजह लिक्विडिटी लिक्विडिटी है। यह इस बात को कहने का एक अलग तरीका है कि जब तक बाजार में शुद्ध रकम नहीं आती है तब तक सामान्य तौर पर स्टॉक कीमतें ऊपर नहीं जाएंगी। यहां शुद्ध रकम का मतलब बाजार में खरीद के तौर पर आने वाली रकम और बिक्री के तौर पर जाने वाली रकम में अंतर से है।

जैसे, बाजार में 100 रुपये की खरीद हुई और 80 रुपये की बिक्री, तो बाजार में शुद्ध राशि सिर्फ 20 रुपये आई। अगर यह सही है तो इसका उलटा भी सही है। जब बाजार में कोई शुद्ध रकम नहीं आ रही है तो बाजार एक स्तर के आसपास ही बना रहता है और जब बाजार से शुद्ध रकम बाहर जाती है तो बाजार गिरता है। वास्तव में यह कहना कि रकम बाजार में आ रही है, इसलिए बाजार बढ़ रहा लिक्विडिटी है, एक ही बात को दो अलग तरीके से कहना है।

पिछले सप्ताह तक बाजार में तेजी का दौर चल रहा था तो लोग अटकलें लगा रहे थे कि ऐसा क्यों है। निश्चित तौर पर कोरोना का तात्कालिक असर उतना ज्यादा नहीं रहा है जितना होने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन कोराना की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। दुनियाभर में कंपनियां और लोग कोरोना से होने वाले नुकसान को लेकर डरे हुए हैं। ऐसे में शेयर बाजार की मजबूती थोड़ी अनुपयुक्त है।

इन सभी विषमताओं का ही नतीजा है कि निवेशकों का बड़ा हिस्सा बाजार में जारी तेजी से चिंतित है और साफ है कि ऐसा लिक्विडिटी की वजह से हो रहा है। पश्चिमी देशों के केंद्रीय बैंकों के पास एक ही ट्रिक बची है। यह ट्रिक है - अर्थव्यवस्थाओं में ज्यादा से ज्यादा लिक्विडिटी रकम डालना। मौजूदा हालात में केंद्रीय बैंकों को भी गलत नहीं कहा जा सकता है, लेकिन जितने बड़े पैमाने पर सिस्टम में रकम डाली जा रही है वह कुछ ज्यादा ही है।

यूएस फेडरल रिजर्व की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में उपलब्ध कुल डॉलर का 40 फीसद पिछले वर्ष पहली मार्च के बाद जारी किया गया है। और यह मात्रा हर दिन बढ़ रही है। यह बहुत बड़ी रकम है और यह रकम कहीं तो जाएगी। इस तर्क के जवाब में आप मीडिया और एनॉलिस्ट की एक राय देख सकते हैं कि अकेली लिक्विडिटी लंबे समय तब बाजार में तेजी नहीं बनाए रख सकती है। बैंक ऑफ जापान इस बात का एक बड़ा उदाहरण है। बैंक यह तरीका दशकों से अपना रहा है, लेकिन इसका असर कुछ खास नहीं रहा है। इसके अलावा भी कई उदाहरण हैं, जो यह बताते हैं कि इक्विटी मार्केट में तेजी बनाए रखने में अकेली लिक्विडिटी सक्षम नहीं है।

जो भी हो, लिक्विडिटी को लेकर किसी अकादमिक बहस में एक निवेशक के तौर पर उलझना हमारा काम नहीं है। हम व्यावहारिक निवेशक हैं और हम यहां कमाने के लिए हैं। इस नजरिये से लिक्विडिटी को लेकर की जा रही बहस का कोई आधार नहीं है। बाजार की ग्रोथ पौधे की तरह है। पौधे के लिए मिट्टी, बीज और मौसम, उर्वरक और पानी - ये सभी चीजें जरूरी हैं। लिक्विडिटी तो बस उर्वरक है। पौधे को पेड़ बनने के लिए और दूसरी चीजें भी सही होनी चाहिए। बहरहाल, हमारा काम इन सब चीजों के बारे में चिंता करना नहीं है। हम यहां जड़ें जमाने और फल देने वाले पेड़ों की पहचान करने और इसकी जानकारी साझा करने के लिए हैं।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)

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