जमा और निकासी के विकल्प

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निवेश करना सीखें
मेटा विवरण : निवेशन और निवेश करना क्यों जरूरी है, इस बारे में हम जान चुके हैं. निवेशन वह प्रक्रिया है जिसमें आपका धन आपके लिए क्रियाशील रहता है और बढ़ता जाता है. हमने निवेश के अलग-अलग विकल्पों के बारे में भी जाना है. इस पाठ में हम सबसे सबसे प्रचलित निवेशों में से एक यानी बैंक जमा (बैंक डिपॉजिट्स) को समझेंगे.
निवेशन एक ऐसा शानदार माध्यम है जिसके सहारे आपके विशेष परिश्रम के बगैर आपकी बचत राशि बढ़ती जाती है. निवेश करने से आपको ब्याज और लाभांश के माध्यम से आमदनी अर्जित करने में मदद मिलती है. अपनी बचत में वृद्धि करने और इस पर अतिरिक्त आमदनी कमाने का यह सबसे बढ़िया तरीका है. (अधिक जानकारी के लिए ‘निवेशन क्या है’ पढ़ें).
किसी भी व्यक्ति के लिए निवेश करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. निवेश करने का सबसे अधिक ज़रूरी कारण यह है कि मुद्रास्फीति यानी महँगाई के असर से पैसों का मूल्य हर साल घट जाता है. हर साल वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है. इसका सीधा मतलब यह है कि 100 रुपये में आप आज जितना सामान खरीद सकते हैं, एक साल के बात उतना नहीं खरीद पायेंगे. मुद्रास्फीति की दर के आधार पर एक साल बाद उसी 10 रुपये के उसी सामान के लिए आपको 105 या 110 रुपये देने पड़ सकते हैं. इस घाटे की भरपाई के लिए निवेश करना ज़रूरी है. (अधिक जानकारी के लिए ‘निवेश क्यों करें’ पढ़ें).
निवेश के सर्वाधिक प्रचलित तरीकों में से एक तरीका है बैंक में जमा रखना. (निवेश के अन्य विकल्पों के लिए ‘निवेश कहाँ करें’ पढ़ें). आप अपना फण्ड बैंक में विभिन्न खातों में रख सकते हैं और बैंक उसके बदले आपको ब्याज देगा. आपका खाता किस प्रकार का है, उसके आधार पर ब्याज की दर में भिन्नता होगी. हर एक खाता अलग प्रकार से काम करता है. आइये, बैंक जमा खातों के विभिन्न प्रकारों पर गौर करें.
जमा रखने के लिए बचत बैंक खाता सबसे आम बैंक खाता है. आप पैसे जमा कर सकते हैं और अपने बचत खाता से भुगतान कर सकते हैं. आप अपने बचत खाता को दूसरे निवेशों के साथ और अपने डीमैट खाते से सम्बद्ध भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आप जो भी निवेश करते हैं उसकी राशि आपके बचत खाते से स्वतः निकल जायेगी और निवेश की अवधि पूरी होने, यानी निवेश के परिपक्व होने पर जो देय राशि होगी वह आपके बचत खाते में जमा हो जायेगी. बचत खाता किसी भी व्यक्ति द्वारा खोला जाने वाला सबसे बुनियादी जमा खाता होता है. जमाकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर अपनी मर्जी से जब चाहे तब अपने बचत खाते से राशि की निकासी कर सकता है. चूंकि जमाकर्ता को बैंक यह नकदी सुविधा (लिक्विडिटी) देती है, इसलिए बचत बैंक खाता पर ब्याज की दर 3.5% से 4% तक होती है. कोटक महिंद्रा बैंक जैसे कुछ बैंक 6% की दर पर ब्याज देते हैं, बशर्ते कि बचत खाते में हर समय 1 लाख रुपये से ज्यादा का अधिशेष (बैलेंस) रहे.
बचत खाता सबसे बुनियादी और सबसे साधारण खाता होता है. इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन भी खोल सकते हैं और बैंक की शाखा में जाकर भी.
- सावधि जमा (फिक्स्ड डिपाजिट) खाता :
सावधि जमा, जो अंग्रेज़ी भाषा के फिक्स्ड डिपाजिट के नाम से प्रचलित है, एक ऐसा खाता होता है जिसमें जमा राशि निर्धारित अवधि के लिए, यानी परिपक्वता तक बंद हो जाती है. सावधि जमा की अवधि निर्धारित रहती है और एक बार राशि का निवेश कर देने पर वह ब्लाक हो जाती है. तथापि, जमाकर्ता अवधि तय कर सकता है. यह अवधि अलग-अलग बैंकों के आधार पर 7 दिनों से लेकर 10 वर्ष तक की होती है. सावधि जमा पर, जमा अवधि के अनुसार 6% से 8% के बीच ब्याज दर होती है. सावधि जमा का ब्याज का भुगतान मासिक या त्रैमासिक हो सकता है, या इसे लेने के बजाय दोबारा निवेश किया जा सकता है. सावधि जमा के ब्याज को दोबारा निवेश कर देने से आपको अतिरिक्त आमदनी होती है क्योंकि बैंक ब्याज की गणना हर तीन महीने पर करता है. चूंकि पिछली तिमाही का ब्याज मूल में जोड़ दिया जाता है, इसलिए आप ब्याज पर ब्याज अर्जित करते रहते हैं. इसे चक्रवृद्धि कहते हैं.
सावधि जमा के बारे में एक बात याद रखनी चाहिए कि पूरी राशि परिपक्वता यानी अवधि पूरी होने पर चुकता की जाती है. आपके पास मूल धन को या पूरी की पूरी परिपक्वता राशि को पुनः निवेश में नवीकरण का विकल्प रहता है. अगर आप यह विकल्प चुनते हैं तो परिपक्वता पर बैंक अपने-आप आपके सावधि जमा का नवीकरण कर देता है. अगर आप सावधि जमा को भुनाने का विकल्प चुनते हैं तो परिपक्वता की राशि आपके बचत खाते में डाल दी जायेगी.
सावधि जमा खाता खोलने के पहले, जिस बैंक में यह खाता खोला जा रहा है, उस ख़ास बैंक में बचत बैंक खाता होना ज़रूरी नहीं है. मतलब यह कि आप किसी जमा और निकासी के विकल्प भी बैंक में सावधि जमा खाता खोल सकते हैं, भले ही उस बैंक में आपका बचत खाता नहीं हो. किन्तु, उस बैंक में बचत खाता हो तो अच्छा रहता है. सावधि जमा इन्टरनेट बैंकिंग के सहारे ऑनलाइन या फिर बैंक की शाखा में जाकर खोला जा सकता है.
- आवर्ती जमा (रेकरिंग डिपाजिट) खाता :
आवर्ती जमा यानी रेकरिंग डिपाजिट खाता एक ऐसा खाता है जहां पहले से तय अवधि के लिए एक निश्चित अंतराल पर खाते में एक निश्चित क़िस्त चुकता किया जाता है. ये सभी किस्तें एक ही दिन परिपक्व होतीं हैं. साधारण शब्दों में आवर्ती जमा खाता एक ही राशि के एक से अधिक सावधि जमा खातों के समान है जो एक ही दिन परिपक्व होते हैं.
कुछ बैंक लचीली किस्तों की सुविधा देते हैं, लेकिन अधिकतर बैंकों में आवर्ती जमा में जमा राशि निश्चित होती है. सबसे आम आवर्ती जमा है मासिक क़िस्त पद्धति. कुछ बैंकों में तिमाही और छमाही किस्तों की भी सुविधा उपलब्ध है.
आवर्ती जमा आम तौर पर छोटी शुरुआती निवेश से आरम्भ किये जाते हैं. इस कारण से छोटी बचत करने के इच्छुक लोगों के लिए यह एक शानदार विकल्प है. आवर्ती जमा पर सावती जमा के समान ब्याज दर ही मिलता है, यानी 6% से 8% तक. किन्तु, चूंकि मूल राशि एक बार में नहीं बल्कि किस्तों में जमा की जाती है, इसलिए आवर्ती जमा पर अर्जित कुल ब्याज सावधि जमा पर अर्जित कुल ब्याज से कम होता है. इस प्रकार, आवर्ती जमा के लिए आपको नियमित मासिक अंतराल पर पैसा निवेश करना पड़ता है जिससे जमा का अनुशासन बढ़ता है. शुरुआत करने वालों के लिए यह निवेश का एक शानदार विकल्प है.
उपसंहार :
बैंक जमा, जमा और निकासी के विकल्प जमा और निकासी के विकल्प निवेश करने का सबसे आम तरीकों में से एक है. बचत खाता किसी व्यक्ति द्वारा खोला जाने वाला सबसे बुनियादी खाता होता है. सावधि जमा या आवर्ती जमा में पैसों का निवेश करना किसी ख़ास अल्पकालिक लक्ष्य के लिए धन एकत्र करने का एक शानदार तरीका है. भले ही इन सभी पर ब्याज सबसे अधिक नहीं मिलता है, तो भी ये आमदनी अर्जित करने के भरोसेमंद और सुनिश्चित माध्यम हैं.
निवेश करना सीखें
मेटा विवरण : निवेशन और निवेश करना क्यों जरूरी है, इस बारे में हम जान चुके हैं. निवेशन वह प्रक्रिया है जिसमें आपका धन आपके लिए क्रियाशील रहता है और बढ़ता जाता है. हमने निवेश के अलग-अलग विकल्पों के बारे में भी जाना है. इस पाठ में हम सबसे सबसे प्रचलित निवेशों में से एक यानी बैंक जमा (बैंक डिपॉजिट्स) को समझेंगे.
निवेशन एक ऐसा शानदार माध्यम है जिसके सहारे आपके विशेष परिश्रम के बगैर आपकी बचत राशि बढ़ती जाती है. निवेश करने से आपको ब्याज और लाभांश के माध्यम से आमदनी अर्जित करने में मदद मिलती है. अपनी बचत में वृद्धि करने और इस पर अतिरिक्त आमदनी कमाने का यह सबसे बढ़िया तरीका है. (अधिक जानकारी के लिए ‘निवेशन क्या है’ पढ़ें).
किसी भी व्यक्ति के लिए निवेश करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. निवेश करने का सबसे अधिक ज़रूरी कारण यह है कि मुद्रास्फीति यानी महँगाई के असर से पैसों का मूल्य हर साल घट जाता है. हर साल वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है. इसका सीधा मतलब यह है कि 100 रुपये में आप आज जितना सामान खरीद सकते हैं, एक साल के बात उतना नहीं खरीद पायेंगे. मुद्रास्फीति की दर के आधार पर एक साल बाद उसी 10 रुपये के उसी सामान के लिए आपको 105 या 110 रुपये देने पड़ सकते हैं. इस घाटे की भरपाई के लिए निवेश करना ज़रूरी है. (अधिक जानकारी के लिए ‘निवेश क्यों करें’ पढ़ें).
निवेश के सर्वाधिक प्रचलित तरीकों में से एक तरीका है बैंक में जमा रखना. (जमा और निकासी के विकल्प जमा और निकासी के विकल्प निवेश के अन्य विकल्पों के लिए ‘निवेश कहाँ करें’ पढ़ें). आप अपना फण्ड बैंक में विभिन्न खातों में रख सकते हैं और बैंक उसके बदले आपको ब्याज देगा. आपका खाता किस प्रकार का है, उसके आधार पर ब्याज की दर में भिन्नता होगी. हर एक खाता अलग प्रकार से काम करता है. आइये, बैंक जमा खातों के विभिन्न प्रकारों पर गौर करें.
जमा रखने के लिए बचत बैंक खाता सबसे आम बैंक खाता है. आप पैसे जमा कर सकते हैं और अपने बचत खाता से भुगतान कर सकते हैं. आप अपने बचत खाता को दूसरे निवेशों के साथ और अपने डीमैट खाते से सम्बद्ध भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आप जो भी निवेश करते हैं उसकी राशि आपके बचत खाते से स्वतः निकल जायेगी और निवेश की अवधि पूरी होने, यानी निवेश के परिपक्व होने पर जो देय राशि होगी वह आपके बचत खाते में जमा हो जायेगी. बचत खाता किसी भी व्यक्ति द्वारा खोला जाने वाला सबसे बुनियादी जमा खाता होता है. जमाकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर अपनी मर्जी से जब चाहे तब अपने बचत खाते से राशि की निकासी कर सकता है. चूंकि जमाकर्ता को बैंक यह नकदी सुविधा (लिक्विडिटी) देती है, इसलिए बचत बैंक खाता पर ब्याज की दर 3.5% से 4% तक होती है. कोटक महिंद्रा बैंक जैसे कुछ बैंक 6% की दर पर ब्याज देते हैं, बशर्ते कि बचत खाते में हर समय 1 लाख रुपये से ज्यादा का अधिशेष (बैलेंस) रहे.
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- सावधि जमा (फिक्स्ड डिपाजिट) खाता :
सावधि जमा, जो अंग्रेज़ी भाषा के फिक्स्ड डिपाजिट के नाम से प्रचलित है, एक ऐसा खाता होता है जिसमें जमा राशि निर्धारित अवधि के लिए, यानी परिपक्वता तक बंद हो जाती है. सावधि जमा की अवधि निर्धारित रहती है और एक बार राशि का निवेश कर देने पर वह ब्लाक हो जाती है. तथापि, जमाकर्ता अवधि तय कर सकता है. यह अवधि अलग-अलग बैंकों के आधार पर 7 दिनों से लेकर 10 वर्ष तक की होती है. सावधि जमा पर, जमा अवधि के अनुसार 6% से 8% के बीच ब्याज दर होती है. सावधि जमा का ब्याज का भुगतान मासिक या त्रैमासिक हो सकता है, या इसे लेने के बजाय दोबारा निवेश किया जा सकता है. सावधि जमा के ब्याज को दोबारा निवेश कर देने से आपको अतिरिक्त आमदनी होती है क्योंकि बैंक ब्याज की गणना हर तीन महीने पर करता है. चूंकि पिछली तिमाही का ब्याज मूल में जोड़ दिया जाता है, इसलिए आप ब्याज पर ब्याज अर्जित करते रहते हैं. इसे चक्रवृद्धि कहते हैं.
सावधि जमा के बारे में एक बात याद रखनी चाहिए कि पूरी राशि परिपक्वता यानी अवधि पूरी होने पर चुकता की जाती है. आपके पास मूल धन को या पूरी की पूरी परिपक्वता राशि को पुनः निवेश में नवीकरण का विकल्प रहता है. अगर आप यह विकल्प चुनते हैं तो परिपक्वता पर बैंक अपने-आप आपके सावधि जमा का नवीकरण कर देता है. अगर आप सावधि जमा को भुनाने का विकल्प चुनते हैं तो परिपक्वता की राशि आपके बचत खाते में डाल दी जायेगी.
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बचत खाता से बेहतर बहु विकल्प जमा योजना में पैसा रखना, एसबीआई की इस सुविधा का जानें फायदे और नुकसान
हम में से अधिकांश अपने अतिरिक्त पैसे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बचत खाता में रखते हैं। बचत खाते पर एफडी के मुकाबले कम ब्याज मिलता है लेकिन आसान निकासी विकल्प के कारण इसका चयन करते हैं। ऐसे में भारतीय.
हम में से अधिकांश अपने अतिरिक्त पैसे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बचत खाता में रखते हैं। बचत खाते पर एफडी के मुकाबले कम ब्याज मिलता है लेकिन आसान निकासी विकल्प के कारण इसका चयन करते हैं।
ऐसे में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का मल्टी बहु विकल्प जमा योजना (मोड्स) बेहतर विकल्प जमा और निकासी के विकल्प जमा और निकासी के विकल्प है। मोड्स टर्म डिपॉजिट की तरह है जो बचत या चालू खाते से जुड़ा रहता है। सामान्य टर्म डिपॉजिट्स से पैसे निकालने के लिए उसे पूरी तरह बंद करना पड़ता है, लेकिन मोड्स खाते से 1 हजार रुपये के गुणक में अपनी जरूरत के मुताबिक पैसे निकाल सकते हैं।
पैसे निकालने के बाद जो पैसे खाते में शेष रहेंगे, उस पर टर्म डिपॉजिट्स की दर से ब्याज मिलता रहेगा। यह ब्याज दर बैंक द्वारा निर्धारित समयावधि के लिए तय की जाती है। मोड्स खाता खोलने के लिए अपनी नजदीकी शाखा पर संपर्क कर सकते हैं या ऑनलाइन एसबीआई के माध्यम से इसे शुरू कर सकते हैं।
मोड्स खाता की खासियत
- इस खाते में कम से कम एक वर्ष और अधिक से अधिक पांच वर्ष के लिए जमा कर सकते हैं।
- मोड्स के तहत न्यूनतम 10 हजार रुपये में खाता जमा और निकासी के विकल्प खोला जा सकता है और इसके बाद एक हजार रुपये के गुणक में इसमें जमा किया जा सकता है। जमा की अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है।
- इस खाते में जमा पर ब्याज टर्म डिपॉजिट्स की तरह ही मिलता है। वरिष्ठ नागरिकों को 0.5 फीसदी की जमा और निकासी के विकल्प दर से ब्याज अधिक मिलता है।
- किसी को नॉमिनी भी बना सकते हैं।
- इस खाते पर कर्ज लेने की सुविधा भी है।
- एक ब्रांच से दूसरे ब्रांच में इस खाते को ट्रांसफर कर सकते हैं।
जुड़े हुए खाते में न्यूनतम जमा होना जरूरी
मोड्स से जुड़े खाते में न्यूनतम जमा तीन हजार होना जरूरी है। अगर ऐसी परिस्थिति आती है कि यह राशि कम हो जाती है तो सिस्टम खुद ही एमओडी तोड़कर न्यूनतम राशि के स्तर को बनाए रखेगा। अगर एमओडी में भी पर्याप्त राशि नहीं है कि लिंक्ड खाते में न्यूनतम जमा राशि के स्तर को बनाया न रखा जा सके तो ग्राहक को पेनाल्टी देनी होगी। पेनाल्टी राशि शाखा लोकेशन के आधार पर निर्धारित होगी।
ब्याज दर का निर्धारण
मोड्स खाते में जमा रकम पर एफडी की दर से ब्याज का भुगतान किया जाता है। ऐसे में अगर आप भी को देंखे तो बचत खाते के मुकाबले दोगुना ब्याज पाने का विकल्प मोड्स खाते के तहत ले सकते हैं।
NPS Tier1 Vs Tier2: पाना चाहते हैं अतिरिक्त Tax छूट, एनपीएस अकाउंट खुलवाते वक्त चुनें ये विकल्प
नेशनल पेंशन स्कीम में दो तरह के अकाउंट खुलते हैं. पहले प्रकार के अकाउंट को एनपीएस टिअर-1 (NPS Tier-1) के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरे प्रकार के अकाउंट को एनपीएस टिअर-2 (NPS Tier-2) कहा जाता है. इन दोनों के बीच कुछ बड़े अंतर भी हैं. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.
सुभाष कुमार सुमन
- नई दिल्ली,
- 19 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 19 अगस्त 2022, 3:53 PM IST)
रिटायरमेंट (Retirement Planning) के हिसाब से फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) करने वाले लोगों के लिए नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme) काफी महत्वपूर्ण योजना है. इस स्कीम में पैसे लगाने के कई फायदे हैं. सबसे पहली बात कि इसे केंद्र सरकार बैक करती है. इसके अलावा इनकम टैक्स से छूट (Income Tax Deductions), जमा और निकासी को लेकर कई विकल्प आदि इस स्कीम को आकर्षक बना देते हैं. एनपीएस से जुड़ी कई अन्य बातें भी हैं, जिन्हें इसमें अकाउंट खुलवाने से पहले जान लेना जरूरी है. एनपीएस खाता खुलवाते समय जरा सी असावधानी आपको टैक्स से मिलने वाली छूट के लाभ से वंचित करा सकती है. आज हम आपको एनपीएस से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातें बताने जा रहे हैं, जिन्हें जान लेने के बाद आपको फैसला करने में आसानी होगी.
NPS Tier1 और NPS Tier2 में कई समानताएं
सबसे पहले आपको बता दें कि नेशनल पेंशन स्कीम में दो तरह के अकाउंट खुलते हैं. पहले प्रकार के अकाउंट को एनपीएस टिअर-1 (NPS Tier-1) के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरे प्रकार के अकाउंट को एनपीएस टिअर-2 (NPS Tier-2) कहा जाता है. यूं तो दोनों तरह के अकाउंट में कई तरह की समानताएं हैं, लेकिन इन दोनों के बीच कुछ बड़े अंतर भी हैं. दोनों तरह के अकाउंट के अपने फायदे और अपने नुकसान हैं. दोनों की संरचना एक जैसी है. दोनों तरह के अकाउंट में चार्जेज और फंड स्कीम के विकल्प लगभग एक समान हैं. आइए अब जानते हैं कि एनपीएस के टिअर-1 और टिअर-2 अकाउंट (NPS Tier1 Vs Tier2) में क्या अंतर हैं.
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रिटायरमेंट के हिसाब से टिअर-1 अकाउंट बेहतर
टैक्स एंड इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन (Tax & Investment Expert Balwant Jain) बताते हैं कि अगर कोई एनपीएस के फायदे पाना चाहता है, तो उसके लिए टिअर-1 अकाउंट ही विकल्प है. टिअर-1 अकाउंट मुख्य तौर पर उन लोगों के लिए है, जिनका पीएफ जमा नहीं होता है और वह रिटायरमेंट के बाद फाइनेंशियल सिक्योरिटी (Financial Security) चाहते हैं. इस प्रकार के अकाउंट यानी एनपीएस टिअर-1 को रिटायरमेंट के हिसाब से ही तैयार किया गया है. इसमें आप न्यूनतम 500 रुपये जमा कर अकाउंट खुलवा सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद आप एक बार में 60 फीसदी तक रकम निकाल सकते हैं. बाकी 40 फीसदी रकम से एन्यूटीज (Annuties) खरीदी जाएंगी, जो मंथली पेंशन (Monthly Pension) के रूप में नियमित आय का साधन सुनिश्चित करता है.
बिना टिअर-1 के नहीं खुलेगा टिअर-2 अकाउंट
जैन बताते हैं, टिअर-1 और टिअर-2 अकाउंट में सबसे बड़ा अंतर है कि टिअर-2 अकाउंट खुलवाने के लिए टिअर-1 अकाउंट का होना जरूरी है. आप बिना टिअर-1 अकाउंट खुलवाए एनपीएस टिअर-2 अकाउंट नहीं खुलवा सकते हैं. एनपीएस टिअर-2 अकाउंट एक तरह से सेविंग अकाउंट (Saving Account) की तरह है. इसमें आप कभी भी अपने हिसाब से पैसे जमा करा सकते हैं और अपनी जरूरत के हिसाब से निकाल सकते हैं. आप चाहें तो एक ही बार में पूरी रकम भी निकाल सकते हैं. इसे न्यूनतम 1000 रुपये देकर खुलवाया जा सकता है. एनपीएस टिअर-1 में हर साल कम -से-कम एक बार पैसे जमा करना जरूरी है, जबकि टिअर-2 में यह बाध्यता नहीं होती है.
कंट्रीब्यूशन पर इनकम टैक्स छूट में ये फर्क
दोनों प्रकार के एनपीएस अकाउंट में एक और बड़ा फर्क इनकम टैक्स से मिलने वाली छूट (Income Tax Benefits) है. एनपीएस टिअर-1 अकाउंट के मामले में अकाउंट होल्डर को इनकम टैक्स एक्ट 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक और 80सीसीडी (1बी) के तहत 50 हजार रुपये के टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है.
वहीं टिअर-2 अकाउंट के मामले में इस तरह का कोई लाभ नहीं मिलता है. साल 2019 से इसमें कुछ बदलाव भी किए गए, लेकिन अब भी सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारी ही एनपीएस टिअर-2 अकाउंट पर टैक्स लाभ उठा सकते हैं. हालांकि उनके लिए भी एक शर्त यह है कि टैक्स छूट का लाभ उठाने के लिए 03 साल का लॉक-इन पीरियड लग जाएगा.
एनपीएस-2 से निकाली कई रकम भी टैक्सेबल
यह बात हो गई कंट्रीब्यूशन की, अब दोनों मामलों में विदड्रॉअल को भी जान लेते हैं. एनपीएस टिअर-1 अकाउंट से निकासी कई गई पूरी रकम को टैक्स से छूट मिलती है. वहीं अगर आपने टिअर-2 अकाउंट से पैसे निकाले, तो निकाली गई रकम को टैक्सेबल इनकम (Taxable Income) माना जाएगा. इस इनकम पर आपको आपके स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स का भुगतान करना होगा.