म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा

ABSLMF Investor App
ABSLMF इन्वेस्टर ऐप आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड का एक पथ-प्रदर्शक म्यूचुअल फंड ऐप है जो आपको अपने सभी सपनों को प्राप्त करने के लिए अपनी मेहनत की कमाई को आसानी से निवेश करने में सक्षम बनाता है!
हम सभी के वित्तीय लक्ष्य होते हैं। हो सकता है कि आप एकमुश्त पैसा निवेश करने या एक नया घर खरीदने, अपने बच्चे की शिक्षा के लिए या अपने और अपने जीवनसाथी के लिए सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय सुरक्षा हासिल करने के लिए एक व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) शुरू करने की योजना बना रहे हों। म्यूचुअल फंड ऐप के रूप में, एबीएसएलएमएफ इन्वेस्टर ऐप का उद्देश्य आपको बिल्कुल परेशानी मुक्त निवेश अनुभव प्रदान करना है। एसआईपी के स्वचालित प्रबंधन में आसानी और लंबी अवधि में उचित रिटर्न के कारण आज म्यूचुअल फंड निवेश तेजी से घरेलू बचत का एक प्रमुख घटक बनता जा रहा है। यह वह जगह है जहां इस म्यूचुअल फंड ऐप को इक्विटी फंड, डेट फंड, हाइब्रिड फंड और आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड द्वारा दी जाने वाली अन्य प्रकार की योजनाओं जैसे म्यूचुअल फंड उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला में निवेश की सुविधा के लिए सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया है। आप अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम उठाने की क्षमता और समय सीमा के आधार पर अपनी पसंद की म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं।
एबीएसएलएमएफ निवेशक ऐप के इस्तेमाल से म्यूचुअल फंड में निवेश की पूरी प्रक्रिया आसान, तेज और कागज रहित हो जाएगी। आपको बस Android/IOS के लिए ABSLMF Investor ऐप डाउनलोड करना है और अपने लक्ष्यों के लिए स्मार्ट तरीके से बचत करना शुरू करना है। एमएफ ऐप आपको कुछ सरल स्वाइप के माध्यम से एसआईपी या एकमुश्त निवेश करने की अनुमति देता है।
यदि आपने पहले किसी उद्देश्य के लिए म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश नहीं किया है, तो इस म्यूचुअल फंड निवेशक ऐप के माध्यम से अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए निवेश शुरू करने का यह एक अच्छा समय हो सकता है।
ऐप का उद्देश्य एबीएसएलएमएफ के निवेशकों को कभी भी/कहीं भी विश्व स्तरीय अनुभव प्रदान करना है। आप नया एसआईपी शुरू कर सकते हैं, एकमुश्त म्यूचुअल फंड निवेश कर सकते हैं, मौजूदा निवेशों को भुना सकते हैं या स्विच कर सकते हैं, नए फंड प्रसाद (एनएफओ) में निवेश कर सकते हैं, खाता विवरण प्राप्त कर सकते हैं, अपने पोर्टफोलियो होल्डिंग्स को देख सकते हैं या यहां तक कि एबीएसएलएमएफ की किसी भी मौजूदा या नई म्यूचुअल फंड योजना की पेशकश के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप में निवेश करना चाह सकते हैं।
एबीएसएलएमएफ ऑनलाइन निवेशकों के मौजूदा परिवार के लिए, यह ऐप हमारे साथ उनके म्यूचुअल फंड निवेश अनुभव को और बढ़ाता है। आपको फिर से पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपके मौजूदा एबीएसएलएमएफ ऑनलाइन लॉगिन क्रेडेंशियल का उपयोग हमारे साथ आपके म्यूचुअल फंड निवेश डैशबोर्ड तक पहुंचने के लिए किया जा सकता है। नए उपयोगकर्ता अपने खाते तक सुरक्षित और आसान पहुंच के लिए अपना एमपिन और ऑनलाइन बायोमेट्रिक सत्यापन सेट करके आगे बढ़ सकते हैं।
जीवन के लगभग हर क्षेत्र में दुनिया डिजिटल और ऐप-चालित हो गई है, और यही कारण है कि आपके लिए म्यूचुअल फंड ऐप के माध्यम से अपना निवेश करना समझ में आता है जो निवेश परिदृश्य पर पूर्ण नियंत्रण देता है।
ऐप का उपयोग आपको इसकी अनुमति देगा:
• चलते-फिरते म्यूचुअल फंड निवेश करें
• एक ही ऐप पर 5 अलग-अलग खातों से लॉगिन करें
• सभी प्रकार के लेन-देन जैसे लम्पसम, एसआईपी, एसटीपी, एसडब्ल्यूपी, रिडीम करें और अपनी पसंद की किसी भी एबीएसएल म्यूचुअल स्कीम में स्विच करें
• एक ही स्थान पर आपके सभी म्यूचुअल फंड निवेश और परिसंपत्ति आवंटन का समेकित दृश्य
• अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर से ईमेल या एसएमएस द्वारा खाता विवरण के लिए अनुरोध करें
• हमारे उत्पाद का विवरण देखें और ब्रोशर और फैक्टशीट डाउनलोड करें।
आगे बढ़ें और आज ही एंड्रॉइड के लिए एबीएसएलएमएफ निवेशक ऐप डाउनलोड करें और एबीएसएल म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश की अभूतपूर्व आसानी और दक्षता का आनंद लें!
अस्वीकरण: म्यूचुअल फंड निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन हैं, योजना से संबंधित सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।
डेटा की सुरक्षा
डेवलपर यहां इस बारे में जानकारी दे सकते हैं कि उनका ऐप्लिकेशन आपके डेटा को कैसे इकट्ठा और इस्तेमाल करता है. डेटा की सुरक्षा के बारे में ज़्यादा जानें
Mutual Fund SIP Tips: म्यूचुअल फंड एसआइपी में करना है निवेश तो इन बातों का रखें खास ध्यान, होगा काफी फायदा
हालांकि कई बार ऐसा होता है कि कई सारे निवेशक जानकारी की कमी के कारण कभी-कभी एक निवेशक कुछ गलतियां कर देते हैं जिस वजह से वे अधिक लाभ हासिल नहीं कर पाते हैं। हम आपको Mutual Fund SIP में निवेश करते वक्त होने वाली गलतियों के बारे में बताएंगे
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पिछले कुछ वक्त में निवेशकों के बीच Mutual Fund SIP में निवेश का चलन तेजी से बढ़ा है, खासकर करियर के शुरुआती दौर में युवाओं के बीच में यह काफी पॉपुलर हुआ है। Mutual Fund SIP की इतनी बढ़ती स्वीकृति का कारण लंबी अवधि में छोटे मासिक निवेश के साथ बड़ी परिपक्वता राशि विकसित करने की इसकी विशेषता है। हालांकि, कई बार ऐसा होता है कि कई सारे निवेशक जानकारी की कमी के कारण, कभी-कभी कुछ गलतियां कर देते हैं। यहां हम आपको Mutual Fund SIP में निवेश करते वक्त होने वाली गलतियों के बारे में बताएंगे जिनसे आपको बचने की जरूरत होती है।
NAV और पिछला प्रदर्शन
अक्सर यह देखा जाता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा का यह मानना होता है कि कम NAV (Net Asset Value) वाले म्यूचुअल फंड एसआईपी में ज्यादा रिटर्न देने की संभावना होती है। लेकिन, वास्तव में निवेशक को NAV के बजाय म्यूचुअल फंड के पिछले प्रदर्शन को देखना चाहिए। म्यूचुअल फंड का NAV कई कारणों से कम या ज्यादा हो सकता है लेकिन म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन सिर्फ असेट मैनेजर के कारण से अच्छा या बुरा हो सकता है। निवेशक को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसका असेट मैनेजर म्यूचुअल फंड के NAV से ज्यादा मायने रखता है।
डिविडेंड बनाम ग्रोथ प्लान:
टैक्स और निवेश विशेषज्ञों के मुताबिक, डिविडेंड प्लान की तुलना में ग्रोथ प्लान बेहतर होते हैं। उनका मानना है कि लाभांश का भुगतान निवेशक के नेट AUM से किया जाता है। इसलिए, ग्रोथ प्लान पर डिविडेंड प्लान चुनने से निवेशक की आय लंबी अवधि में कम हो जाती है क्योंकि निवेशक कंपाउंडिंग बेनिफिट या टैक्स पर टैक्स का अवसर चूक जाता है।
मंदी के वक्त मासिक भुगतान को रोकना
यह देखा जाता है कि जब बाजार में मंदी होती है तो म्यूचुअल फंड एसआईपी निवेशक अपने मासिक एसआईपी भुगतान नहीं करते हैं। ऐसा करने से, वे रुपये की औसत लागत के जरिए ज्यादा NAV प्राप्त करने से चूक जाते हैं। वास्तव में बाजार में मंदी के समय, निवेशक को कुछ एकमुश्त राशि के साथ टॉप-अप का अवसर देखना चाहिए। म्यूचुअल फंड एसआईपी के निवेशकों को यह समझने की जरूरत है कि जब बाजार में मंदी होती है तो निवेश लागत कम होती है और कम निवेश लागत से रिटर्न की संभावना अधिक होती है। इसलिए एक बुल मार्केट में, किसी की निवेश लागत अधिक होती है जिससे रिटर्न की संभावना कम होती है।
फंड का चयन
म्यूचुअल फंड एसआईपी के लिए एक योजना का चयन करते समय, एक निवेशक को सलाह दी जाती है कि एक से दो साल के प्रदर्शन को देखने की बजाय पिछले 5 से 10 वर्षों के लिए म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन को देखें। इसके अलावा इस अवधि में बेंचमार्क इक्विटी रिटर्न की भी जांच करनी चाहिए। योजना का चयन करते समय, म्यूचुअल फंड के दीर्घकालिक प्रदर्शन को देखने की सलाह दी जाती है।
Mutual Fund SIP Tips: म्यूचुअल फंड एसआइपी में करना है निवेश तो इन बातों का रखें खास ध्यान, होगा काफी फायदा
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नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पिछले कुछ वक्त में निवेशकों के बीच Mutual Fund SIP में निवेश का चलन तेजी से बढ़ा है, खासकर करियर के शुरुआती दौर में युवाओं के बीच में यह काफी पॉपुलर हुआ है। Mutual Fund SIP की इतनी बढ़ती स्वीकृति का कारण लंबी अवधि में छोटे मासिक निवेश के साथ बड़ी परिपक्वता राशि विकसित करने की इसकी विशेषता है। हालांकि, कई बार ऐसा होता है कि कई सारे निवेशक जानकारी की कमी के कारण, कभी-कभी कुछ गलतियां कर देते हैं। यहां हम आपको Mutual Fund SIP में निवेश करते वक्त होने वाली गलतियों के बारे में बताएंगे जिनसे आपको बचने की जरूरत होती है।
NAV और पिछला प्रदर्शन
अक्सर यह देखा जाता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों का यह मानना होता है कि कम NAV (Net Asset Value) वाले म्यूचुअल फंड एसआईपी में ज्यादा रिटर्न देने की संभावना होती है। लेकिन, वास्तव में निवेशक को NAV के बजाय म्यूचुअल फंड के पिछले प्रदर्शन को देखना चाहिए। म्यूचुअल फंड का NAV कई कारणों से कम या ज्यादा हो सकता है लेकिन म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन सिर्फ असेट मैनेजर के कारण से अच्छा या बुरा हो सकता है। निवेशक को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसका असेट मैनेजर म्यूचुअल फंड के NAV से ज्यादा मायने रखता है।
डिविडेंड बनाम ग्रोथ प्लान:
टैक्स और निवेश विशेषज्ञों के मुताबिक, डिविडेंड प्लान की तुलना में ग्रोथ प्लान बेहतर होते हैं। उनका मानना है कि लाभांश का भुगतान निवेशक के नेट AUM से किया जाता है। इसलिए, ग्रोथ प्लान पर डिविडेंड प्लान चुनने से निवेशक की आय लंबी अवधि में कम हो जाती है क्योंकि निवेशक कंपाउंडिंग बेनिफिट या टैक्स पर टैक्स का अवसर चूक जाता है।
मंदी के वक्त मासिक भुगतान को रोकना
यह देखा जाता है कि जब बाजार में मंदी होती है तो म्यूचुअल फंड एसआईपी निवेशक अपने मासिक एसआईपी भुगतान नहीं करते हैं। ऐसा करने से, वे रुपये की औसत लागत के जरिए ज्यादा NAV प्राप्त करने से चूक जाते हैं। वास्तव में बाजार में मंदी के समय, निवेशक को कुछ एकमुश्त राशि के साथ टॉप-अप का अवसर देखना चाहिए। म्यूचुअल फंड एसआईपी के निवेशकों को यह समझने की जरूरत है कि जब बाजार में मंदी होती है तो निवेश लागत कम होती है और कम निवेश लागत से रिटर्न की संभावना अधिक होती है। इसलिए एक बुल मार्केट में, किसी की निवेश लागत अधिक होती है जिससे रिटर्न की संभावना कम होती है।
फंड का चयन
म्यूचुअल फंड म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा एसआईपी के लिए एक योजना का चयन करते समय, एक निवेशक को सलाह दी जाती है कि एक से दो साल के प्रदर्शन को देखने की बजाय पिछले 5 से 10 वर्षों के लिए म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन को देखें। इसके अलावा इस अवधि में बेंचमार्क इक्विटी रिटर्न की भी जांच करनी चाहिए। योजना का चयन करते समय, म्यूचुअल फंड के दीर्घकालिक प्रदर्शन को देखने की सलाह दी जाती है।
म्यूचुअल फंड में निवेश से म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा पहले इन 5 बातों की अनदेखी भारी पड़ेगी
म्यूचुअल फंड में निवेश करने में न करें जल्दी, पढ़ें ये टिप्स.
म्यूचुअल फंड में लंबे वक्त का लगातार पैसा लगाने से करोड़पति बनने के भी चांस हैं. लेकिन अंधाधुंध नहीं. इसके भी नियम हैं और निवेश से पहले 5 बातें बहुत अहम हैं जिनकी अनदेखी बहुत भारी पड़ सकती है.
म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट के शोर पर मत जाइए. अखबारों में, वेबसाइट्स पर, सोशल मीडिया से लेकर मॉल के लगे चमचमाते निऑन बोर्डों में- हर तरफ म्यूचुअल फंड में पैसा लगा कर मोटा मुनाफा कमाने की दावत के लालच से भी दूर ही रहिए. इसमें बड़ा खतरा है.
अभी तो ऐसा लग रहा है कि म्यूचुअलर फंड में निवेश मानो अलादीन का चिराग है कि रगड़ा और खजाना तैयार. ऐसा बताया जाता है कि हर महीने एसआईपी में थोड़ा पैसा लगाइए और कोई जिन्न आपके पास नोटों की बोरियां लेकर हाजिर हो जाएगा.
लेकिन जब म्यूचुअल फंड में बड़ी हसरतों से पैसा लगाने वालों नए इनवेस्टर्स को निगेटिव रिटर्न मिलने लगता है तो वे घबरा जाते हैं. घबराने की जरूरत नहीं है. अगर आप पहली बार म्यूचुअल फंड में पैसा लगा रहे हैं तो इन 5 बातों का ध्यान रखें.
ये टिप्स आपके लिए काफी मददगार साबित होंगे
1. रिटर्न के पिछले परफॉर्मेंस का चक्कर गलत
नए निवेशक अक्सर यह गलती करते हैं. वे रिटर्न का पिछला परफॉर्मेंस देखते हैं. मसलन-अगर किसी फंड ने 2017 में 40 फीसदी रिटर्न दिया है तो 2018 में उसी में पैसा लगा दिया. अब जब शेयर बाजार क्रैश हुआ तो सारा मुनाफा नीचे आ गया. ऐसी गलती न करें. आपको म्यूचुअल फंड की स्कीम और इसके जोखिमों के बारे में जानना होगा.
ये फंड आपका पैसा कहां लगा रहे हैं. किस सेक्टर में लगा रहे हैं. उनकी परफॉर्मेंस आजकल कैसी चल रही है. वगैरह-वगैरह. इन सेक्टरों से जुड़े जोखिम क्या हैं. साथ ही यह भी देखिए आप कितना जोखिम उठा सकते हैं.
इसलिए सबसे जरूरी यह जानना है कि म्यूचुअल फंड में आपके निवेश का लक्ष्य क्या है. यह शॉर्ट टर्म है लॉन्ग टर्म. यह देखिए कि आपको एक समयावधि में कितना औसत रिटर्न मिल सकता है. इसके बाद ही फंड में निवेश करें. सिर्फ हवा-हवाई रिटर्न के दावों के फेर में मत पड़िए.
2. अर्जुन की तरह मछली की आंख पर नजर रखें
म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले यह ध्यान रखें कि आपका लक्ष्य लॉन्ग टर्म है या शॉर्ट टर्म. क्या आप बच्चों के हायर एजुकेशन के लिए फंड बनाना चाहते हैं या तीन साल बाद के फॉरन टूर के लिए पैसा जुटाना चाहते हैं.
बड़े लक्ष्य के लिए म्यूचुअल फंड की कोई इक्विटी स्कीम और फौरी लक्ष्य के लिए डेट फंड ठीक रहते है. कुछ म्यूचुअल फंड विशेषज्ञों ने इस लेखक को बताया, ‘‘लॉन्ग टर्म के लिए कुछ निवेशक 50 फीसदी रिटर्न की उम्मीद लेकर आते हैं. फिर जब मार्केट क्रैश होने की वजह से रिटर्न घटने लगता है या निगेटिव हो जाता है तो हाथ वापस खींच लेते हैं. ऐसी गलती न करें. अपने निवेश लक्ष्य पर फोकस करें, और जब तक इसे हासिल न करें निवेश करते रहें.’’
बाजार गिरने से रिटर्न में लगे डेंट से घबराएं नहीं. लेकिन अनाप-शनाप रिटर्न हासिल करने का ख्वाब भी न संजोएं रखें.
3. उतार-चढ़ाव में धैर्य बनाए रखें
जब बाजार मंदा होता है तो ग्राहकों को फायदा होता है. चीजें सस्ती मिलती हैं. इस गोल्डन रूल को याद रखें. बाजार के उतार-चढ़ाव जिसे मार्केट के टर्मिनोलॉजी में हम वोलेटिलिटी कहते हैं, उससे घबराकर बहुत सारे रिटेल इनवेस्टर्स या छोटे इनवेस्टर्स म्यूचुअल फंड में अपना निवेश घटा देते हैं या बंद कर देते हैं.
लेकिन याद रखिए, अगर आप सही स्ट्रेटजी के साथ निवेश करते हैं तो मार्केट का क्रैश होना भी आपको फायदा पहुंचा सकते है. पूछिए क्यों?
इसलिए कि जब शेयर मार्केट क्रैश होता है तो शेयरों में निवेश करने वाले आपके फंड की यूनिटें सस्ती हो जाती हैं. आपको पहले की तुलना में उसी निवेश में ज्यादा यूनिटें मिलती हैं.अगली बार जब मार्केट उठता है तो इन यूनिटें की कीमतें बढ़ जाती हैं.
ये उसी तरह है जैसे आपने सस्ते में कोई कीमत खरीदी और तेजी आने पर उसकी कीमत बढ़ गई. लॉन्ग टर्म एसआईपी इनवेस्टर्स के लिए यह चीज रामबाण की तरह है. इसे गांठ बांध लीजिए.
4. अपना पोर्टफोलियो
संतुलित रखें
निवेश की दुनिया में एक पुरानी कहावत है- सारे अंडे एक ही टोकरी में न रखें. यानी एक ही जगह सारे दांव न लगाएं. 2016 में जब शेयर मार्केट चढ़ रहा था तो कई म्यूचुअल फंड निवेशकों ने सारा निवेश उन फंडों में कर दिया था जो इक्विटी फंड थे. यानी पूरा फंड एलॉटमेंट वे शेयरों में करते थे.
कई निवेशकों ने ऐसे म्यूचुअल फंड चुने जो मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में पैसा लगाते था. आप जानते हैं कि जब मार्केट गिरता है तो सबसे ज्यादा चोट मिड और स्मॉल कंपनियों के शेयरों पर पड़ती है. जाहिर है इसमें निवेश करने वाले फंड और उनके निवेशकों को सबसे ज्यादा घाटा होता है.
इसलिए सारा इनवेस्टमेंट सिर्फ इक्विटी फंड में न लगाएं. डेट फंड को भी चुनें. कहने का मतलब यह है कि ऐसा फंड चुनें जो इक्विटी और डेट का सही मिक्स हो. फिर अपने जोखिम के हिसाब से इनवेस्ट करें. जैसे भोजन में स्वाद का सही संतुलन जरूरी है. वैसे ही म्यूचुअल फंड में निवेश का बैलेंस भी जरूरी है.
5. फैलाइए जरूर लेकिन बिखेरने से बचिए
निवेश की दुनिया के ज्ञानी पंडित कहते हैं कि इनवेस्टमेंट में डाइवर्सिफाई स्ट्रेटजी बड़े काम की चीज होती है. यह बात सही है. लेकिन यह भी याद रखिए कि डाइवर्सिफाई करें ओवर डाइवर्सिफाई न करें.
जिस तरह डिनर पार्टी में कुछ लोग अपनी प्लेट में इतनी चीजें ले लेते हैं कि खाना मुश्किल हो जाता है. सारा कुछ गड्डमड्ड हो जाता है. उसी तरह कुछ नए निवेशक एक साथ कई म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश शुरू कर देते हैं. इनमें से कई फंड एक जैसे होते हैं. उनके लक्ष्य एक होते हैं. उनके पोर्टफोलियो एक होते हैं. इस तरह उनकी ओवरलैपिंग इनवेस्टर्स के निवेश को चोट पहुंचाने लगती है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि अपने निवेश लक्ष्य और जोखिम को देखते हुए दो से पांच स्कीमों में निवेश करें. ओवर डाइवर्सिफाइंग से बचें. वरना लोग 20-20 स्कीमों में निवेश करके बैठे रहते हैं और अच्छा रिटर्न न मिलने का रोना रोते रहते हैं.
अब सौ बात की एक बात. महान गायक मन्ना डे का एक गाना है- हे भाई जरा देख के चलो. आगे भी पीछे भी. ऊपर भी नीचे भी. दाएं भी बाएं भी. म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करते वक्त इस गाने की फिलॉसफी को जेहन में जरूर रखें.
2018 के टॉप म्युचुअल फंड जो 2019 में भी करा सकते हैं अच्छी कमाई
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)
Long Term Investment: लॉन्ग टर्म निवेश के लिए क्या हो सकते हैं बेहतर विकल्प, आसान बिंदुओं में समझें
किसी फंड हाउस में हर फंड मैनेजर अपने उत्पाद के मैंडेट के मुताबिक निवेश का तरीका अपनाता है. इसी तरह देखें तो हम आमतौर पर वित्तीय, औद्योगिक और कंज्यूमर डिस्क्रेशनेरी (जिसका नेतृत्व ऑटो करता है) सेगमेंट के लिए सकारात्मक नजरिया रखते हैं.
श्रीनिवास राव रावुरी, CIO, PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड
"यह सबसे अच्छा समय था, यह सबसे बुरा समय था" -
चार्ल्स डिकेंस के अ टेल ऑफ टू सिटीज की यह शुरुआती पंक्ति है और यह संभवत: बाजार के मौजूदा परिदृश्य को सटीक तरीके से बताती है. हमारे सामने तरक्की का लंबा रास्ता है, लेकिन वैश्विक सुस्ती, भू-राजनीतिक मसलों, ऊंची ब्याज दरों जैसे तमाम मसलों का शोर भी है. भारतीय बाजारों में करीब 18 महीने तक की तेजी के बाद पिछले एक साल में मिलाजुला रुख देखा गया.
बाजार उतार-चढ़ाव वाला रहा है, लेकिन इसके लिए यह कोई असामान्य बात नहीं है. एक एसेट क्लास के रूप में देखें तो इक्विटीज यानी शेयरों में ऊंचा जोखिम रहता है और इसलिए उतार-चढ़ाव तो इक्विटी निवेश का एक हिस्सा है. लेकिन इसमें एक अच्छी बात यह है कि जितनी लंबी अवधि तक निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का तत्व सीमित होता जाता है. इसलिए दीर्घकालिक रूप में इक्विटी सर्वश्रेष्ठ एसेट क्लास हैं और लॉन्ग टर्म के लिए हम भारतीय बाजारों के लिए सकारात्मक बने हुए हैं.
यह सिर्फ इसकी वजह से नहीं है कि एक लंबे समय अवधि में उतार-चढ़ाव का असर सीमित हो जाता है, बल्कि इससे भी ज्यादा इस वजह से है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और यहां के कॉरपोरेट में तरक्की की म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा बेहतरीन संभावनाएं हैं, स्थायी-मजबूत सरकार और नीतियों का दौर है तथा वैश्विक मंच पर पहले से काफी बेहतर स्थिति (जीडीपी के % में निर्यात सात साल के ऊंचे स्तर पर) है. इसके अलावा, हम जबरदस्त टैक्स कलेक्शन, बचत दर में सुधार और भारतीय कंपनियों के बहीखातों में सुधार देख रहे हैं. इन सबकी वजह से निवेश और खर्च की दर भी सुधरती है और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर भी.
करीब पांच साल के अंतराल के बाद क्षमता इस्तेमाल 75 फीसद तक पहुंच गई है, जिसकी वजह से हम मध्यम अवधि में पूंजीगत व्यय में सुधार की जमीन तैयार होते देख रहे हैं.
अब इस पर बहस की जा सकती है कि खासकर विकसित देशों में मंदी या सुस्ती का असर कम रहेगा या व्यापक रहेगा, या महंगाई टिकने वाला होगा या कुछ समय के लिए. लेकिन कमोडिटीज और एनर्जी की कीमतों (ऊर्जा आयात का हिस्सा जीडीपी के 4 फीसद तक होता है) में कमी आई है जो कुछ राहत की बात है. हम पूरे भरोसे से यह नहीं कह सकते कि मार्जिन का दबाव कम हुआ है, लेकिन यह जरूर कह सकते हैं कि अब चीजें सही दिशा में जा रही हैं, कम से कम कमोडिटी उपभोग के मामले में.
हालांकि, कई ऐसे जोखिम हैं जिनका हमें ध्यान रखना होगा. पहला, अनिश्चित भू-राजनीतिक परिदृश्य और सप्लाई चेन की निरंतरता के मसले लंबे समय तक बने रहने वाले हैं. दूसरा, अब करीब एक दशक के कम ब्याज दरों और आसान नकदी के माहौल से ऊंची ब्याज दरों और नकदी में सख्ती वाले माहौल की तरफ बढ़ा जा रहा है. पहले जोखिम की वजह से महंगाई न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता है और हमने यह देखा है कि केंद्रीय बैंक सख्त मौद्रिक नीतियों से इस पर अंकुश के लिए कोशिश में लगे हुए म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा हैं.
भारत में हमें कुछ और समस्याओं के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं- विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है, व्यापार घाटा ऊंचाई पर है और रुपए में काफी कमजोरी है. महंगाई लगातार ऊंचाई पर बनी हुई है और पिछले करीब तीन तिमाहियों से यह रिजर्व बैंक के 6% के सुविधाजनक स्तर से ऊपर है. कई दूसरे देशों के मुकाबले हमने बेहतर प्रदर्शन किया है और हमारी ग्रोथ रेट भी बहुत अच्छी है, लेकिन अर्थव्यवस्था की इस अलग राह या बेहतरीन प्रदर्शन से जरूरी नहीं कि बाजार एक-दूसरे से जुड़े नहीं हों, भले ही प्रदर्शन कितना ही बढ़िया हो. इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि शॉर्ट टर्म में हमारे बाजार भी दूसरे बाजारों के साथ ही चलेंगे.
वैश्विक तरक्की में मौजूदा अनिश्चिचता के माहौल को देखते हुए बाजारों के लिए मौजूदा साल काफी चुनौतियों वाला हो सकता है. वैश्विक स्तर पर और भारत में ऊंची ब्याज दरों की वजह से शेयरों के वैल्युएशन में उस बढ़त पर जोखिम आ सकता है, जिसका हाल में भारतीय बाजारों को फायदा मिला है. इसके अलावा भारत के कई राज्यों में मानसून अनियमित रहने की वजह से खाद्य महंगाई भी ऊंचाई पर रहने की आशंका है.
किसी फंड हाउस में हर फंड मैनेजर अपने उत्पाद के मैंडेट के मुताबिक निवेश का तरीका अपनाता है. इसी तरह देखें तो हम आमतौर पर वित्तीय, औद्योगिक और कंज्यूमर डिस्क्रेशनेरी (जिसका नेतृत्व ऑटो करता है) सेगमेंट के लिए सकारात्मक नजरिया रखते हैं। वित्तीय सेगमेंट (खासकर बैंक) अब ऐसी स्थिति में हैं जहां कर्ज की मांग और उसकी उठाव बढ़ रही है।