विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद

अगर वैश्विक व्यापार सिमटता है तो विदेश से होने वाला वित्त पोषण भी कम हो जाएगा। और अगर पूंजी पर नियंत्रण एवं अन्य पाबंदियां बढ़ती हैं तो विदेशी फंड लुभावने प्रतिफल का लालच देखकर ही उभरते बाजार के जोखिमों को नजरअंदाज करेंगे। अधिक वृद्धि की संभावना वाले देशों को अधिक नकदी मिलेगी। भारत के लिए इसका मतलब बेहद जरूरी सुधारों को अंजाम देने से है।
कोविड से निपटने के लिए हो रहा बदलाव
वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण कारोबारी परिदृश्य में आई चुनौतियों से निपटने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशलय में तमाम बदलाव किया जा रहा है। विदेश व्याापार महानिदेशक अमित यादव ने कहा, 'इस साल के अंत तक हम उम्मीद करते हैं कि बदलाव का काम पूरा कर लिया जाएगा और तमाम चुनौतियों और कारोबारी बाधाओं का समाधान कर लिया जाएगा, जिससे कारोबार सुगम हो सके।'
उन्होंने यह भी कहा कि डीजीएफटी पोर्टल, वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय के पोर्टल से भी जोड़ा जाएगा, जिससे सरकार की नीतियों की स्पष्ट तस्वीर और आयात निर्यात के आंकड़े व प्रक्रियाएं सामने आ सकें।
निर्यातक लंबे समय से डीजीएफटी पोर्टल को और ज्यादा समग्र किए जाने व ऑनलाइन सेवाएं और ज्यादा ग्राहक केंद्रित किए जाने की मांग कर रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईएससी) की ओर से आयोजित एक वेबिनॉर को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि उद्योग अब आयात कम करने व निर्यात बढ़ाने की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी वेंटिलेटर की कमी है और अब ध्यान विनिर्माण क्षमता बढ़ाने और उनके निर्यात पर ज्यादा होगा।
सरकार ने गेहूं निर्यात पर लगाया प्रतिबंध, बढ़ती कीमतों को रोकने की कवायद
Harvir Singh WRITER: Sunil Kumar Singh
सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। वाणिज्य मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी की गई। अधिसूचना के मुताबिक सभी विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद किस्मों के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध तत्काल प्रभावी हो गया है। माना जा रहा है कि लगातार बढ़ती महंगाई के बीच गेहूं की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। इस बार गेहूं उत्पादन में भी गिरावट आई है। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि इसके जारी होने की तारीख से पहले जिन कंपनियों ने सौदे कर लिए हैं उन्हें निर्यात की इजाजत होगी। एक अन्य अधिसूचना के जरिए सरकार ने प्याज के बीज के निर्यात की अनुमति दे दी है। यह फैसला भी तत्काल प्रभावी हो गया है।
कोविड के बाद व्यापार सौदों को अंजाम देने की कला
अब किसी के लिए भी यह रहस्य नहीं रह गया है कि इस साल आर्थिक वृद्धि बहुत कम रहेगी। ऐसे समय में जल्द हालात को सामान्य करने के साथ ही इस संकट की वजह से पैदा हुई नई वृद्धि संभावनाओं का दोहन करने की भी चुनौती विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद होगी। उसके लिए हमें इस बात पर गौर करना होगा कि कोविड-19 अपने पीछे कौन से निशान छोड़कर जाने वाला है? किस तरह के खतरे एवं अवसर होंगे? भारत उनका सामना करने के लिए किस तरह खुद को तैयार कर सकता है?
महामारी से जुड़े अनुभवों के चलते पूरी दुनिया में अपने घरेलू क्षेत्र को लेकर एक तरह का आग्रह दिख सकता है। घरेलू स्तर पर अधिक उत्पादन और नए राष्ट्रीय विजेताओं के विकास को बढ़ावा देने की कवायद काफी तेज हो सकती है। इससे वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएं सीमित होंगी और देशों के बीच होने वाले कारोबार में कमी आ सकती है। सच कहें तो वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से ऐसा होना शुरू भी हो चुका है लेकिन कोविड संकट के बाद इसमें और तेजी आ सकती है।
एक्सपोर्ट क्रेडिट के दायरे में आ सकते हैं ज्यादा छोटे कारोबारी
नई विदेश व्यापार नीति के तहत एक्सपोर्ट क्रेडिट की सुविधा के दायरे में ज्यादा छोटे और मझोले कारोबारी आ सकते हैं। इसके अलावा कारोबारियों के लिए निर्यात संबंधी कागजी प्रक्रिया को भी आसान बनाने की भी सरकार कवायद कर रही है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के सचिव माधव लाल विदेश व्यापार नीति में बदलाव की कवायद ने कहा कि हमारी कोशिश है कि एक्सपोर्ट क्रेडिट का लाभ मैन्यूफैक्चरिंग करने वाले ज्यादा से ज्यादा छोटे कारोबारी उठाएं। साथ ही कारोबारियों को ऐसी सुविधाएं मिले, जिससे वह बेहतर कारोबार कर सके। इस संबंध में मंत्रालय ने अपने सुझाव संबंधित विभागों को दिए हैं।
एक्सपोर्ट क्रेडिट के दायरे में आ सकते हैं ज्यादा छोटे कारोबारी
नई विदेश व्यापार नीति के तहत एक्सपोर्ट क्रेडिट की सुविधा के दायरे में ज्यादा छोटे और मझोले कारोबारी आ सकते हैं। इसके अलावा कारोबारियों के लिए निर्यात संबंधी कागजी प्रक्रिया को भी आसान बनाने की भी सरकार कवायद कर रही है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के सचिव माधव लाल ने कहा कि हमारी कोशिश है कि एक्सपोर्ट क्रेडिट का लाभ मैन्यूफैक्चरिंग करने वाले ज्यादा से ज्यादा छोटे कारोबारी उठाएं। साथ ही कारोबारियों को ऐसी सुविधाएं मिले, जिससे वह बेहतर कारोबार कर सके। इस संबंध में मंत्रालय ने अपने सुझाव संबंधित विभागों को दिए हैं।