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इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण

इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण

Intraday trading tips in hindi : इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?

Hello friends, कैसे हैं आप? आशा करता हूँ आप सभी अच्छे होंगे. Aryavarta Talk – hindi me jaankari में आपका स्वागत है. यह वेबसाइट आप लोगों जैसे जिज्ञाषु readers के लिए ही समर्पित है, जहाँ पर आप रोजाना कुछ नया सीखते हैं. आज का हमारा विषय है Intraday trading tips in hindi : इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?

आपलोगों ने शेयर मार्केट के बारे में जरुर सुना होगा. शेयर मार्केट में पैसा कमाने के लिए लोगों को लम्बा इन्तिज़ार करना पड़ता है. महीनो तक invest करना पड़ता है. लोगों के बीच यह अवधारणा बनी हुई है कि पैसा कमाने के लिए लम्बा इंतिजार करना पड़ता है. किन्तु share market में कम समय में भी कमाई करने का option है.

Intraday trading से हो सकती है एक ही दिन में कमाई, समझिये हमारे साथ क्या है इंट्रा डे ट्रेडिंग का पूरा process. आप हर रोज शेयर खरीद या बेंचकर कमा सकते हैं – पैसे.

Table of Contents

Intraday trading tips in Hindi

किसी कंपनी के शेयर को एक ही दिन में खरीद कर बेच देना Intraday trading कहलाता है. इस प्रक्रिया में सुबह पैसा लगाकर शाम को कमाई की जा सकती है. ऐसा माना जाता है कि यहाँ मुनाफा त्वरित और आसानी से कमाया जा सकता है. इंट्राडे ट्रेडिंग में जिस दिन आपने शेयर ख़रीदा उसी दिन आपको वह शेयर market बंद होने से पहले बेचना होता है या तकनिकी भाषा में कहें तो स्क्वायर ऑफ करना होता है.

Intraday trading का उद्देश्य निवेश करना नहीं होता है बल्कि लाभ कमाना होता है. यहाँ शेयर्स खरीदने के लिए आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए. एक बात आपको ज्ञात होनी चाहिए कि शेयर्स बाज़ार में निवेश करने के लिए Demat account के साथ – साथ ट्रेडिंग अकाउंट भी होना जरुरी है. ट्रेडिंग अकाउंट ब्रोकर के जरिये खोला जाता है.

Intraday trading जोखिम भरा होता है ऐसा इसलिए क्योंकि आपके पास समय नहीं होता है. यहाँ हिसाब उसी दिन बराबर करना होता है चाहे फ़ायदा हो या नुकसान.

लाभ कैसे कमाया जाता है?

इंट्राडे ट्रेडिंग में आप शेयर खरीदकर उसी दिन जब शेयर का भाव ऊपर हो उस समय में बेंचकर लाभ कमा सकते हैं. किन्तु यहाँ जोखिम इस बात की होती है कि शेयर का भाव उसी दिन बढ़ेंगे या घटेंगे यह कोई नहीं कह सकता है. यहाँ अनुभव काम आती है. जब कोई निवेशक यहाँ निवेश करता है तो वह बाज़ार के उतार चढ़ाव पर हर वक़्त नज़र बनाये रखता है.

तकनिकी विश्लेषण :

कहते हैं लालच बुरी बला है यह बात बिल्कुल इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण यहाँ सटीक बैठती है. ज्यादातर निवेशक यहाँ लालच के कारण नुकसान उठाते हैं. यहाँ लाभ कमाने के लिए एक निवेशक को बाज़ार का तकनिकी ज्ञान के साथ – साथ बहुत सारे रिसर्च करने पड़ते हैं. इंट्राडे ट्रेडर्स और नियमित निवेशक में अंतर होता है.

  • सबसे पहले आप यह सुनिश्चित कर लें कि आप क्या करने जा रहे हैं क्योंकि यह जितना आसन लगता है उतना है नहीं.
  • इसके दोनों सकारात्मक और नकारात्मक पहलु होते हैं.
  • शुरुआत करने से पहले प्लान बनाना आवश्यक है.
  • लाभ और हानि दोनों स्थितियों को ट्रैक करना सीखें.
  • ज्यादा liquidity वाले शेयर्स पर ध्यान दें ताकि किसी भी वक़्त उसे खरीदने और बेंचने के लिए इन्तिज़ार नहीं करना पड़े. ऐसे शेयर्स उपयुक्त मात्रा में मौजूद होते हैं.
  • वर्तमान बाज़ार के उतार – चढ़ाव के साथ आगे बढ़ें.
  • मंदी के समय में उन shares पर नज़र रखें जिन शेयर्स को निचे जाने की संभावना हो.
  • बाज़ार की चाल पकड़ने की कला सीखें इसके उतार और चढ़ाव से सीधे टक्कर न लें तो बेहतर होगा.
  • कीमतों की movement पर नज़र बनाये रखने के लिए इंट्राडे ट्रेडर्स के द्वारा चार्ट का इस्तेमाल किया जाता है. यह चार्ट आमतौर पर तकनिकी विश्लेषण करने में ट्रेडर्स की मदद करता है.
  • जोखिम को ध्यान में रखकर कूल व्यापारिक पूंजी का 2 या 3 प्रतिशत से ज्यादा जोखिम न उठायें. इसके लिए Stop Loss का उपयोग करें.
  • इंट्राडे ट्रेडिंग का समय प्रातः 9:15 से शाम 3:30 बजे तक होती है.
  • जहाँ तक हो सके यहाँ trading पुख्ता जानकारी के आधार पर ही करें.
  • शुरुआत में trading को सिमित रखें, धैर्य से काम लें, भावनाओं में ना बहें.
  • दुनिया की ख़बरों से अवगत रहें, सीखते रहें और इसके बुनियादी नियम की ओर विशेष ध्यान दें.

Conclusion : निष्कर्ष

सारी स्तिथियों का जायजा लेने के पश्चात हम यह कह सकते हैं कि intraday trading एक सट्टे की तरह ही है. बाज़ार का रूझान कब आपके खिलाफ हो जाएगी और कब आपके साथ होगी ये बात कोई नहीं बता सकता है. इसमें लाभ कमाने का कोई पक्का फार्मूला मौजूद नहीं है. इसके जोखिम को ध्यान में रखते हुए हमेशा उसी धन का उपयोग करें जिसे खोने के लिए आप तैयार इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण इंट्राडे ट्रेडिंग के उदाहरण हैं.

हर दिन आपको एक अलग ट्रेडिंग शैली या रणनीति के साथ बाज़ार में उतरना होगा. लोगों के सुझाव, इसमें उपयोग होनेवाली software, तकनिकी संकेतक केवल मार्गदर्शन के लिए हैं हो सकता है परिणाम इसके विपरीत भी हो सकते हैं. किसी दिन आपको profit होगा तो किसी दिन loss भी हो सकता है.

यदि आप बाज़ार में उतर गये हैं तो किसी को दोष ना दें. यह आपका चुनाव है, बस सीखते रहें, अनुभव लेते रहें, शेयर बाज़ार में टिके रहने का यही एक बेस्ट formula है. बाज़ार का क्षेत्र बहुत बड़ा है यहाँ कब बाज़ी पलटेगी आपको शत प्रतिशत कोई नहीं बता सकता है.

अंत में मेरी राय

यदि हो सके तो लम्बे समय के लिए invest करें. इसमें return कम मिलता है लेकिन जोखिम भी कम होता है. वास्तव में share market उनके लिए है जिन्हें इस field में अच्छी जानकारी है और intraday trading के लिए तो यह बहुत जरुरी है.

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ? [निवेश करने के प्रक्रिया की जानकारी]

दोस्तों, क्या आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते है लेकिन बाजार के प्रतिदिन उतर चढ़ाव का जोखिम नहीं लेना चाहते है ? आपके लिए डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading) एक बेहतर विकल्प है। यह निवेशकों में बहुत लोकप्रिय और सुरक्षित है।

डिलीवरी ट्रेडिंग

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ?

डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक शेयर को अपने डीमैट खाता में जमा करता है। डीमैट खाता (Demat Account) में निवेशक बिना किसी समय अवधि तक होल्ड करके रख सकता है और फिर इच्छानुसार कभी भी अपने शेयर को बेच सकता है। जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग में, ट्रेडर्स को एक दिन के अंदर ही शेयर खरीदने या बेचने की प्रतिबद्धता है, लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर खरीदने या बेचने के लिए कोई परिसीमा नहीं है। निवेशक दो दिन के अंदर या दो वर्षो बाद भी अपने शेयर को बेच सकता है।

निवेशक के पास पूर्ण अधिकार होता है की वह अपने इच्छा के अनुसार अपने शेयर को होल्ड या बेच सकता है। डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा होता है जो ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते है और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्टॉक में मुनाफा बनाना चाहते हैं। डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक को शेयर खरीदने से पहले उस कीमत के बराबर पैसे तैयार रखने होते है।

उदाहरण : यदि आप XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीद रहे है जिसकी कीमत ₹ 15000 है तो आपके डीमैट खाता में ₹ 15000 की कैश रखना होगा। और यदि आप XYZ कंपनी के 110 शेयर बेचना (Sell) चाहते है तो 110 शेयर आपके डीमैट खाता में होना चाहिए।

डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक विभिन्न प्रकार से निवेश कर सकता है जो निम्नलिखित है

  • इक्विटी
  • फॉरेक्स
  • कमोडिटी
  • डेरीवेटिव
  • म्यूच्यूअल फंड्स

डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम

आप डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करना चाहते है तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान देना आवश्यक है। यह आपको सही शेयर खरीदने में मदद करेगा। आप शेयर बाजार में नए है और किसी निपुण निवेशक सलाहकार की मदद चाहिए तो आप CapitalVIa Global Research Limited से संपर्क कर सकते है। आईये जानते है कुछ बुनियादी नियम के बारें में जिसका पालन शेयर खरीदते समय करना चाहिए।

  • सबसे पहले आपको कुछ कंपनी के fundamental Analysis के अध्यन करने के बाद एक सूचि तैयार करे।
  • भविष्य में उसके विकास, बैलेंस शीट आदि को ध्यान में रखकर अपने wishlist में शामिल करे।
  • अपने निवेश के जोखिम के अनुसार अपने डीमैट खाता में उतना धन संचित करे।
  • सही शेयर की कीमत देखकर शेयर को ख़रीदे।
  • बेचने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करे ताकि आपको नुकसान नहीं हो।
  • टारगेट और स्टॉप लॉस अवश्य लगाए।
  • आपको पैसे अलग -2 कंपनियों में निवेश करे जिससे आपका जोखिम काम और रिटर्न्स अच्छा प्राप्त होगा।

डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें?

कोई भी निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग को प्रक्रिया का चयन तभी करता है जब उसको long term के लिए निवेश करना है। डिलीवरी ट्रेडिंग में अपने कंपनियों के शेयर कोई खरीदते है और अपने डीमैट खाता में होल्ड करते है। आप अपने शेयर को जब अपने डीमैट खाता में रखना चाहे तो रख सकते है और जब आपको अपने शेयर कर अच्छा रिटर्न्स मिल रहा है तो आप उसको बेच सकते है। शेयर बेचने का निर्णय आप पर निर्भर है। अन्य इंट्राडे ट्रेडिंग के तरह आप बाध्य नहीं है।

डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपके पास पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए तभी आप शेयर को खरीद सकते है और बेचने के लिए भी आपके पास उतने शेयर होने चाहिए। डिलीवरी ट्रेडिंग में यदि आपका रणनीत अच्छी है तो आपको एक निश्चित अंतराल के बाद अच्छा रिटर्न्स प्राप्त होगा।

यदि आप शेयर बाजार में नए और आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से आपको शेयर को खरीदने चाहिए। इससे शेयर बाजार के जोखिम काम हो सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग सरल और सुरक्षित निवेश है इसके साथ -2 अन्य सुविधाएं है।

लॉन्ग टर्म निवेश

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा है की आप शेयर को होल्ड कर सकते है, आप किसी समय अंतराल में बाध्य नहीं है।

उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और इसे होल्ड रखते हैं। कुछ समय बाद वह कंपनी या व्यवसाय आपको पॉजिटिव रिटर्न्स देता है, तो आप उस इन्वेस्ट में बने रह सकते हैं। लेकिन आपको कोई लाभ दिखाई नहीं देता है, तो आप उस शेयर को कभी भी बेचकर अपने पोजीशन से बाहर हो सकते हैं।

सुरक्षित

जब डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर खरीदते है तो आप वह शेयर बेचने के लिए समय के बाध्य नहीं है। यह आपके जोखिम की संभावना को काम करता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।

उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और किसी भी कारन से शेयर का दाम अगले दिन गिर जाता है। आप वह शेयर होल्ड रख कर सही समय का इंतज़ार कर सकते हैं। जब शेयर के दाम आपके निवेश किये राशि से ज्यादा है तो आप शेयर बेचकर मुनाफा अर्जित कर सकते है। इसलिए यह शेयर सुरक्षित है।

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में, आप स्टॉक खरीदने के बाद बोनस के लिए योग्य है। जब भी कंपनी कुछ बोनस शेयरों को रोल आउट करती है, तो निवेशक बोनस का दावा कर सकते हैं।

उच्च लाभ

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में निवेशकों को शेयर के रिटर्न्स के साथ बोनस भी मिलता है । इसलिए कुछ शेयर में आपके रिटर्न्स से भी ज्यादा रिटर्न्स मिलता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान

शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश पूर्णतः परिपक्व नहीं होता है डिलीवरी ट्रेडिंग में कुछ नुकसान भी है। आपको निवेश करने से पहले अन्य संभावना का विश्लेषण करना आवश्यक है। यहां डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

पहले से भुगतान

डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपको शेयर खरीदने से पहले आपके पास शेयर के दाम का पर्याप्त धनराशि होना चाहिए। निवेशक के लिए कई बार उतना धनराशि रखना मुश्किल हो जाता है और आप अच्छे शेयर खरीदने से वंचित हो जाते है।

अधिक ब्रोकरेज शुल्क

डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। हालांकि कुछ ब्रोकर कंपनियां ब्रोकरेज शुल्क नहीं लेती है।

दोस्तों, डिलीवरी ट्रेडिंग एक लॉन्ग टर्म निवेश का विकल्प है। निवेशक शेयर को खरीदकर अपने डीमैट खाता में बिना समय अवधि के होल्ड करके रख सकता है और कभी भी बेच सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए कुछ मुलभुत नियमों का पालन करना आवश्यक है यदि आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं ले सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से निवेश कर सकते है। निवेशक को सदैव अलग-2 कंपनियों के शेयर में निवेश करना चाहिए यह आपके जोखिम को कम करता है।

अपने निवेश करने के चयन प्रक्रिया के बारें में जानकारी प्राप्त किया और साथ ही डिलीवरी ट्रेडिंग के फ़ायदे और नुकसान के बारें में विस्तृत रूप से समझे।

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Stop Loss Kaise Lagaye

stop loss kaise lagaye

हेल्लो दोस्तों आज हम इस टोपिक में Stop-Loss Trading Strategy को समजने वाले हैं वैसे यदि आपको Stop-Loss क्या होता हैं यह नहीं पता तो उसको हमारें दुसरे आर्टिकल की मदद से समज सकते हैं फिलहाल स्टॉक मार्केट में इंट्राडे बेस ट्रेडिंग में स्टॉप-लोस ट्रेडिंग रणनीति से नुकसान को कैसे कम किया जा सकता हैं साथ ही बढ़ते प्रॉफिट को और कैसे बढ़ा सकते हैं, इस ट्रेडिंग रणनीति को डिलीवरी बेस ट्रेडिंग में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं इन सभी मुद्दों को इसके उदाहरण के साथ समजेंगे और साथ ही स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की कितनी रणनीतियां होती हैं उन सभी को विस्तारपूर्वक समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं (stop loss kaise lagaye)

Stop – Loss Trading क्या हैं :-

स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की रणनीतियों को समजने से पहले हमें स्टॉप-लोस ट्रेडिंग को समजना पड़ेंगा तो पहले तो यह कोई ट्रेडिंग प्लेटफार्म नहीं बल्कि ट्रेडिंग सिस्टम हैं जिसकें जरिये हम हमारें ट्रेडिंग को और बेहतर तरीके से कर सकते है

स्टॉप-लोस ट्रेडिंग का मतलब वह ट्रेडिंग सिस्टम हैं जिसकी मदद से हम हमारें ट्रेडिंग में होनेवाली नुकसानी को कम कर सकते है जिसका इस्तेमाल केवल इंट्राडे बेस ट्रेडिंग पर ही नहीं बल्कि डिलीवरी बेस ट्रेडिंग में भी किया जाता है

साथ ही स्टॉप-लोस न केवल हमारें लोस को कन्ट्रोल करता है बल्कि प्रॉफिट में लम्बे समय के लिए खड़े रहने के लिए भी बेहद उपयोगी माना जाता हैं जिस ट्रेडिंग रणनीति को स्टॉप-लोस ट्रेडिंग के नाम से जाना जाता हैं

Stop – Loss Trading की रणनीतियां :-

आमतौर पर BSE/NSE Cash Market में दो प्रकारों से ट्रेडिंग की जाती हैं एक इंट्राडे बेस ट्रेडिंग और दूसरी डिलीवरी बेस ट्रेडिंग, इन दोनों में स्टॉप-लोस की मदद से ट्रेडिंग कैसे की जाती हैं यह समजते हैं

वैसे तो स्टॉप-लोस ट्रेडिंग का ज्यादा इस्तेमाल इंट्राडे बेस ट्रेडिंग में ही किया जाता हैं मगर कई ट्रेडर्स को यह पता ही नहीं होता की वह अपने Demat Account में पड़े शेयरों को भी स्टॉप-लोस की मदद से बेच सकते हैं जिसका डिलीवरी बेस ट्रेडिंग का वही मतलब होता है तो चलिए इन दोनों प्रकारों को उदाहरण के साथ समजते हैं

इंट्राडे बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग

यह ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि कोई नई नहीं है कई सारे ट्रेडर्स अपने रोजाना इंट्राडे ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल करते हैं तो चलिए पहले इसकी स्ट्रेटेजि को समज लेते है की आखिरकार यह ट्रेडिंग कैसे की जाती हैं

इंट्राडे बेस ट्रेडिंग करने के भी तरीके होते हैं एक तो नॉर्मल तरीका पहले स्टॉक ख़रीदा और मार्केट क्लोजिंग से पहले बेच दिया और दूसरा तरीका इनसे उल्टा है पहले स्टॉक बेचा जाता है और फिर मार्केट खत्म होने से पहले वापिस खरीद लिया जाता हैं

अब इस टोपिक में हम ज्यादा डीप में नहीं जाएंगें हम केवल इन दोनों तरीको से स्टॉप-लोस ट्रेडिंग कैसे की जाती है इसको उदाहरण के साथ समजते हैं

स्टॉप-लोस ट्रेडिंग के पहले तरीके का उदाहरण

इंट्राडे बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग करने का पहला तरीका जिसे उदाहरण से समजते है मानलीजिये AWL (Adani Wilmar Limited) जिस स्टॉक में हाल काफी मूवमेंट देखने को मिलती है जिनसे आगे के सभी उदाहरणों को इसी स्टॉक के Example से समजेंगे ताकि आपको समजने में आसानी हों

इस स्टॉक का फायदा इंट्राडे ट्रेडिंग करनेवाले ट्रेडर्स तो लेंगे ही जिसका एक कारन इसका T – Group में ना होना भी है तभी हम इसके 100 शेयर Rs.550 में खरीद लेते है

अब इसकी Circuit ब्रेकर्स देखे तो Rs.520 To Rs.580 पर हैं अब यहाँ पर हम जानेंगे की स्टॉप-लोस कैसे और किस स्ट्रेटेजि से लगाया जाता है

तो अब हमारी खरीद कीमत से दोनों सर्किटे Rs.30 के फासले पर है जिनसे हम इसको सर्किट ब्रेकर आनेके उदाहरण से ही समजेंगे

तो हमने स्टॉक की खरीदारी की है जिनसे हमें स्टॉक को बेचने का स्टॉप-लोस लगाना पड़ेंगा जिसकी प्राइसिंग को हमारी खरीद कीमत से पीछें की ओर से Lower Circuit तक की रख सकते हैं (Upper and Lower Circuit)

अब इसकी कीमतों को पसंद करने में हमें एक सामान्य स्ट्रेटेजि का इस्तेमाल करना पड़ेंगा और वो ये की हमें खुदसे सवाल करना पड़ेंगा की इस ट्रेड में मैं कहा तक की नुकसानी कर सकता हु यानि Rs.500 या Rs.1,000 या Rs.1,500 जिसके मुताबिक हम हमारी स्टॉप-लोस प्राइस को निर्धारित कर सकते हैं

जिसके लिए हम हमारी स्टॉप-लोस की प्राइस को Rs.545 या Rs.540 या Rs.535 तक सेट कर सकते हैं यदि मार्केट क्लोजिंग तक वह प्राइस आती हैं तो हमारा स्टॉप-लोस ट्रिगर हो जायेंगा

यानि हमारी स्टॉप-लोस की लिमिट पास हो जाएँगी जिनसे यदि उस स्टॉक में और गिरावट आती भी है तो हमें उनसे ज्यादा लोस नहीं होंगा तो यह इंट्राडे बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की हमारी पहली तकनीक हैं तो चलिए इसके दुसरे तरीके को भी उदाहरण से समजते हैं

स्टॉप-लोस ट्रेडिंग के दूसरें तरीके का उदाहरण

इंट्राडे बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग करने का यह दूसरा तरीका है जिसे उदाहरण के साथ समजते है मानलीजिये AWL स्टॉक को Short Selling के जरिये 100 शेयर Rs.550 में बेच देते है

अब इसकी सर्किट उपरोक्त उदाहरण के मुताबिक ही हैं तो अब हमने स्टॉक की बिकवाली की है जिनसे हमें स्टॉक को खरीदने का स्टॉप-लोस लगाना पड़ेंगा

जिसके लिए इसकी प्राइसिंग को हमारी बिक्री कीमत से आगें की ओर से Upper Circuit तक की रख सकते हैं जिसको ऊपर दी गई सर्किट ब्रेकर्स की रेंज मेसे पसंद कर सकते हैं

इस सिचुएशन में स्टॉप-लोस क्यों जरुरी हैं

अब इस सिचुएशन में स्टॉप-लोस लगाना बेहद जरूरी हो जायेंगा इसको ऊपर दिए गए तरीके से तुलना करके समजते हैं तो उसमें हमनें तो नॉर्मल इंट्राडे ट्रेडिंग किया है जिनसे यदि हम स्टॉप-लोस ना लगाए तो भी इतना फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि वह हमारी खरीदारी है जिनसे यदि Lower Circuit लग जाती है तो उस स्टॉक की डिलीवरी उतार सकते है

मगर ऐसा करना नहीं चाहिए इंट्राडे करने के लिए किये गए सौदे को हमेशा निपटा देना चाहिए क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग के शेयरों पर हम कभी एनालिसिस नहीं करते क्युकी इसके लिए हमें केवल मूवमेंट चाहिए

मगर यदि हमने शोर्ट सेल्लिंग की है तो स्टॉक को मार्केट क्लोजिंग से पहले खरीदना अनिवार्य हो जाता हैं जिस सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए इस कैश में हमें स्टॉप-लोस लगाना बेहद जरुरी हो जाता हैं

डिलीवरी बेस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग

इस स्टॉप-लोस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि को ज्यादा ट्रेडर्स उपयोग में नहीं लेते है क्योंकि उनकी विचार श्रेणी के मुताबिक वे स्टॉप-लोस लगाने के बजाय लिमिट लगाना ज्यादा पसंद करते हैं

डिलीवरी बेस ट्रेडिंग का पॉइंट

पहले डिलीवरी बेस ट्रेडिंग के मुद्दे को समज लेते है इस सिचुएशन को हमारे डिमेट खाते में पड़े पुराने शेयरों को स्टॉप-लोस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि से कैसे बेच सकते हैं

तो इसपर कई लोगों के मन में यह सवाल आया होंगा की डिलीवरी वाले शेयरों को बेचने के लिए स्टॉप-लोस लगाने के बजाय CMP से Upper Circuit तक किसी भी प्राइस पर बिकवाली की लिमिट सेट कर सकते हैं फिर इस डिलीवरी बेस बिकवाली ट्रेडिंग के लिए स्टॉप-लोस क्यों लगाया जाता हैं ? इसका एक सिम्पल सा जवाब है प्रॉफिट को बढ़ाने के लिए या लोस को कम करने के लिए

इस सिचुएशन में प्रॉफिट और लोस

अब इस सिचुएशन में भी हमारे सामने दो बातें आएँगी एक तो उस स्टॉक में प्रॉफिट हो रहा हैं या दूसरा वह स्टॉक पहले से ही लोस में हैं तो चलिए इन दोनों के सिम्पल उदाहरणों को समजते हैं

स्टॉक के प्रॉफिट में स्टॉप-लोस

प्रॉफिट में होने से भी हम यदि चाहेंगे की प्राइस और ऊपर जाए जिसके लिए हम स्टॉक बेचने का स्टॉप-लोस लगाएंगे अब आप कहेंगे की बिकवाली का स्टॉप-लोस तो Lower Circuit की ओर लगाया जाता हैं यानि CMP से कम कीमत पर जिसमे कीमतें और कम होंगी मगर इस सिचुएशन में मार्केट क्लोजिंग के Spending Time तक उस स्टॉक के Up मूवमेंट का इंतज़ार कर सकते हैं

स्टॉक के लोस में स्टॉप-लोस

अब स्टॉक लोस में है फिर तो स्टॉप-लोस लगाना जाहिर सी बात हैं जिनसे हम हमारें उस स्टॉक की नुकसानी को और कम कर सकें और शायद क्या पता लोस मेसे प्रॉफिट में भी आ सकते हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की रणनीतियों वाले इस टोपिक (stop loss kaise lagaye) में आपने क्या – क्या सिखा तो सबसे पहले स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की सामान्य बातोँ को जाना उसके बाद स्टॉप-लोस ट्रेडिंग की रणनीतियों को उनके उदाहरणों के साथ समजा जिसमें स्टॉप-लोस ट्रेडिंग के प्रकारों को भी उनकें उदाहरणों से समजा तो यह हमारा टोपिक यही समाप्त होता हैं, धन्यवाद

Share Market Tips: आ रहा है मार्केट से मुनाफा कमाने का मौका, इन शेयरों में निवेश से होगी आपकी चांदी

Share Market Tips P C : Pixabay

Share Market Tips एक्सपायरी की घबराहट भारत में हमेशा होती है क्योंकि इसे ऑप्शन मार्केट यानी कॉल और पुट के जरिए नियंत्रित किया जाता है। उदाहरण के लिए गुरुवार को साप्ताहिक समाप्ति के दिन 9 मिलियन 15800 कॉल्स लिखे गए थे जबकि 7.8 मिलियन 15700 पुट लिखे गए थे।

नई दिल्ली, किशोर ओस्तवाल। यह फिर से एक अस्थिर सप्ताह था। 15800-15820 का आंकड़ा चखने के बाद बाजार में कमजोरी के संकेत दिखे। इससे पहले कि हम अपने निष्कर्षों को सही परिप्रेक्ष्य में रखें, यह स्पष्ट कर दें कि 14200 से 15900 तक बाजार को ले जाने वाले बहुत शक्तिशाली हैं और अगर उन्होंने निफ्टी में 1700 अंकों की रैली लायी है, तो वे और 100 अंक हासिल करने में सक्षम हैं, जिससे निफ्टी 16000 के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार कर जाए। यहां तक ​​कि हमारा 15900 का अनुमानित लक्ष्य भी किसी रणनीति का हिस्सा नहीं था। जब आप नो मैन्स लैंड में होते हैं, तो लक्ष्य निर्धारित करना मुश्किल होता है। 17500 और 18500 के हमारे लक्ष्य वित्त वर्ष 2022 के लिए आय वृद्धि पर आधारित है, जो क्यूई आवंटन के अनुमानित प्रवाह के साथ युग्मित हैं।

एक्सपायरी की घबराहट भारत में हमेशा होती है, क्योंकि इसे ऑप्शन मार्केट, यानी कॉल और पुट के जरिए नियंत्रित किया जाता है। उदाहरण के लिए, गुरुवार को साप्ताहिक समाप्ति के दिन 9 मिलियन "15800" कॉल्स लिखे गए थे, जबकि 7.8 मिलियन "15700" पुट लिखे गए थे। सामान्य तौर पर, एक छोटा ट्रेडर 15700 को एक बड़े सपोर्ट के रूप में महसूस करते हुए हमेशा 15,700 के पास लॉन्ग जाता है। फिर, निफ्टी कुछ ही समय में गिरकर 15600 पर आ जाता है। इस पर ट्रेडर्स लॉन्ग और सेल कॉल्स को स्क्वायर-ऑफ कर देते हैं और फिर हम निफ्टी को 15700+ पर वापस देखते हैं।

सबसे पहले, 7.8 मिलियन पुट (आमतौर पर 4 मिलियन) लिखना एक मार्केट ऑपरेटर का काम है, न कि किसी आम आदमी का। हम कह सकते हैं कि ऐसा करके उन्होंने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि एक तो वे सभी रिटेल पॉजिशंस को खा रहा है और उसी समय शायद एक खाते से दूसरे खाते में लाभ स्थानांतरित कर रहा है।

शुक्रवार को वैश्विक संकेत उतने बुरे नहीं थे। डाउ नीचे था लेकिन नैस्डैक ऊपर था। मीडिया नए वैरिएंट में संभावित तीसरी लहर पर चर्चा करता रहा और वह भी अगले 10 दिनों में, इसने ट्रेडर्स में दहशत पैदा कर दी। इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन मीडिया ने फिर से लॉकडाउन की अवधारणा को उछाला और अकेले महाराष्ट्र में 8 लाख सक्रिय मामलों की भविष्यवाणी की (वर्तमान में 1.3 लाख मामले हैं)। जो लोग मीडिया का अनुसरण करते हैं, वे हार जाएंगे, जबकि स्मार्ट निवेशक अपना होमवर्क स्वयं करेंगे, और समय-समय पर कॉन्ट्रा कॉल लेंगे।

जब हमने कारोबारी सत्र के दौरान शुक्रवार की गिरावट का लाइव विश्लेषण किया, तो हमने पाया कि निफ्टी सिर्फ 3 लाख शेयरों की मात्रा के साथ 15778 पर चला गया, यानी लगभग 80 अंक ऊपर। फिर यह केवल 7 लाख शेयरों की मात्रा के साथ 15600 तक गिर गया। मात्रा करीब 15600 के स्तर पर बढ़ने लगी, जो चार्ट पर एक बड़ा सपोर्ट था, जो टूट गया। स्टॉप लॉस ट्रिगर हो गए और जब हम 15465 के निचले स्तर पर पहुंचे, तो निफ्टी वॉल्यूम 32 लाख शेयर की थी। एक थंब रूल के अनुसार, जब वॉल्यूम गायब होती हैं, तो यह हमेशा एक झूठा अलार्म होता है। हमने निफ्टी में 250 अंकों की तेजी के लिए खरीदारी शुरू की और ऐसा हुआ।

हमने मेटल शेयरों में अच्छी तेजी देखी और ट्रेडिंग कम्युनिटी इससे चूक गई। यह स्वाभाविक है, कि जब आप कुछ गंवा देते हैं, तो आप उससे नफरत करते हैं और शॉर्ट करने के मौके ढूंढते हैं। ठीक ऐसा ही मेटल शेयरों के साथ हुआ। मेटल रैली अभी खत्म नहीं हुई है। हमने 50% देखा है, शेष देखा जाना बाकी है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह अभी शुरू हुई है। इस समय, जब चीन ने इन्वेंट्री का उपयोग करने की घोषणा की, तो उसने एक तस्वीर दी कि मेटल क्षेत्र में सब कुछ खत्म हो गया है और ट्रेडर्स ने हर तरह से मेटल के शेयरों को शॉर्ट करना शुरू कर दिया है। कृपया ध्यान दें कि चीन एक शुद्ध आयातक है। उन्होंने प्रदूषण के कारण कई संयंत्र बंद कर दिए हैं।

उन्होंने बेहद हताशा में इन उपायों की घोषणा की है। हमारा मानना ​​है कि वे लंबे समय तक इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। वे 10% निर्यात लेवी का भी प्रस्ताव कर रहे हैं। कृपया "Angang Steel" को देखें, जो चीन के सबसे बड़े इस्पात उत्पादकों में से एक है, जिसका अनुमान है कि इसका पहला आधा लाभ साल दर साल लगभग 860% बढ़कर 4.8 बिलियन युआन हो जाएगा। टैक्स लगाने का यही कारण है। चीन की कार्रवाई को देखते हुए दुनिया के अन्य देश भी धातु की कीमतों में और वृद्धि करेंगे और चीन उच्च कीमतों पर धातु की खरीद फिर से शुरू करने के लिए मजबूर होगा। हम दोहराते हैं कि जब तक QE जारी रहेगा, धातुओं, खनिजों और संसाधनों में धन का प्रवाह बना रहेगा। इसलिए, धातु शेयरों को शॉर्ट करना आत्मघाती है।

आजकल, इंट्राडे में भी गिरावट होती हैं। जब 15600 और 15500 का स्तर टूटा, तो बाजार हल्का हो गया। नई मार्जिन व्यवस्था की वजह से सस्ती कीमतों के कारण मुंह में पानी आने पर भी कोई नहीं खरीद सकता और जो खरीद सकते हैं, उनमें विश्वास की कमी है। अमेरिकी शेयरों ने अपने घाटे को बढ़ाया, क्योंकि सेंट लुइस फेड के अध्यक्ष जिम बुलार्ड ने सीएनबीसी पर कहा कि केंद्रीय बैंक से पहली दर वृद्धि 2022 में आने की संभावना है।

इस तरह के बयान देने की क्या जरूरत थी, जब फेड ने स्पष्ट किया था कि 2023 में दरों में बढ़ोतरी होगी। हम देखेंगे कि समय के साथ इसमें बदलाव किया जाएगा, जो डाउ की दिशा को बदल देगा।

जून में अब तक एफपीआई 15000 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार थे और इसलिए किसी एक दिन बेचने से रुझान नहीं बदलता है। कल सकारात्मक एफआईआई नंबरों को एसबीआई कार्ड ब्लॉक डील और एफटीएसई री बैलेंसिंग फ्लो टाटा स्टील और ओएनजीसी के लिए समायोजित किया गया था। अगर निफ्टी फिर से 15500 के करीब जाता है, तो हमें लगता है कि यह खरीदारी करने का अच्छा मौका होगा।

वैकल्पिक तर्क यह है कि लगभग सभी पेनी स्टॉक अपर सर्किट में थे। वे खुले, पहले कुछ मामलों में लोअर सर्किट मारा और फिर ऊपरी सर्किट मारा। इस प्रक्रिया में, खुदरा अब बाहर हो गया है। ये शेयर अब कई अपर सर्किट से टकराएंगे। यदि यह तेजी का अंत होता, तो ये पेनी स्टॉक्स निचले सर्किटों में आ सकते थे। ध्यान रहे, हमने व्हाट्सएप ग्रुप्स में एक मैसेज सर्कुलेट होते देखा है, जिसमें लिखा था, ''अडानी पावर ने लोअर सर्किट और रिलायंस पावर ने अपर सर्किट को हिट किया'' यह सपने में भी कभी नहीं सोचा था।

आईपीओ में 20000-25000 करोड़ रुपये से अधिक की लाइन है। वहां एंकर निवेशकों के साथ-साथ मर्चेंट बैंकरों की भी प्रतिबद्धता है। अगर बाजार की रैली खत्म हो जाती, तो ये बड़े निवेशक (बाजार चालकों का हिस्सा) टॉस के लिए जाते। यह संभव नहीं है, क्योंकि वे बाजारों को नियंत्रित करते हैं। हां, निश्चित रूप से कुछ पैसा आईपीओ में प्रवाहित होगा, लेकिन यह हमेशा अतिरिक्त बैंक धन होता है, जिसका उपयोग बड़े आवेदन करने के लिए किया जाता है।

इस प्रकार, सभी संकेत अवांछित फैट को हटाने के लिए नियमित गिरावट की ओर हैं, जिसके बिना नई ऊंचाई संभव नहीं है। इसलिए, 15,900 से 15465 (2.73%) तक गिरावट देखने के बाद, जो बहुत स्वस्थ है, हम जल्द से जल्द एक नई ऊंचाई की उम्मीद कर सकते हैं। हमने अपने निफ्टी के 16600 के लक्ष्य को बरकरार रखा है। निवेशकों को डिप्स में खरीदने के लिए भी तैयार रहना चाहिए और यह तभी संभव है, जब आप इसके लिए तैयार हों।

बैंक निफ्टी ने भी 34000 तक अपनी गिरावट पूरी कर ली है। विजय माल्या के शेयरों की बिक्री से एसबीआई को 6200 करोड़ रुपये की वसूली की उम्मीद से बैंकिंग क्षेत्र में सकारात्मक संकेत जाएगा, जिससे सभी बैंक शेयरों को मदद मिलेगी। यह वर्तमान समय की सबसे बड़ी उपलब्धि है। सभी डिफॉल्टर्स किसी न किसी तरह से सेटलमेंट के लिए आगे आ रहे हैं। भारत की बैंकिंग प्रणाली मजबूत होती जा रही है। हमने सेंट्रम कैपिटल पर 18 रुपये प्रति शेयर पर खरीदारी शुरू की। अब खबर आई कि उसे "स्मॉल बैंक" का लाइसेंस मिल गया है। इसकी कीमत बढ़कर 54 रुपये प्रति शेयर हो गई है। रिसर्च की प्रक्रिया में कुछ अन्य शेयरों को खोजना जारी रहेगा जिनमें समान रूप से बढ़ने की क्षमता है।

Intraday Trading क्या है ?

दोस्तों Intraday trading को Day trading भी कहा जाता है , यहाँ आपको एक दिन में ही आपको अपना आर्डर लगा के क्लोज करना होगा !

अगर आप अपना आर्डर Same day close नहीं करते , तो ब्रोकर ,आपका आर्डर जबरदस्ती square off कर देगा , आप प्रॉफिट में रहो चाहे नुकशान पर रहो , ब्रोकर को फर्क नहीं पड़ेगा !

चलिए हम इंट्राडे ट्रेडिंग को Example से समझते है !

मान लीजिये राहुल नाम का लड़का Intraday trading करना चाहता है , तो वो क्या करेगा सुबह अपना आर्डर लगा देगा, 9.30 को और वो कुछ प्रॉफिट बुक करके दोपहर 2 बजे अपने Position को Square off कर देता है।
दोस्तों Intraday trading ,डे ट्रेडिंग होता है , यहाँ आपको अपना Position 3.15 के पहले Square off करना होता है , नहीं तो आपका broker आपका आर्डर कट कर देता है , आप प्रॉफिट में रहो चाहे नुकशान में रहो , आपका आर्डर आपका ब्रोकर 3.15 के पहले स्क्वायर ऑफ कर देगा।।
तो इसका मतलब आप क्या समझे ,
यही समझे होंगे , Same Day खरीदना है और Same Day बेचना है !

इंट्राडे ट्रेडिंग से प्रॉफिट कैसे होगा ?

मान लीजिये आपने टाटा मोटर्स के 100 शेयर खरीद लिए , 400 के भाव पर 10.30 मिनट पर , अब कुछ घंटे के बाद याने की वही दिन दोपहर 1बजे टाटा मोटर्स का भाव 404 रूपये हो जाता है , तो आपको कितना प्रॉफिट होगा , 4 रूपये का , और आपने कितना शेयर खरीदा था , 100
तो 100 * 4 = 400 rs का आपको फायदा हो जायेगा आपको कुछ घंटे पर ही !

दोस्तों इंट्राडे ट्रेडिंग बहुत ज्यादा रिस्की होता है , तो इनके जोखिमों के बारे में समझ कर ही ट्रेडिंग करे !

इंट्राडे ट्रेडिंग से Loss कैसे होता है !

जो ऊपर में समझे थे वापिस वही उदाहरण से समझते है ,
मान लीजिये आपने टाटा मोटर्स के 100 शेयर खरीद लिए , 400 के भाव पर 10.30 मिनट पर , अब कुछ घंटे के बाद याने की वही दिन दोपहर 1 बजे टाटा मोटर्स का भाव 398 रूपये हो जाता है , तो आपको कितना नुकशान होगा , 2 रूपये का , और आपने कितना शेयर खरीदा था , 100
तो 100 *2= 200rs का आपको नुकशान हो जायेगा आपको कुछ घंटे पर ही !

तो दोस्तों आसा करता हु , आपको इंट्राडे ट्रेडिंग समझ आ गया होगा , कुछ Doubt है तो कमेंट कर सकते है , मै उसका रिप्लाई जरूर दूंगा !

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