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विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है

विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है
कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है गई है।

विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है

व्यापार पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव बहुमुखी है, उद्यम तकनीकी प्रगति कंपनी के उत्पादों या सेवाओं की मांग में परिवर्तन करने के लिए समाज के सक्षम हो जाएगा, और इस तरह एक अनुकूल व्यापार विकास के अवसर प्रदान करने के लिए, हालांकि, कारोबार की रणनीति के डिजाइन के लिए एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है : एक नई तकनीक या आवेदन के आविष्कार से भी अच्छी तरह से "नष्ट कर दिया." मतलब हो सकता है एक नई प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों का आविष्कार दूसरों की हानि के लिए, नए उद्योगों की संख्या में वृद्धि करने के लिए नेतृत्व या भी कापियर उद्योग उद्योग कार्बन लुप्त होती बनने के लिए अनुमति देने के लिए विकसित किया गया है, जिससे इस तरह के इलेक्ट्रोस्टैटिक मुद्रण के विकास के रूप में उद्योगों को नष्ट कर देगा के बाद से, अर्धचालक आविष्कार और लोकप्रियता में नाटकीय रूप से audiovisual उद्योग प्रतिस्पर्धी परिदृश्य बदल गया है. अधिक प्रौद्योगिकी अग्रिम ऐसे पर्यावरणीय विश्लेषण के रूप में उद्योग में तेजी से प्रौद्योगिकीय परिवर्तन और अधिक महत्वपूर्ण कारक होना चाहिए. वर्तमान में, एक देश की आर्थिक विकास दर, ज्यादा में प्रमुख प्रौद्योगिकीय आविष्कार प्रासंगिक संख्या और सीमा का उपयोग करता है, एक उद्यम के मुनाफे में भी डिग्री से संबंधित अनुसंधान और विकास खर्च में निवेश के साथ जुड़ा हुआ है. विशेष रूप से सभी कंपनियों को खुद या उद्योग में उद्यमों के तेजी से तकनीकी उन्नयन में संबंधित प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्यमों, हम आज की तकनीकी प्रगति को काफी महत्व देते हैं चाहिए और इस प्रगति समय पर व्यापार रणनीति लेने के क्रम में क्या प्रभाव व्यापार होगा लगातार तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने, और एक प्रतियोगी लाभ को बनाए रखने के लिए.

विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है

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सूचना और संचार प्रौद्योगिकी अथवा आईसीटी प्रयोक्ताओं को तेजी से बदलते हुए विश्व में प्रतिभागिता करने में समर्थ बनाती है जिसमें विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है कार्य तथा अन्य क्रियाकलाप निरंतर पहुंच के माध्यम से विविध और विकसित होती प्रौद्योगिकियों में रूपांतरित होते जा रहे हैं।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं उद्योग 2009 के आंकड़ों के अनुसार देश की जीडीपी और निर्यात आय में 5.9 प्रतिशत का योगदान देता है तथा अपने तृतीयक क्षेत्र कार्यबल को बड़ी मात्रा में नियोजन भी प्रदान करा रहा है। इस क्षेत्र में लगभग 2.3 मिलियन लोग प्रत्यक्षत: अथवा अप्रत्यक्षत:रूप से नियोजित हैं जो इसे भारत के सर्वोच्च रोजगार सृजनकर्ता क्षेत्रों में से एक तथा यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा बनाते हैं।

आईसीटी उपकरणों का प्रयोग जिम्मेदारी के साथ तथा बिना किसी भेदभाव के सूचना को ढूंढने, अन्वेषित करने, विश्लेषित करने, उसका आदान-प्रदान करने तथा प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

शिक्षा विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है में आईसीटी

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के महत्व को मान्यता प्रदान करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मिशन दस्तावेजों के अनुसार आईसीए का प्रयोग शिक्षा में एक उपकरण की भांति किया है जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा में वर्तमान नामांकन की दर जो 15 प्रतिशत है, को 11वीं योजना की समाप्ति तक बढ़ाकर 30 प्रतिशत करना है।

मंत्रालय ने 'सशक्त' नामक वेब पोर्टल भी प्रारंभ किया है, जो 'वन स्टॉप शिक्षा पोर्टल' है। उच्च गुणवत्ता वाली ई-विषय-वस्तु सभी विषय क्षेत्रों और विषयों पर 'सशक्त' में अपलोड की जाएगी। अनेक परियोजनाएं समाप्ति की अवस्था पर हैं तथा इससे भारत में शिक्षण और अधिगम की व्यवस्था में आमूल परिवर्तन आने की संभावना है।

इस समय "विभिन्न कक्षाओं, बौद्धिक समक्षताओं तथा ई-अधिगम में शोध के लिए उपयुक्त शिक्षाशास्त्र प्रवृत्तियों का विकास" परियोजना, आईआईटी, खड़गपुर द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। समस्त आईआईटी तथा अनेक एनआईटी के संकाय द्वारा इस पाठ्यचर्या विकास योजना में प्रतिभागिता की जा रही है।

सूचना प्रौद्योगिकी

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और उद्योग 2009 के आंकड़ों के अनुसार देश की जीडीपी और निर्यात आय में 5.9 प्रतिशत का योगदान करता है जबकि यह अपने तृतीयक क्षेत्र के बड़ी संख्या में कार्यबल को रोजगार भी प्रदान करता है। इस क्षेत्र में प्रत्यक्षत: और अप्रत्यक्षत: 2.3 मिलियन से अधिक लोग नियोजित हैं जो इसे भारत का सर्वाधिक बड़ा रोजगार सृजक बनाते हैं तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल करते हैं।

मार्च, 2009 में भारत में आउटसोर्सिंग प्रचालनों से वार्षिक राजस्व 60 बिलियन यूएस डॉलर था तथा इसके 2020 तक बढ़कर 225 बिलियन यूएस डॉलर होने की संभावना है। सबसे प्रधान आईटी हब आईटी राजधानी बेंगलुरु है। अन्य उभरते हुई आईटी गंतव्य चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, एनसीआर और कोलकाता हैं। भारत से तकनीकी दृष्टि से सक्षम अप्रवासियों 1950 के दशक से ही पश्चिमी विश्व में रोजगार की तलाश कर रहे हैं क्योंकि भारत की शिक्षा प्रणाली ने इतनी अधिक संख्या में इंजीनियर उत्पादित कर दिए हैं जिन्हें उद्योग क्षेत्र खपा पाने में समर्थ नहीं है। सूचना युग में निरंतर बढ़ते हुए भारत के महत्व के कारण यह अमेरिका और साथ ही यूरोपीय संघ के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने में समर्थ रहा है।

चीन का श्वेत पत्र, US को बताया- पलटू, घमंडी और सच से दूर!

अमित कुमार दुबे

अमेरिका से अपने व्यापार युद्ध के मद्देनजर चीन ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. चीन का कहना है कि वह अमेरिकी दवाब में नहीं आएगा और अंत तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है. इस बीच चीन ने अमेरिका से व्यापार युद्ध की स्थिति को लेकर एक श्वेत पत्र जारी किया. श्वेत पत्र में चीन-अमेरिका व्यापार तनाव के प्रभाव, अमेरिका द्वारा अपने वचनों को तोड़े जाने और व्यापार वार्ता के प्रति चीन के सैद्धांतिक रुख के तीन दृष्टि से चीन और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता संबंधित सत्यों पर प्रकाश डाला है.

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मेक इन इंडिया

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भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

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