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लिक्विडिटी

लिक्विडिटी
वैश्विक कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया को अव्यवस्था और लॉकडाउन मोड में छोड़ दिया है.

Share Market Liquidity क्या होता है

Share Market Liquidity का मतलब होता है कि आप जिस भी चीज में Trading कर रहे हैं ( Share, Commodity, Future Contract) उसमें Volume जितना ज्यादा अधिक होता है उसकी Liquidity भी उतनी ही ज्यादा होती है आप उस शेयर को उतनी ही आसानी से खरीद या बेच सकते हैं ! यानी अगर आप उस शेयर किसी भी कीमत पर कितनी भी मात्रा में खरीदना चाहते हैं तो आपको वह शेयर उस कीमत पर मिल जाएगी या फिर अगर आपको किसी शेयर को बेचना है किसी कीमत पर तो आप उस शेयर को उतनी ही आसानी से बेच पाएंगे इसी को लिक्विडिटी कहते हैं !

Liquidity का महत्व

आपको कंपनी के 1000 शेयर आपको खरीदनी है अगर उस शेयर में Liquidity अधिक है तो आप जिस भी कीमत पर मान के चलिए अभी कीमत 1000 रुपए चल रही है तो आप हजार रुपए में खरीदेंगे तो 1000 शेयर आपको उसी कीमत पर मिल जाएगा लेकिन अगर उस में लिक्विडिटी कम है उसमें शेयर बहुत ही कम मात्रा में ट्रेड होते हैं तो हो सकता है आप बाजार शेयर खरीदने के लिए जाए तो इससे उसे शेयर की कीमत जो है वह बढ जाए और आपको कुछ ऐसे हजारों रुपए पर मिलेगा कुछ ₹1010 पर और कुछ शेयर आपको ₹1020 पर मिले, तो ऐसे में आपको शेयर खरीदने के लिए अधिक कीमत देना पड़ा !

वहीं दूसरी तरफ से आप ने जो शेयर ₹1000 की कीमत पर खरीदा था उसकी कीमत 1100 ₹ हो जाती है और अब आप उसे बेचना चाहते हैं जब उसकी लिक्विडिटी अधिक है तो आप उस शेयर को 1100 रुपए की कीमत पर बेच पाएंगे लेकिन अगर उसमें लिक्विडिटी कम है तो जब आप उसे बेचने के लिए जाएंगे तो उसकी कीमत कम हो जाएगी और आप को उसे 1100 से कम कीमत पर बेचना पड़ेगा इससे आपको नुकसान है !

यही कारण है कि लोग फ्यूचर एंड ऑप्शन में किसी शेयर में ट्रेडिंग करने के बजाय इंडेक्स Nifty 50 और Nifty Bank में Trading करते हैं, क्योकि इसमें सबसे अधिक Liquidity होती है अगर वे किसी दूसरे शेयर में करते हैं तो उसमें लिक्विडिटी कम होती है !

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Share Market Liquidity

Technical Analysis मे Liquidity का महत्व

शेयर मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस में लिक्विडिटी का भी बहुत अधिक महत्व है जब हम किसी कंपनी का टेक्निकल एनालिसिस करते हैं तो अगर उसमें लिक्विडिटी जितनी अधिक होती है उतना ही हमारी एनालिसिस से भी होने की संभावना रहती है इसका कारण यह है कि अगर हम कम लिक्विड स्टॉक में एनालिसिस करते हैं तो वह भी आसानी से Manipulat की जा सकती है जबकि जिस में लिक्विडिटी अधिक होती है उन्हें कर पाना मुश्किल होता है !

इसके अलावा हम Technical Analysis में हम लोग जो Trade कर रहे है उसी का अध्ययन करते है, और लोगो का शेयर के प्रति जितना अधिक Trade करेंगे हमारा Analysis उतना ही अधिक होने कि संभावना होगी !

RBI ने शुरू की 15000 करोड़ की ऑन-टैप लिक्विडिटी, बैंकों से रेस्टोरेंट्स और ब्यूटी पार्लर ले सकेंगे लोन

कोरोन वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर से लिक्विडिटी बुरी तरह प्रभावित कॉन्टैक्ट-इनटेंसिव सेक्टर्स के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ा ऐलान किया है. कॉन्टैक्ट इंटेंसिव सेक्टर के लिए आरबीआई ने 15,000 करोड़ रुपए की ऑन-टैप लिक्विडिटी की शुरुआत की है. इससे रेस्टोरेंट्स, बस ऑपरेटर्स, टूरिज्म, ब्यूटी पार्लर और एविएशन सर्विसेज को अतिरिक्त लेंडिंग सपोर्ट मिलेगा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, RBI वित्तीय स्थिरता का माहौल सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरबीआई का ध्यान लिक्विडिटी का समान रूप से वितरण करना है. हमें इकोनॉमी को वापस से ग्रोथ के रास्ते पर ले जाने के लिए सक्रिय रुख अख्तियार करने की जरूरत है. दास ने कहा कि इंडस्ट्री में 36,545 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी डाली गई है. गवर्नमेंट सिक्योरिटीज 1.0 (G-Sec) के तहत 40,000 करोड़ रुपए की सिक्योरिटीज खरीदने के लिए एक अन्य अभियान चलाया जाएगा

स्टॉक लिक्विडिटी क्या है – What Is Stock Liquidity In Hindi

स्टॉक लिक्विडिटी, जिसे मार्केट लिक्विडिटी के रूप में भी जाना जाता है, वह डिग्री है जिससे स्टॉक या स्टॉक मार्केट स्टॉक की कीमत को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किए बिना बड़ी खरीद या बिक्री को अवशोषित करने में सक्षम होता है। सक्रिय व्यापारियों और बाजार निर्माताओं के लिए उच्च तरलता महत्वपूर्ण है।

स्टॉक लिक्विडिटी क्यों महत्वपूर्ण है

बाजार की तरलता एक सुरक्षा की कीमत के सबसे महत्वपूर्ण निर्धारकों में से एक है; यह भी सबसे गलत समझा में से एक है। सरल शब्दों में, बाजार की तरलता से तात्पर्य उस सहजता से है जिस पर बाजार में सुरक्षा खरीदी या बेची जा सकती है। एक बाजार जितना अधिक तरल होगा, उतनी ही आसानी से निवेशक प्रतिभूतियों को खरीद और बेच सकते हैं। तरलता निवेशकों को अपने निवेश को नकदी में जल्दी और कुशलता से बदलने की अनुमति देती है। खुदरा निवेशकों के लिए तरलता महत्वपूर्ण हो सकती है जो लगातार कीमत की निगरानी के बिना बाजार में अपना निवेश रखना चाहते हैं।

Liquid Assets के प्रकार

नकद (Cash)

नकद मुख्य तरल संपत्तियों में से एक है जिससे हर कंपनी परिचित है। इसे सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली तरल संपत्तियों में से एक माना जाता है। परिसंपत्तियां आमतौर पर तरल होती हैं जब उन्हें बिना किसी मूल्य के नुकसान के नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि नकदी में सबसे अधिक तरलता होती है। नकदी को आसानी से तरल संपत्ति में परिवर्तित किया जा सकता है।

नकद को एक तरल संपत्ति माना जाता है क्योंकि यह किसी भी मुद्रा को संदर्भित करता है जिसे बिना किसी बाधा के खर्च किया जा सकता है। नकद के दो उदाहरण अमेरिकी लिक्विडिटी डॉलर और यूरो हैं। मुद्रा के इन दो रूपों को दुनिया भर के अधिकांश देशों में बिना किसी परेशानी के खर्च किया जा सकता है। नकदी का उपयोग कई तरीकों से भी किया जा सकता है, जिसमें तरल संपत्ति की खरीद भी शामिल है।

लिक्विड एसेट्स से तात्पर्य उस धन से है जो नकदी, स्टॉक और अन्य प्रतिभूतियों के रूप में निवेश के उद्देश्य से उपलब्ध है। लिक्विड एसेट्स से तात्पर्य उस धन से है जो नकदी, स्टॉक और अन्य प्रतिभूतियों के रूप में निवेश के उद्देश्य से उपलब्ध है। एक व्यवसाय के पास बहुत सारा पैसा हो सकता है लेकिन इसका तब तक कोई फायदा नहीं होगा जब तक कि इस पैसे का उपयोग लाभ या तरलता उत्पन्न करने के लिए नहीं किया जाता है।

यही मुख्य कारण है कि ज्यादातर कंपनियां अपने पैसे का एक हिस्सा लिक्विड एसेट्स जैसे कैश, ट्रेजरी बिल और अन्य शॉर्ट टर्म डेट सिक्योरिटीज के रूप में रखती हैं। ये तरल संपत्ति व्यवसाय को अपने अल्पकालिक ऋण दायित्वों को पूरा करने में मदद करती है। अब सवाल यह है कि कंपनियां अपने पैसे का एक हिस्सा लिक्विड एसेट्स के रूप में क्यों रखती हैं? उत्तर है – अपने अल्पकालिक ऋण दायित्वों को पूरा करने के लिए।

स्टॉक्स

स्टॉक्स ही आर्थिक साधने आहेत जी कंपनीच्या अंशात्मक मालकीचे प्रतिनिधित्व करतात. त्यांच्या प्राथमिक उद्दिष्टाव्यतिरिक्त, साठा देखील व्यापार करण्यायोग्य मालमत्तेचे प्रतिनिधित्व करतात. स्टॉकचे मूल्य लिक्विडिटी कंपनीच्या यशावर अवलंबून असते. त्याचा परिणाम कंपनीच्या नफ्यावर आणि वाढीच्या दरावर होतो. स्टॉक्स खरेदी करणे हा शेअर बाजारात गुंतवणूक करण्याचा एक चांगला मार्ग आहे. तुम्ही सार्वजनिकपणे व्यापार केलेल्या कंपन्यांमध्ये किंवा सार्वजनिक न झालेल्या कंपन्यांमध्ये स्टॉक खरेदी करू शकता.

स्टॉक हा द्रव मालमत्तेच्या मुख्य प्रकारांपैकी एक आहे. स्टॉक ही एक सुरक्षा आहे जी कॉर्पोरेशनमधील मालकी दर्शवते. सर्वात लिक्विडिटी सामान्य स्टॉक हा कॉर्पोरेशनमधील शेअर आहे. वस्तू, बॉण्ड्स आणि मनी मार्केट इन्स्ट्रुमेंट्ससह व्यापार करण्यायोग्य कोणत्याही मालमत्तेचे स्टॉक हा प्रतिनिधित्व करू शकतो. मालमत्तेतील मालकी किंवा स्टॉक कर्जासाठी संपार्श्विक म्हणून देखील वापरला जाऊ शकतो. गुंतवणुकदारांना लाभांश देण्यासाठी कॉर्पोरेशनसाठी पेमेंटची पद्धत म्हणून स्टॉकचा वापर केला जातो. स्टॉक हे केवळ कागदी प्रमाणपत्र नसून ती एक प्रकारची द्रव मालमत्ता आहे.

सरकारी बांड

सरकारी बांड एक प्रकार की निश्चित आय सुरक्षा है जो किसी सरकारी संस्था जैसे शहर, राज्य, संघीय या देश द्वारा जारी की जाती है। उन्हें “ट्रेजरी बांड” और “ट्रेजरी बिल” के रूप में भी जाना जाता है। सरकारी बॉन्ड को विकसित दुनिया में सबसे सुरक्षित निवेशों में से एक माना जाता है और अन्य लिक्विडिटी निश्चित आय वाले निवेशों के लिए बेंचमार्क के रूप में उपयोग किया जाता है।

सरकारी बांड सरकार द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियां हैं। इन बॉन्ड को सॉवरेन बॉन्ड और सॉवरेन डेट के रूप में भी जाना जाता है। ये बांड सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और ब्याज दर तय होती है। इन बांडों का द्वितीयक बाजार में कारोबार होता है और सरकार द्वारा इसकी गारंटी दी जाती है।

प्रोमिसरी नोट्स

एक वचन पत्र एक प्रकार की सुरक्षा है जो एक उधारकर्ता और एक ऋणदाता द्वारा हस्ताक्षरित है। ऋण सुरक्षित करने के लिए, उधारकर्ता एक वचन पत्र पर हस्ताक्षर करता है जिसमें कहा गया है कि उधारकर्ता ऋण का भुगतान करेगा। प्रॉमिसरी नोट्स एक ऋणदाता और एक उधारकर्ता के बीच कानूनी रूप से बाध्यकारी अनुबंध हैं।

Certificate of deposits (CD’s)

जैसा कि आप पहले से ही जानते हैं, सीडी एक निवेश साधन है जिसमें एक निश्चित अवधि के लिए धन जमा करना शामिल है। आपके द्वारा निवेश की जाने वाली राशि सीडी का मूलधन है। आप जो ब्याज कमाते हैं वह सीडी की उपज है। आप मैच्योरिटी से पहले सीडी निकाल सकते हैं, लेकिन आपको पेनल्टी देनी होगी। सीडी एक तरल संपत्ति है, क्योंकि आप हमेशा अपना पैसा निकाल सकते लिक्विडिटी हैं, लेकिन इसकी एक निश्चित अवधि भी होती है। यह एक प्रकार का निवेश है जो शेयर बाजार जितना जोखिम भरा नहीं है लेकिन यह आपको बांड के समान रिटर्न दे सकता है।

बैंक एफडी या लिक्वि‍डिटी फंड? सुरक्ष‍ित न‍िवेश के ल‍िए बेहतर व‍िकल्‍प कौन, जान‍िए

आरबीआई मई से अभी तक रेपो रेट में 190 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी कर चुका है और अभी रिजर्व बैंक का रेपो रेट 5.9 प्रतिशत है।

बैंक एफडी या लिक्वि‍डिटी फंड? सुरक्ष‍ित न‍िवेश के ल‍िए बेहतर व‍िकल्‍प कौन, जान‍िए

जानिए आपके लिए निवेशे के कौन से हैं बेहतर विकल्‍प (फोटो-Freepik)

रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट में 50 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी के बाद कई बैंकों की ओर से एफडी पर ब्‍याज दर में बढ़ोतरी कर दी है। आरबीआई मई से अभी तक 190 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी कर चुका है और अभी रिजर्व बैंक का रेपो रेट 5.9 प्रतिशत है। वहीं अभी हाल ही में एसबीआई बैंक, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक ने टर्म डिपॉजिट पर 2 करोड़ से कम जमा पर ब्‍याज में बढ़ोतरी की है।

इन बैंकों के ब्‍याज में बढ़ोतरी के कारण एफडी के इंटरेस्‍ट रेट हाई हो चुके हैं। ऐसे में निवेशकों के लिए निवेश का एक बेहतर विकल्‍प हो चुका है। कई एक्सपर्ट के अनुसार, मुद्रास्फिति को मात देने के लिए एफडी पर वर्तमान ब्‍याज अच्‍छा है। हालांकि कई एक्‍सपर्ट का मानान है कि निवेशकों को लिक्विड फंड में निवेश करना चाहिए। आइए जानते हैं आपके लिए कौन सा स्‍कीम बेहतर हो सकता है।

लिक्विडी फंड क्‍या है?

लिक्विड फंड 91 दिनों या 3 महीने तक की मैच्‍योरिटी वाली फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज जैसे कि ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर, सरकारी सिक्योरिटीज, बॉन्ड और डिबेंचर में निवेश किया जा सकता है। एक्‍सपर्ट मनोज डालमिया ने कहा कि लिक्विड फंड में कोई भी व्यक्ति जब चाहे तब रिडीम कर सकता है, क्योंकि इसमें कोई लॉक इन पीरियड नहीं है। लिक्विड फंड शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स दोनों विकल्‍प के साथ आता है और इसमें इंडेक्सेशन लाभ भी हैं।

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फिक्‍स डिपॉजिट (FD) क्या हैं?

फिक्‍स डिपॉजिट में कोई 7 दिनों से लेकर 10 साल तक निवेश कर सकता है, लेकिन रिटर्न केवल लंबी अवधि में अधिक होता है और कम समय में बचत खातों में समान रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है। मनोज डालमिया के अनुसार, बैंक सावधि जमा में लॉक इन पीरियड होता है और जल्दी निकासी करना केवल दंड के साथ ही संभव है। यह ब्याज आय को कम करता है।

लिक्विड फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट के बीच अंतर

मनोज डालमिया के मुताबिक, लिक्विड फंड और बैंक एफडी दोनों का इस्तेमाल शॉर्ट टर्म सरप्लस को कम करने और कम जोखिम के साथ मध्यम रिटर्न गेन करने के लिए किया जा सकता है। वहीं आप लिक्विड फंड में कभी भी पैसे की निकासी कर सकते हैं।

RBI के उपायों से सिस्टम में 3.74 करोड़ आएगी लिक्विडिटी, क्या बांड मार्केट के लिए सही है समय?

वैश्विक कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया को अव्यवस्था और लॉकडाउन मोड में छोड़ दिया है.

RBI के उपायों से सिस्टम में 3.74 करोड़ आएगी लिक्विडिटी, क्या बांड मार्केट के लिए सही है समय?

वैश्विक कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया को अव्यवस्था और लॉकडाउन मोड में छोड़ दिया है.

वैश्विक कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया को अव्यवस्था और लॉकडाउन मोड में छोड़ दिया है. यह एक ऐसा समय है, जब पूरी दुनिया में पैनिक बना हुआ है. कोरोना वायरस के चलते मानवीय पैमाने पर बड़ा असर पड़ ही रहा है, इसकी वजह से विश्व स्तर पर कैपिटल मार्केट की भी हालत खराब हो गई है. जिसके चलते सरकारों और केंद्रीय बैंकों को देश के नागरिकों के भरोसे के साथ साथ कैपिटल मार्केट के सेंटीमेंट को बूस्ट करने के लिए कई कदम उटाने पड़ रहे हैं.

भारत की बात करें तो शेयर बाजारों में उतर चढ़ाव बना हुआ है. इस उतार चढ़ाव के बीच पिछले दिनों डेट मार्केट में भी सेलआफ देखने को मिला. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा म्यूचुअल फंड में जमकर बिकवाली देखने को मिली. जिससे बांड यील्ड में भी गिरावट आई.

तरलता लाने के लिए बड़ा कदम

आरबीआई ने फाइनेंशियल कंडीशन को स्टेबल करने और सिस्टम में तरलता लाने के लिए बड़ा कदम उठाया. आरबीआई ने रेपो रेट में 75 अंकों की बड़ी कटौती की. जबकि CRR में 100 बेसिस प्वॉइंट की कटौती हुई. इसके अलावा भी कुछ अन्य उपाय किए गए, जिससे सिस्टम में 3.74 लाख करोड़ आएंगे. सरकार के इन उपायों से डेट मार्केट में भी स्थिरता बढ़ेगी. फंडिंग चैनल आपरेशन को बनाए रखने में मदद मिलेगी और साथ ही वित्तीय अव्यवस्था को कम करने में भी मदद मिलेगी.

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बांड मार्केट के लिए पॉजिटिव

सरकार द्वारा लिक्विडिटी के जो उपाय किए गए हैं, वे बांड मार्केट के लिए पॉजिटिव हैं. बाजार की आगे भी आरबीआई से इस तरह के उपायों की उम्मीद हैं. आने वाले दिनों में दरों में और कटौती देखने को मिल सकती है, वहीं आरबीआई द्वारा इस तरह का आश्वासन भी मिल सकता है कि जरूरत हुई तो आगे भी ऐसे उपाय जारी रहेंगे. इसका असर नियर टर्म में बांड यील्ड पर पड़ेगा. आने वाले दिनों में ब्याज दरों में और गिरावट आएगी. इसका फायदा डेट म्यूचुअल फंड्स को पहुंचने की उम्मीद है.

इन उपायों के अलावा सरकार पहले ही 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा कर चुकी है. सरकार की प्राथमिकता दिखती है कि पहले उन लोगों को सीधे सहायता मिल सके, जो इस लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित हें. उसके बाद जब स्थिति सामान्य हो तो कोनॉमी को बूस्टर डोज दें.

क्रूड में यह गिरावट सही समय पर नहीं आई

क्रूड की कीमतों में पिछले दिनों भारी गिरावट आई है. लेकिन देखें तो क्रूड में यह गिरावट सही समय पर नहीं आई है. देश में मांग पहले की तरह होती तो क्रूड में 30 डॉलर तक गिरावट से सरकार के पास 2.5 लाख करोड़ अतिरिक्त बचते. हालांकि तेल से यह बचत कुछ हद तक राजकोषीय प्रोत्साहन के बोझ को कम करने में मदद करेगी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं हो सकती है. सरकार ने फिस्कल डेफिसिट और महंगाई को कम करने के लिए अपने लिए जो लक्ष्य तय किए हैं, उनके लिए यह पर्याप्त नहीं है. आरबीआई ने भी मौजूदा समय को देखते हुए राजकोषीय घाटे, मुद्रास्फीति और जीडीपी जैसे आर्थिक आंकड़ों को कुछ समय के लिए अलग करते हुए इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि देश को जल्द से जल्द अपने पैरों पर वापस लाने के लिए वास्तव में क्या महत्वपूर्ण है.

निवेशकों को क्या करना चाहिए

अनिश्चितता के इस माहौल में, जब बाजार के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है, बेहतर है कि फंडामेंटल्स पर फोकस करें. हमेशा माना जाता है कि क्रेडिट रिस्क स्थायी है जबकि मार्केट रिस्क टेम्परेरी. निवेशकों को उन्हीं बांड में पैसा लगाना चाहिए जिनकी क्रेडिट रेटिंग मजबूत है. जिनका लिक्विडिटी रेश्यो बेहतर हो और कैश फ्लो में मजबूती दिख रही हो. निवेशक मौजूदा स्थिति में एसेट अलोकेशन थीम पर भी चल सकते हैं, जहां उनका पोर्टफोलियो बैलेंस रहता है.

(लेखक: महेंद्र जाजू, CIO-फिक्स्ड इनकम, मिराए एसेट इन्वेस्अमेंट मैनेजर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड)

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