अधिमानी शेयर

अधिमानी खरीद प्रोत्साहन
जबकि 04-08-2003 दिनांकित अधिसूचना सं। 1/4 9/2000 / एस (आईएनडी) / वॉल्यूम II के अनुसार, सरकारी राजपत्र, असाधारण संख्या 4 श्रृंखला 1 संख्या 8 दिनांक 06.08.2003, गोवा सरकार में प्रकाशित गोवा औद्योगिक नीति, 2003 को सूचित किया गया (इसके बाद "कहा नीति" के रूप में जाना जाता है)।
और जबकि गोवा सरकार ने छोटे पैमाने पर उद्योग योजना, 2003 के लिए एक अधिमान्य खरीद प्रोत्साहन तैयार किया, जिसे आधिकारिक राजपत्र असाधारण, श्रृंखला I, संख्या 34, 20.11.2003 दिनांकित किया गया था (इसके बाद "कहा गया योजना" कहा जाता है)।
अब, कहा गया नीति के खंड 50 9 (iii) के अनुसार और कहा गया योजना के अधिग्रहण में, गोवा सरकार निम्नलिखित योजना को तैयार करने के लिए प्रसन्न है, अर्थात्:-
1. लघु शीर्षक और शुरूआत _ (1) इस योजना को माइक्रो और लघु उद्यम योजना, 2008 के लिए प्राथमिक खरीद प्रोत्साहन कहा जाएगा।
(2) यह आधिकारिक राजपत्र में अपने प्रकाशन की तारीख से लागू होगा, और 31 मार्च, 2011 तक लागू रहेगा।
2. परिचय - कहा नीति के प्रावधानों को प्रभावी करने के लिए, गोवा सरकार ने माइक्रो और लघु उद्यमों के लिए एक अधिमान्य खरीद प्रोत्साहन योजना तैयार करने का निर्णय लिया है।
3. उद्देश्य - यह योजना माइक्रो और लघु उद्योग उद्यम को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से है और अत्यधिक देखभाल के साथ पालन करने की आवश्यकता है। इस योजना के प्रावधानों का अनुपालन गंभीरता से देखा जाएगा और संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे।
4. लाभ - इस योजना के तहत सूक्ष्म और लघु उद्यम स्थायी रूप से पंजीकृत या उद्यम, व्यापार और निदेशालय द्वारा एंटरप्राइजेज मेमोरैंडम II के साथ स्वीकार करते हैं। वाणिज्य, गोवा को सरकारी विभाग / स्वायत्त निकायों / निगमों / अर्ध सरकारी विभागों द्वारा प्रदत्त किसी भी निविदा में विशेष उपचार दिया जाएगा या उनके द्वारा की गई कोई भी खरीद, जैसा कि निम्नानुसार है:
1. सूक्ष्म और लघु उद्यमों को गैर-छोटी स्केल इकाइयों द्वारा जारी सबसे कम निविदा मूल्य से मिलान करने की अनुमति दी जाएगी बशर्ते कि उद्धृत मूल्य गैर-सूक्ष्म और लघु उद्यमों द्वारा जारी किए गए सबसे कम उद्धृत मूल्य के 15% के भीतर है;
स्पष्टीकरण: (ए) एक से अधिक सूक्ष्म या लघु उद्यमों के मामले में, सीमा के भीतर गिरते हुए, सबसे कम एक को प्राथमिकता दी जाएगी।
2. स्थापना के लिए संविदात्मक निविदाओं के मामले में, मशीनरी / वस्तुओं को चालू करना, उद्धृत मूल्य की प्राथमिकता, निम्नतम उद्धरण के ऊपर और ऊपर प्रो-रता प्रतिशत संबंधित माइक्रो या लघु उद्यमों को मैच के लिए योग्यता के लिए दिया जाएगा सबसे कम
3. इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से, सूक्ष्म और लघु उद्यमों को राज्य सरकार विभाग द्वारा आवश्यक गुणवत्ता के मानक से मेल खाना आवश्यक होगा।
4. इस योजना के तहत शिक्षा विभाग की खरीद के मामलों को छोड़कर यह योजना कंप्यूटर हार्डवेयर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की खरीद के लिए भी लागू होगी।
5. निविदा दस्तावेज माइक्रो और लघु उद्यमों को अधिकतम 200 रुपये तक की दर से आपूर्ति की जाएगी।
6. कम से कम धन जमा करने की आवश्यकता होगी और यह अधिकतम 500 / - रुपये होगा।
7. कोई अन्य सुरक्षा जमा की आवश्यकता नहीं है।
8. भुगतान में प्राथमिकता माइक्रो और छोटे को सुनिश्चित की जाएगी
उद्यमों और भुगतान संबंधित विभाग द्वारा माल की डिलीवरी से 60 दिनों के भीतर या निविदा कार्य पूरा होने से प्रभावित किया जाएगा, जिससे विफल होने पर विभाग 0.75% प्रति माह की दर से ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।
5. योग्यता: - केवल उन सूक्ष्म और लघु उद्योग उद्यमों का कारोबार रु। अंतिम कार्यवाही के लिए प्रति वर्ष 6 करोड़ सालाना और व्यापार और वाणिज्य द्वारा उद्यमी ज्ञापन द्वितीय के साथ स्थायी रूप से पंजीकृत या स्वीकृति इस योजना के तहत लाभ के लिए पात्र होगी।
इसे यू.ओ.एन. के माध्यम से वित्त (एक्सप।) विभाग की सहमति के साथ जारी किया गया है। 1650 दिनांक 26/6/2008।
सेवा मेरे
निदेशक, मुद्रण और स्टेशनरी, सरकारी प्रिंटिंग प्रेस, पणजी, गोवा, असाधारण राजपत्र में इसे प्रकाशित करने के अनुरोध के साथ और आधिकारिक उपयोग के लिए इस विभाग में 10 प्रतियां प्रस्तुत करने के अनुरोध के साथ।
को कॉपी:-
1) उद्योग, व्यापार और वाणिज्य निदेशक, पणजी, गोवा।
2) हे / सी।
3) जी / एफ.
संचयी अधिमान शेयर का अंग्रेजी अर्थ
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संचयी अधिमान शेयर का अंग्रेजी मतलब
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"संचयी अधिमान शेयर" के बारे में
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share ke prakar
Types of Share in Hindi / शेयर के पूरी जानकारी हिन्दी में/ Meaning of share in hindi
शेयर का अर्थ और प्रकार (Meaning and types of Share)
आज हम बात करने बाले हैं शेयर के अर्थ और प्रकार के बरे में, प्रत्येक कम्पनी को अपने लेनदेन / गतिविधियों को स्थापना करने और संचालित करने के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है । शेयर एक हिस्सा है जो एक कंपनी की पूंजी के संग्रह का एक साधन है, दुसरे शब्दों में, कंपनी की कुल पूंजी को निश्चित मूल्य वाली छोटी व्यक्तिगत एकैयो में विभाजित किया जाता है और ऐसी प्रत्येक छोटी इकाई को शेयर कहा जाता है, एक शेयर शेयर पूंजी का एक आंशिक हिस्सा है और एक कंपनी में स्वामित्व हित का आधार बनता है । उदाहरण के लिए, यदि किसी कम्पनी की कुल पूंजी 1,000,000 रुपये है, जिसे प्रत्येक 100 रुपये के 10,000 शेयर में विभाजित किया गया है, तो रू 100 की प्रत्येक इकाई को एक शेयर ध जाता है, प्रत्येक शेयरधारक को कंपनी की सामान्य मुहर के तहत एक शेयर प्रमाणपत्र दिया जाता है जो शेयर पूंजी में उसकी हिस्सेदारी का सबूत देता है ।
1. वरीयता शेयर / पसिदिदा स्टोक (Preference Share / Preferred Share)
2. इक्विटी/सामान्य/ साधारण शेयर या सामान्य स्टॉक (Equity/Common/Ordinary share or common share)
वरीयता शेयर / पसिदिदा स्टोक (Preference Share / Preferred Share)
वरीयता शेयर (Preference share) वे शेयर जो लाभांश प्राप्त करने और पूंजी की वापसी के लिए इक्विटी शेयर की तुलना में प्राथमिकता या वरीयता देने के प्रावधान के साथ जरी किये जाते है परिसमापन के समय को वरीयता शेयर (Preference share) कहा जाता है ।
वरीयता शेयर के प्रकार (Types of Preference Shares)
लाभांश के अधिकार के आधार पर (On the basis of right of Dividend)
a. संचयी वरीयता शेयर (Cumulative Preference Shares)
प्रयाप्त लाभ होने पर शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान किया जाता है । यदि उस वर्ष के लाभांश का भुक्तान उस वर्ष में किया जायेगा जब कंपनी के पास पर्याप्त लाभ होता है जिसे संचयी वरयता शेयर के रूप में जाना जाता हैं ।
b. गैर–संचयी वरीयता शेयर: (Non-Cumulative Preference Shares)
ऐसे शेयरों पर लाभांश का भुगतान केवल चालू वर्ष के मुनाफे में से किया जाता है, यदि अपर्याप्त लाभ होता है, तो उन्हें कम दर पर लाभिंश स्वीकार करना पड़ता हैं या कोई लाभांश नहीं मिलता है ।
पूंजी के वसूली के आधार पर (On the basis of Recovery of Capital)
a. रिडिमेबल परेफरेंस शेयर्स (Redeemable Preference Shares)
वे परेफरेंस शेयर जिन्हें कंपनी द्वारा एक निश्चित अवधी के बाद भुनाया जाना है, Redeemable Preference Shares कहलाते है । शेयर जरी करते समय वरीयता शेयर के मोचन के लिए नियम और शर्ते निर्दिष्ट करने की आवश्यकता होकी है इन शेयरों को शेयरों के एक ने मुद्दे से या कंपनी के मुनाफे में से भुनाया जाता है ।
b. अप्रतिदेय वरीयता शेयर (Irredeemable Preference shares)
यदि अधिमानी शेयर बिना परिपक्वता या चुकौती अवधी के जरी किये जाते हैं, तो उन्हें अप्रतिदेय या स्थायी या गैर प्रतिदेय अधिमानी शेयर कहा जाता है, हालांकी कंपनी के जीवन के दौरान शेयर पूंजी की राशी वापस नहीं की जा सकानी है; इन शेयर को कंपनी के परिसमापन या समापन के समय ही चिकाया जा सकता है ।
परिवर्तन के आधार पर (On the basis of Convertibility)
a. परिवर्तनीय अधिमानी शेयर (Convertible Preference Shares)
जिन अधिमानी शेयरों की विशिष्ट सामान के बाद या परिपक्वता अवधी की समय कंपनी के equity shares में परिवर्तित अधिमानी शेयर अधिमानी शेयर किया जा सकता है, association के अनुच्छेद में प्रावधान होने पर वरीयता शेयरों को equity shares में परिवर्तन किया जात सकता है ।
b. गैर-परिवर्तनीय अधिमानी शेयर (Non-Convertible Preference Shares)
वे वरीयता शेयर (अधिमानी शेयर Preference share) जिन्हें कंपनी के जीवन के दौरान equity shares में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है । गैर-परिवर्तनीय अधिमानी शेयर (Non-Convertible Preference Shares) कहलाते है ।
Participation के आधार पर (On the basis of Participation)
a. Participating वरीयता शेयर (Participating Preference share)
वे परेफरेंस शेयर, जिन्हें equity shares को डिविडेंड देने के बाद बचे हुवे surplus profit में डिविडेंड की निश्चित दर पर अतिरिक्त डिविडेंड के लिए भाग लेने का अधिकार होता है जो Participating Preference share कहलाते है । ये शेयर कंपनी के समापन के समय equity शेयरधारको पूंजी के पुनाभुगतान के बाद छिड़ी गई सम्पति के मूल्य में भाग लेने के अधिकार के भी पत्र हैं ।
b. गैर भागीदारी वाले वरीयता शेयर (Non-Participating Preference share)
वे वरियता शेयर जो लाभांश की निश्चित दर से अधिक लाभ में भाग के अधिकार अहि रखते हैं जो गैर भागीदारी वाले वरीयता शेयर (Non-Participating Preference share) कहलाते है । वरीयता शेयर को हमेशा एक गैर भागीदारी वाले वरीयता शेयर माना जाता है जब तक की association के अनुच्छेद में अन्यथा न कहा गया हो ।
इक्विटी/साधारण/सामान्य शेयर (Equity/Ordinary/Common Share)
कम्पनी के वास्तविक शरेधारक या ऐसे शेयरों के धारक जो वास्तास में कंपनी को जोखिम को सहन करते हैं । इक्विटी शेयर कहलाते है, परिसमापन के समय इक्विटी शेयर का लाभांश और पुन्ही की वापसी पर कोई अधिमान्य अधिकार नहीं है, ऐसे शेयरों पर लाभांश की राशी और दर भी तय नहीं होती है, लाभांश की राशी या दर कम्पनी की कमाई पर निर्भर करती है । इन शेयरों पर लाभांश का भुगतान केवल उधर ली गई पूंजी पर इयज और वरीयता शेयरों पर लाभांश भुगतान केवल उधर ली गई पूंजी पर ब्याज और वरीयता शेयरों पर लाभांश का भुगतान करने के बाद किया जाता है, इसी तरह, परिसमापन के समय, सभी ऋणों और वरीयता शेयातो के भुगतान के बाद ही इक्विटी शेयरधारको को राशी वापस की जाती है ।
शेयर जरी करने का प्रक्रिया (Procedure of Issuing Shares)
कंपनी की पूंजी की एक प्रमुख विशेषता यह है की उसके शेयरों की राशी को उसकी बढ़ती वितीय आव्श्यक्य के आधार पर समय की अवधी में आसान किश्तों में धीरे-धीरे एकत्र किया का सकता हैं, पहली किस्त आवेदन के साथ एकत्र की जाती है और इस प्रकार इसे आवेदन राशी के रम में जाना जाता है, दूसरी किश्त आवंटन पर और शेष क़िस्त को पहली कॉल, दूसरी कॉल और से जुड़ा अधिमानी शेयर है, हलाकि, यह किसी भी जरह से किसी कंपनी को आवेदन के समय शेयरों पर पूरी राशी मांगने से नहीं रोकता है, कंपनी सबसे पहले जनता के लिए प्रोस्पेक्टस जरी करती है, प्रोस्पेक्टस जनता के लिए एक निमंत्रण है की एक नई कम्पनी अस्तित्व में आई है और उसे व्यसाय करने के लिए धन की आवश्यकता है, इसमें कंपनी के बरे में पूरी जानकारी होती है और जिस तरीके से सिभावित निवेशकों से पैसा इकट्ठा किया जाता है ।
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शेयर का अर्थ और प्रकार (Meaning and types of Share)
आज हम बात करने बाले हैं शेयर के अर्थ और प्रकार के बरे में, प्रत्येक कम्पनी को अपने लेनदेन / गतिविधियों को स्थापना करने और संचालित अधिमानी शेयर करने के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है । शेयर एक हिस्सा है जो एक कंपनी की पूंजी के संग्रह का एक साधन है, दुसरे शब्दों में, कंपनी की कुल पूंजी को निश्चित मूल्य वाली छोटी व्यक्तिगत एकैयो में विभाजित किया जाता है और ऐसी प्रत्येक छोटी इकाई को शेयर कहा जाता है, एक शेयर शेयर पूंजी का एक आंशिक हिस्सा है और एक कंपनी अधिमानी शेयर में स्वामित्व हित का आधार बनता है । उदाहरण के लिए, यदि किसी कम्पनी की कुल पूंजी 1,000,000 रुपये है, जिसे प्रत्येक 100 रुपये के 10,000 शेयर में विभाजित किया गया है, तो रू 100 की प्रत्येक इकाई को एक शेयर ध जाता है, प्रत्येक शेयरधारक को कंपनी की सामान्य मुहर के तहत एक शेयर प्रमाणपत्र दिया जाता है जो शेयर पूंजी में उसकी हिस्सेदारी का सबूत देता है ।
1. वरीयता शेयर / पसिदिदा स्टोक (Preference Share / Preferred Share)
2. इक्विटी/सामान्य/ साधारण शेयर या सामान्य स्टॉक (Equity/Common/Ordinary share or common share)
वरीयता अधिमानी शेयर शेयर / पसिदिदा स्टोक (Preference Share / Preferred Share)
वरीयता शेयर (Preference share) वे शेयर जो लाभांश प्राप्त करने और पूंजी की वापसी के लिए इक्विटी शेयर की तुलना में प्राथमिकता या वरीयता देने के प्रावधान के साथ जरी किये जाते है परिसमापन के समय को वरीयता शेयर (Preference share) कहा जाता है ।
वरीयता शेयर के प्रकार (Types of Preference Shares)
लाभांश के अधिकार के आधार पर (On the basis of right of Dividend)
a. संचयी वरीयता शेयर (Cumulative Preference Shares)
प्रयाप्त लाभ होने पर शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान किया जाता है । यदि उस वर्ष के लाभांश का भुक्तान उस वर्ष में किया जायेगा जब कंपनी के पास पर्याप्त लाभ होता है जिसे संचयी वरयता शेयर के रूप में जाना जाता हैं ।
b. गैर–संचयी वरीयता शेयर: (Non-Cumulative Preference Shares)
ऐसे शेयरों पर लाभांश का भुगतान केवल चालू वर्ष के मुनाफे में से किया जाता है, यदि अपर्याप्त लाभ होता है, तो उन्हें कम दर पर लाभिंश स्वीकार करना पड़ता हैं या कोई लाभांश नहीं मिलता है ।
पूंजी के वसूली के आधार पर (On the basis of Recovery of Capital)
a. रिडिमेबल परेफरेंस शेयर्स (Redeemable Preference Shares)
वे परेफरेंस शेयर जिन्हें कंपनी द्वारा अधिमानी शेयर एक निश्चित अवधी के बाद भुनाया जाना है, Redeemable Preference Shares कहलाते है । शेयर जरी करते समय वरीयता शेयर के मोचन के लिए नियम और शर्ते निर्दिष्ट करने की आवश्यकता होकी है इन शेयरों को शेयरों के एक ने मुद्दे से या कंपनी के मुनाफे में से भुनाया जाता है ।
b. अप्रतिदेय वरीयता शेयर (Irredeemable Preference shares)
यदि अधिमानी शेयर बिना परिपक्वता या चुकौती अवधी के जरी किये जाते हैं, तो उन्हें अप्रतिदेय या स्थायी या गैर प्रतिदेय अधिमानी शेयर कहा जाता है, हालांकी कंपनी के जीवन के दौरान शेयर पूंजी की राशी वापस नहीं की जा सकानी है; इन शेयर को कंपनी के परिसमापन या समापन के समय ही चिकाया जा सकता है ।
परिवर्तन के आधार पर (On the basis of Convertibility)
a. परिवर्तनीय अधिमानी शेयर (Convertible Preference Shares)
जिन अधिमानी शेयरों की विशिष्ट सामान के बाद या परिपक्वता अवधी की समय कंपनी के equity shares में परिवर्तित किया जा सकता है, association के अनुच्छेद में प्रावधान होने पर वरीयता शेयरों को equity shares में परिवर्तन किया जात सकता है ।
b. गैर-परिवर्तनीय अधिमानी शेयर (Non-Convertible Preference Shares)
वे वरीयता शेयर (Preference share) जिन्हें कंपनी के जीवन के दौरान equity shares में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है । गैर-परिवर्तनीय अधिमानी शेयर (Non-Convertible Preference Shares) कहलाते है ।
Participation के आधार पर (On the basis of Participation)
a. Participating वरीयता शेयर (Participating Preference share)
वे परेफरेंस शेयर, जिन्हें equity shares को डिविडेंड देने के बाद बचे हुवे surplus profit में डिविडेंड की निश्चित दर पर अतिरिक्त डिविडेंड के लिए भाग लेने का अधिकार होता है जो Participating Preference share कहलाते है । ये शेयर कंपनी के समापन के समय equity शेयरधारको पूंजी के पुनाभुगतान के बाद छिड़ी गई सम्पति के मूल्य में भाग लेने के अधिकार के भी अधिमानी शेयर पत्र हैं ।
b. गैर भागीदारी वाले वरीयता शेयर (Non-Participating Preference share)
वे वरियता शेयर जो लाभांश की निश्चित दर से अधिक लाभ में भाग के अधिकार अहि रखते हैं जो गैर भागीदारी वाले वरीयता शेयर (Non-Participating Preference share) कहलाते है । वरीयता शेयर को हमेशा एक गैर भागीदारी वाले वरीयता शेयर माना जाता है जब तक की association के अनुच्छेद में अन्यथा न कहा गया हो ।
इक्विटी/साधारण/सामान्य शेयर (Equity/Ordinary/Common Share)
कम्पनी के वास्तविक शरेधारक या ऐसे शेयरों के धारक जो वास्तास में कंपनी को जोखिम को सहन करते हैं । इक्विटी शेयर कहलाते है, परिसमापन के समय इक्विटी शेयर का लाभांश और पुन्ही की वापसी पर कोई अधिमान्य अधिकार नहीं है, ऐसे शेयरों पर लाभांश की राशी और दर भी तय नहीं होती है, लाभांश की राशी या दर कम्पनी की कमाई पर निर्भर करती है । इन शेयरों पर लाभांश का भुगतान केवल उधर ली गई पूंजी पर इयज और वरीयता शेयरों पर लाभांश भुगतान केवल उधर ली गई अधिमानी शेयर पूंजी पर ब्याज और वरीयता शेयरों पर लाभांश का भुगतान करने के बाद किया जाता है, इसी तरह, परिसमापन के समय, सभी ऋणों और वरीयता शेयातो के भुगतान के बाद ही इक्विटी शेयरधारको को राशी वापस की जाती है ।
शेयर जरी करने का प्रक्रिया (Procedure of Issuing Shares)
कंपनी की पूंजी की एक प्रमुख विशेषता यह है की उसके शेयरों की राशी को उसकी बढ़ती वितीय आव्श्यक्य के आधार पर समय की अवधी में आसान किश्तों में धीरे-धीरे एकत्र किया का सकता हैं, पहली किस्त आवेदन के साथ एकत्र की जाती है और इस प्रकार इसे आवेदन अधिमानी शेयर राशी के रम में जाना जाता है, दूसरी किश्त आवंटन पर और शेष क़िस्त को पहली कॉल, दूसरी कॉल और से जुड़ा है, हलाकि, यह किसी भी जरह से किसी कंपनी को आवेदन के समय शेयरों पर पूरी राशी मांगने से नहीं रोकता है, कंपनी सबसे पहले जनता के लिए प्रोस्पेक्टस जरी करती है, प्रोस्पेक्टस जनता के लिए एक निमंत्रण है की एक नई कम्पनी अस्तित्व में आई है और उसे व्यसाय करने के लिए धन की आवश्यकता है, इसमें कंपनी के बरे में पूरी जानकारी होती है और जिस तरीके से सिभावित निवेशकों से पैसा इकट्ठा किया जाता है ।
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