एक दलाल चुनना

क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है

क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है
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सलाखों में पहुंचे एसपी व दम्पती

कोटा। घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार निलंबित एसपी सत्यवीर सिंह, दलाल दम्पती फरहीन व निसार.

Updated: January 16, 2015 12:02:40 pm

कोटा। घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार निलंबित एसपी सत्यवीर सिंह, दलाल दम्पती फरहीन व निसार को सोमवार को जेल भेज दिया गया। रिमांड अवधि पूरी होने के बाद एसीबी ने सुबह तीनों को न्यायालय में पेश किया, जहां से 10 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश हुए। इसके बाद इन्हें कोटा सेंट्रल जेल भेजा गया। बरसों पुरानी कोटा जेल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब कोई आईपीएस वहां पहुंचा है। पेशी से जेल तक के घटनाक्रम पर राजस्थान पत्रिका टीम ने पूरी नजर रखी। पेश है आंखों देखी लाइव रिपोर्ट-

सुबह 7.20
पूर्व में पेशी के दौरान उपजे हालात के मद्देनजर एसीबी ने इस बार तीनों को सुबह जल्दी ही पेश करने का मानस बना लिया था
और यही सूचना शहर पुलिस को दी गई थी। कोर्ट परिसर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी थे। यहां करीब सौ पुलिसकर्मियों का घेरा
था। एसीबी के अधिकारी चार वाहनों से एसपी सहित तीनों को लेकर आए। बिना कोई क्षण गंवाए सीधे कोर्ट में दाखिल हो गए। भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय के न्यायाधीश अवकाश पर होने से अभियुक्तों को जिला न्यायालय में पेश किया गया।

सुबह 7.48
पेशी खत्म। कोर्ट द्वारा जेल भेजने के आदेश होने के बाद अभियुक्तों को वाहनों से जेल के बजाय पुलिस अन्वेषण भवन ले जाया गया। एसीबी की ओर से कहा गया कि न्यायालय से वारंट आने तक सुरक्षा कारणों से अभियुक्तों को यहां लाया गया है। करीब तीन घंटे तक अभियुक्तों को यहीं रखा गया। यह भवन पुलिस का गेस्ट हाउस है। यहां फरहीन व निसार से इनके बच्चे भी मिलने पहुंचे। कुछ बैग लाए और मुलाकात की।

सुबह 10.50
जेल में पहले से जाब्ता पहुंच चुका था। तीन वाहनों से एसीबी के अधिकारी अभियुक्तों को लेकर आए। गाडियों को सीधे गेट के करीब लगाया और तीनों का भीतर दाखिला करा दिया। दो अधिकारी गेट के बाहर खड़े हो गए, फिर इन्होंने कुछ देर बाद कागजात जेल में अंदर सौंपे। इसके बाद तीनों को विधिवत रूप से बंदी की जगह दे दी गई। यहां एसीबी के दो वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनभर कार्मिक आए थे।

बंदियों ने लगाए नारे, एसपी.. हाय-हाय
अभियुक्तों के जेल पहुंचने से पहले बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी जेल पहुंच गए। इस दौरान जैसे ही बंदियों को पेशी के लिए निकाला जाता तो वे समझ जाते कि मीडिया वाले क्यों आए हैं? बंदियों ने एसपी के खिलाफ नारे लगाए।

मुझे जेल में जान का खतरा-एसपी
न्यायाधीश जी. आर. मूलचंदानी ने जैसे ही तीनों को जेल भेजने के आदेश दिए तो सत्यवीर सिंह की ओर से न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र पेश किया गया। जिसमें कहा कि उनके कार्यकाल के कई संगीन प्रकरणों के मुल्जिम कोटा सेंट्रल जेल में हैं, जिनसे उन्हें जान का खतरा है। इस कारण मुझे कोटा केन्द्रीय कारागार की जगह अन्य किसी भी कारागार में भेजा जाए। प्रार्थना पत्र पर एसीबी के अधिकारियों ने तो कोई आपत्ति नहीं की, लेकिन लोक अभियोजक ने प्रार्थना पत्र पर जवाब के लिए समय चाहा। इस पर न्यायालय ने 5 जून को सुनवाई के तय किया। प्रार्थना पत्र पर आदेश होने तक कोटा जेल में ही रहेंगे।

"पांच-सात लाख में क्या रखा है, खूब खाओ"

जयपुर. खाना है तो खूब खाओ पांच सात लाख में क्या रखा है। कोटा में निलंबित एसपी सत्यवीर सिंह के लिए रिश्वत लेते पकड़े गए दलाल दम्पती निसार एवं फरहीन कुछ ऎसी ही सोच पर काम कर रहे थे और शहर के थानों में दर्ज मामलों की जांच बदलवाने के बदले "मोटी रकम" मांगते थे। एसीबी की तफ्तीश में खुलासे हो रहे हैं कि निलंबित एसपी सत्यवीर की सहमति से दलाल दम्पती जमीन विवाद मामलों के पीडितों एवं शहर में जुए सट्टे का गोरखधंधा चलानेवालों से उगाही करते थे। एसीबी पूछताछ में कोटा शहर के कई पुलिसकर्मियों की मिलीभगत की बात सामने आई है। पुराने मामलों की पत्रावलियों की जांच बदलने में संदिग्ध भूमिका पाए जाने के बाद इनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।

जुए के गोरखधंधे में लाखों की बंधी!
शहर में जुआ सट्टा भी फरहीन की मर्जी से चलता था। निसार व फरहीन की मोबाइल ट्रांस्क्रिप्ट में सामने आया है कि जुए का गोरखधंधा चलानेवालों से हर माह लाखों रूपए बंधी ली जाती थी। जुआ चलानेवालों पर अगर पुलिस कार्रवाई करती थी तो फरहीन एसपी से शिकायत कर देती थी। एक एएसपी की कार्रवाई से परेशान होकर सत्यवीर ने कहा था कि वह "ईमानदारी का पुतला है, उसका कुछ नहीं हो सकता।"

. और मुस्कुराता निकला निसार
पूर्व में हुई पेशी के मुकाबले तीनों अभियुक्तों की चाल-ढाल और हावभाव में काफी बदलाव था। फरहीन का पति निसार तो पूरी तरह निश्चिंत नजर आया। अन्वेषण भवन से जेल रवाना करते वक्त उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, बल्कि वह मुस्कुराता हुआ निकला। जबकि एसपी व फरहीन चिंतामग्न थे।

वकील नहीं हुए उपस्थित
अदालतों में 365 दिन कामकाज के उच्चतम न्यायालय के प्रस्ताव के विरोध में अभिभाषक परिषद की ओर से सोमवार को न्यायिक कार्य स्थगित रखा गया था। इस कारण से अदालत में अभियुक्तों की ओर से किसी भी अधिवक्ता ने पैरवी नहीं की और न ही उपस्थित हुए। इस मामले में अब जमानत का प्रार्थना पत्र पेश किया जाएगा।

रात डेढ़ बजे पहुंची टीम
इससे पहले देर रात करीब डेढ़ बजे से ही एसीबी के अधिकारी तीनों अभियुक्तों को लेकर कोटा पहुंच गए। रात को अन्वेषण भवन में ही रखा गया और सुबह पेश किया गया। अन्वेषण भवन रात से ही पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे।

"फरहीन की अच्छी राजनीतिक पहुंच"
इस मामले में एसीबी की ओर से न्यायालय में पेश दस्तावेज में तर्क दिया गया कि सत्यवीर सिंह कोटा में एसपी रहे हैं। फरहीन व निसार ने उनके साथ मिलीभगत कर कई प्रकरणों में नतीजों को प्रभावित किया है। एसपी महत्वपूर्ण पद है और फरहीन की भी अच्छी राजनीतिक पहुंच है। मुकदमे के अनुसंधान में समय लगेगा। साक्ष्य एकत्रित किए जाने हैं। ऎसे में मुल्जिमों को जमानत पर छोड़े जाने से गवाहों को प्रभावित करने व साक्ष्य खुर्द-बुर्द करने का पूर्ण अंदेशा है। इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज जाए।

यह है प्रकरण
एसीबी जयपुर की टीम ने सत्यवीर सिंह सहित तीनों को दो लाख रूपए की रिश्वत के आरोप में 27 मई को गिरफ्तार किया था। तीनों को अगले दिन भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें 2 जून तक रिमांड पर सौंप दिया था। रिमांड अवधि पूरी होने पर एसीबी अधिकारियों ने तीनों को दोबारा न्यायालय में पेश किया। एसीबी ने न्यायालय से तीनों अभियुक्तों को जेल भेजने की प्रार्थना की, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।

अनुसंधान अधिकारी ने डाला पड़ाव
मामले में अनुसंधान जयपुर एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी को सौंपा गया है। अभियुक्तों को जेल दाखिल कराने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रकरण में सभी पहलुओं पर अनुसंधान किया जाएगा। फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। आगामी कुछ दिनों तक एसीबी टीम कोटा में ही रहकर तफ्तीश करेगी।

Disney ने भी Meta-Twitter के बाद उठाया बड़ा कदम, करेगा कर्मचारियों की छंटनी; मंदी की आहट?

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सोशल मीडिया वेबसाइट्स ट्विटर, मेटा समेत कई कंपनियों में हुई छंटनी के बाद अब वॉल्ट डिज्नी ने भी कड़े कदम उठाए हैं। कंपनी नई हायरिंग को फ्रीज करने और कई कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की योजना बना रही है। इसके पीछे स्ट्रीमिंग सर्विस डिज्नी प्लस को प्रॉफिट में न होना वजह है। मालूम हो कि वेस्टर्न कंट्रीज में आर्थिक अनिश्चितता का दौर चल रहा है, जिससे मंदी की भी आहट होने लगी है। डिज्नी के चीफ एग्जीक्यूटिव बॉब चापेक ने कंपनी के टॉप लीडरशिप को एक मेमो भेजा और कहा कि वह टारगेटेड हायरिंग को फ्रीज कर रही है। साथ ही कुछ स्टाफ में कटौती किए जाने की भी आशंका है, जिससे लागत को मैनेज किया जा सके।

चापेक ने मेमो में लिखा है, “कुछ व्यापक आर्थिक फैक्टर्स हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हम सभी को उन चीजों को प्रबंधित करने के लिए अपना काम जारी रखना होगा जिन्हें हम नियंत्रित कर सकते हैं – विशेष रूप से, हमारी लागत।” चापेक ने कहा कि डिज्नी ने मुख्य वित्तीय अधिकारी क्रिस्टीन मैकार्थी और जनरल काउंसल होरासियो गुटिरेज़ सहित एक टास्क फोर्स की स्थापना की है, ताकि उन्हें महत्वपूर्ण बड़े निर्णय लेने में मदद मिल सके।

कंपनी ने पहले से ही सामग्री और मार्केटिंग खर्च को देखना शुरू कर दिया है। हालांकि, उन्होंने कहा है कि कटौती के चलते गुणवत्ता से त्याग नहीं होगा। चापेक ने कहा कि व्यापार यात्रा सीमित होगी और यात्राओं के लिए अग्रिम स्वीकृति की आवश्यकता होगी। डिज्नी ने तिमाही आय के लिए वॉल स्ट्रीट के अनुमानों के बाद यह कदम उठाया है। मनोरंजन जगत की दिग्गज कंपनी को अपने स्ट्रीमिंग वीडियो से काफी नुकसान उठाना पड़ा है। कंपनी इसे डायरेक्ट टू कस्टमर भी कहती है।

नतीजों के बाद बुधवार को कंपनी के शेयरों में 13% से ज्यादा की गिरावट आई। डिज्नी ने कहा है कि तेजी से बढ़ती सेवा ने चौथी तिमाही में 12 मिलियन ग्राहक जोड़े, लेकिन लगभग 1.5 बिलियन डॉलर का ऑपरेटिंग घाटा हुआ। कंपनी ने कहा कि डिज्नी+ वित्तीय वर्ष 2024 में प्रॉफिट में आ जाएगा। मालूम हो कि डिज्नी प्लस अपने वीडियो कॉन्टेंट के लिए जाना जाता है। इस स्ट्रीमिंग कंपनी ने स्टार वार्स, द मंडलोरियन, हॉक आई आदि जैसी ऑरिजनल सीरीज बनाई है। वहीं, वॉल स्ट्रीट के विश्लेषकों ने डिज्नी की बढ़ती स्ट्रीमिंग लागत के बारे में चिंता व्यक्त की है।

मेटा और ट्विटर से भी हुई है छंटनी
हाल ही में फेसबुक की पैरेंट कंपनी Meta ने 11 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला किया। मेटा ने कहा कि वह अपने कर्मचारियों के 13 प्रतिशत या 11,000 से अधिक कर्मचारियों को इस साल की सबसे बड़ी छंटनी में जाने देगा क्योंकि कंपनी बढ़ती लागत और कमजोर विज्ञापन बाजार से जूझ रही है। बता दें कि 18 साल के इतिहास में मेटा पहली बार इतने बड़े स्तर पर छंटनी कर रही है। हाल ही में एलन मस्क के स्वामित्व वाली ट्विटर और माइक्रोसॉफ्ट समेत कई दिग्गज कंपनियों में भी हजारों कर्मचारियों को निकाला है।

हत्या के खेल में फंसे युवक

आर्थिक मंदी की मार से भी ब्राजील की रफ्तार रुकी नहीं. ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए ये देश दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना गया. लेकिन यहां के युवाओं में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति इसके माथे पर काले टीके की तरह है.

दुनिया में सबसे ज्यादा हत्याएं ब्राजील में होती हैं. लैटिन अमेरिका स्कूल ऑफ सोशल साइंस के एक रिसर्च के मुताबिक पिछले 30 सालों में ब्राजील के 19 साल से कम युवाओं में हत्या करने की दर 346 प्रतिशत बढ़ गई है.

रियो दे जेनेरियो से 20 किलोमीटर की दूरी पर फावेला अकारी नाम की झोपड़ पट्टी है. यहां की आबादी करीब 50 हजार है. इससे गुजरते हुए आप ये देखे बिना नहीं रह सकते कि ड्रग तस्करी ने किस तरह झोपड़पट्टी के लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है. असॉल्ट राइफल लिए जवान झोपड़पट्टी की महत्वपूर्ण जगहों पर तैनात रहते हैं. उन्हे वॉकी टॉकी से संदेश दिया जाता है. दीवारों पर लिखा है टीसीपी (थर्ड प्योर कमांड). ये रियो दे जेनेरियो का तीसरा सबसे बड़ा ड्रग तस्कर गिरोह है.

ड्रग धंधा या मजबूरी

वेनदेर्ले दा कून्हा पिछले 37 साल से इसी झोपड़पट्टी में रह रहे हैं. उनका कहना है कि ड्रग का धंधा अकारी और दूसरे समुदायों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है. वो कहते हैं, "करीब 30 साल पहले यहां हालात दूसरे थे. लेकिन अब तो ड्रग तस्करी का धंधा लाखों डॉलर वाले उद्योग का रूप ले चुका है". बकौल कून्हा इस धंधे में ये नहीं देखा जाता कि कितनी जाने चली गईं. यहां कोई लंबी दूरी के फायदे के लिए नहीं आता. लोग इसमें इसीलिए शामिल होते हैं क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं होते.

इसी साल जनवरी में ब्राजील ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया और दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. लेकिन एक आंकड़ा और है जो खौफनाक है. लैटिन अमेरिका स्कूल ऑफ सोशल साइंस ने 91 देशों के युवाओं के बीच हत्या की प्रवृत्ति पर सर्वे कराया था. इसमें ब्राजील चौथे नंबर पर था. अल सल्वाडोर, वेनेज्वेला, त्रिदिनाद टोबेगो ही तीन देश हैं जहां युवाओं में ब्राजील से भी ज्यादा हत्या की प्रवृत्ति है.

ऐसा नहीं है कि कून्हा जैसे लोग समस्या से अनजान हैं. उन्हे पता है कि क्या हो रहा है. वो कहते हैं, "युवाओं की हत्या ड्रग तस्करी से जुड़ी है. लोग गैंगवार में मारे जाते हैं. पुलिस और ड्रग माफिया की लड़ाई में भी जानें जाती हैं. सबसे बड़ी बात है कि जेल के अंदर भी बहुत सी मौतें होती हैं." उनका कहना है कि मौत के असली आंकड़े तो और भी भयावह हैं. ज्यादातर मरने वाले गरीब और कमजोर हैं इसलिए उनकी मौत को दर्ज ही नहीं किया जाता.

पुलिस भी मारती है

कून्हा का कहना सही भी है. अध्ययन में सामने आया है कि ब्राजील में पिछले 30 साल से जारी हत्या में लोग न केवल विरोधी गैंग के साथ लड़ाई में मारे जाते हैं बल्कि पुलिस के साथ फायरिंग में भी बहुत लोगों की जान जाती है. एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठनों ने रियो दे जेनेरियो पुलिस की मानवाधिकार हनन के लिए कई बार आलोचना भी की है. हाल ही में शहर में 1993 में हुए एक हत्याकांड की बरसी मनाई गई थी. जिसमें पुलिस ने 11 से 20 साल के बच्चों पर गोलीबारी की थी. इसमें 8 बच्चों की जान चली गई थी.

वेस्ले डेलरियोब्लाक पेशे से पत्रकार हैं. वो फावेला अकारी में रह रहे हैं. उनका कहना है कि इलाके में हो रही हिंसा ने उन्हे सीधे तौर पर प्रभावित किया है. उनके दो भाई गोलीबारी में मारे गए. एक पुलिस की गोलियों से मारा गया जबकि दूसरा सुरक्षा दस्ते का शिकार हो गया. वो बताते हैं कि इलाके के अमीर लोग निजी सुरक्षा कर्मियों का दस्ता तैयार रखते हैं. इन लोगों की जिम्मेदारी ये सुनिश्चित करना है कि लोग कहीं चोरी न करे. उनके दूसरे भाई की हत्या इसी निजी सुरक्षा दस्ते के हाथों हुई थी.

अमीरी गरीबी में फर्क

ब्राजील बेशक तेज गति से आर्थिक विकास कर रहा है लेकिन इसके बावजूद गरीबों और अमीरों में फर्क बढ़ता जा रहा है. जी-20 के सभी देशों में इस मामले में ब्राजील दूसरे नंबर है. अमीरी गरीबी के फर्क के मामले में ब्राजील से आगे दक्षिण अफ्रीका ही है.

यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख 27/09 और कोड 5466 हमें भेज दीजिए ईमेल के जरिए [email protected] पर या फिर एसएमएस करें +91 9967354007 पर.तस्वीर: Fotolia/Yuri Arcurs

फ्रांसेलिने कारडासो नाम के सामाजिक कार्यकर्ता झोपड़पट्टी में सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाते हैं. उनका कहना है कि विकास और अपराध के बीच सीधा संबंध है. वो बताते हैं कि क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है ब्राजील का निर्माण ही हिंसा के आधार पर हुआ है. सबसे पहले यहां के मूल निवासियों की हत्या की गई फिर अटलांटिक महासागर के पार के देशों के साथ दासों का व्यापार शुरु हुआ. आजकल गैर बराबरी और हिंसा का सहारा लेकर जनता को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है. मापा दो वायलेंसिया स्टडी, के लेखक का कहना है कि ब्राजील में हिंसा को सामान्य माना जाने लगा है.

कून्हा कहते हैं, "मीडिया और सरकार की नीतियों ने मिलकर ऐसा माहौल बना दिया है जिससे लगता है कि जो गरीब लड़का ड्रग के धंधे में लगा है वो या तो आतंकवादी है या फिर देश का दुश्मन है."

रियो की झोपड़पट्टी में रहने वाले युवाओं में से कुछ पुलिस की गोली से मारे जाते है. कुछ का जीवन सलाखों के पीछे बीतता है. कुछ विरोधी गैंग के साथ लड़ाई में मारे जाते हैं. ब्राजील के सभी लोगों को इसके आर्थिक विकास का फायदा मिलना बाकी है.

पंजाब में जेलों की सुरक्षा में सेंध, सिस्टम हुआ तार-तार

पंजाब में जेलों की सुरक्षा में सेंध, सिस्टम हुआ तार-तार

जेएनएन, जालंधर। जेल. वो चारदीवारी वो नाम जहां अपराधियों को इसलिए भेजा जाता है कि वे सुधर जाएं। जेल से छूटें तो अच्छे नागरिक बनें। दोबारा अपराध की दुनिया में कदम न रखें, लेकिन आजकल जो हालात दिखाई दे रहे हैं उन्होंने जेल नाम की परिभाषा बदल दी है। जेल में नशा, जेल में ही जेल ब्रेक की साजिशें, जेल में ही अगले अपराध की रूपरेखा और जेल से गैंगस्टर नेटवर्क आपरेट किए जाने लगे हैं।

इंटरनेट व मोबाइल इसका जरिया बनते हैं और पंजाब की जेलों में ये सब आसानी से उपलब्ध है। अपराध की नींव ही अब जेलों से रखी जाने लगी है। कुख्यात अपराधियों के हाथ में जेलों में मोबाइल धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि ये लोग पकड़े नहीं जाते और कानून के रक्षक कार्रवाई नहीं कर रहे। सब कुछ हो रहा है। मोबाइल भी पकड़े जा रहे हैं और मोबाइल चलाने वाले भी पकड़े जा रहे हैं। बस, अगर कुछ हाथ नहीं लग रहा तो वो है इन अपराधियों तक क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है मोबाइल पहुंचाने वाला नेटवर्क।

राज्य की इंटेलीजेंस भी इस नेटवर्क के आगे असहज नजर आ रही है, जेल प्रशासन मामले दर्ज करवाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। पंजाब में कई ऐसी सनसनीखेज वारदातें हो चुकी हैं जिन्हें आतंकियों, गैंगस्टर्ज और आइएसआइ नेटवर्क ने उन लोगों के जरिए अंजाम दिलवा दिया जो लोग जेलों में बंद हैं। कहीं न कहीं जेलों से रची जाने वाली इन साजिशों के लिए मोबाइल फोन और इंटरनेट का जेलों से इस्तेमाल बड़ी भूमिका निभाता रहा है।

जेलों में मोबाइल का प्रयोग क्यों नहीं रुक रहा और जेलों में मोबाइल पहुंच कैसे रहे हैं, ये सवाल सिर उठाए खड़ा है। जिसका जवाब सरकार और जेल प्रशासन भी नहीं दे पा रहा है। कैदी जेलों से ही वाट्सएप और फेसबुक चला रहे हैं। मोबाइल के जरिए अपने गुर्गों को बाहर कहां, कौन सी वारदात करनी है फोन पर ही बताते है। जिसका नमूना पंजाब में हुई सात बड़ी हत्याओं का मामला है, जिसमें जेल में बैठा गैंगस्टर गुगनी ग्रेवाल हथियार सप्लाई कर रहा था, इसके अलावा रवि ख्वाजके और नाभा जेल ब्रेक जैसे कांड भी जेल के अंदर चल रहे मोबाइल की मदद से अंजाम दिए गए।

ऐसे पहुंचते हैं जेलों में मोबाइल और सुरक्षा पर खड़े होते हैं सवाल

सूत्रों की मानें तो जेल में बंद अपने परिजनों को मिलने आने वाले परिवारों से पहली मुलाकात में कैदी अगली बार मोबाइल लाने के लिए कहते हैं तो परिवार के लोग मोबाइल लाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाते हैं। कभी सब्जी के अंदर छिपाकर, तो कभी जूते के अंदर मोबाइल को फिक्स कर जेल के अंदर तक पहुंच जाते हैं। अगर ये सब न हो सके तो मुलाकात के वक्त कैदी परिजन को बैरक से बाहर आने का समय बता देते है। जिसके उन्हें अगले दिन जेल की दीवार के बाहर से मोबाइल अंदर फेंकने का समय और जगह बता देते हैं। इसके बाद उक्त शख्स मोबाइल बताए समय व स्थान पर अंदर फेंक देता है।

कई बार तो ज्यादातर कैदी पेशी के दौरान अपने साथ कुछ इस तरह से मोबाइल छिपाकर ले आते ही कि चैकिंग के बाद भी मोबाइल पकड़ा नहीं जाता। इन सबके बीच सवाल ये खड़े होते हैं कि क्या जेलों में चैकिंग की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है या चैकिंग के दौरान ही कुछ चीजों को अनदेखा कर दिया जाता है। जेल में क्या कोई भी, कुछ भी, कभी भी और कहीं से भी फेंक सकता है। यहीं नहीं सूत्रों की मानें तो जेल में मोबाइल कुछ मुलाजिमों की मिलीभगत से भी पहुंच रहे हैं। अगर वाकई ऐसा है तो जब मोबाइल पकड़े जाते हैं तो इसकी जांच क्यों नहीं की जा रही कि जिससे मोबाइल मिला उसे वह मोबाइल किसने दिया।

आंकड़े बयां करते हैं अलग कहानी

दैनिक जागरण ने पंजाब की विभिन्न जेलों में पिछले छह महीनों के दौरान पकड़े गए मोबाइल फोन के आंकड़े और दर्ज हुए मामलों की जानकारी हासिल की तो हैरानीजनक जानकारी सामने आई। इस अविधि के दौरान करीब 200 मोबाइल पकड़े गए और कैदियों 180 कैदियों पर मामले दर्ज हुए, जबकि जेल स्टाफ की मिलीभगत के कारण केवल आठ कर्मचारियों पर मामले दर्ज हुए।

इससे एक सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या शेष मामलों में किसी कर्मचारी की कोई भूमिका नहीं रही या जेलों की सुरक्षा ही तार-तार है। क्यों इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा और कैदियों को मोबाइल व इंटरनेट देने वाले हाथ किसके हैं? ताजा मामलों में 23 नवंबर को लुधियाना की महिला जेल से चार मोबाइल मिले। इससे पहले 21 नंवबर को चैकिंग के दौरान 11 मोबाइल, 28 अक्तूबर को छह मोबाइल और 22 अक्तूबर को दो मोबाइल मिले थे।

हाल ही में जेल से मोबाइल पर ये हुआ

-- बठिंडा की सेंट्रल जेल जेल में बंद डबल मर्डर केस के आरोपी ललित कुमार उर्फ लाली ने फिरोजपुर निवासी गवाह को फोन पर धमकी देकर पुलिस व जेल प्रबंधन में खलबली मचा दी। आनन-फानन में पुलिस ने देर रात सर्च करके उसके कब्जे से सैमसंग कंपनी का मोबाइल फोन बरामद कर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया।

-- फरीदकोट जेल में गैंगस्टर से राजनीतिज्ञ बने लक्खा सिधाना ने फेसबुक पर लाइव होकर किसानों और सरकार को ही नसीहत दे डाली। पराली के मुद्दे पर सिधाना ने कहा था कि किसानों को ऐसा नहीं करना चाहिए और सरकार को भी इसका हल ढूंढना चाहिए। बाद में उस पर मामला दर्ज हुआ और साथ में उसे मोबाइल उपलब्ध करवाने वाले जेल स्टाफ सदस्य पर भी केस दर्ज किया गया।
-- इससे पहले भी कई बार गैंगस्टर जेलों में जन्मदिन मनाने औदि के वीडियो फेसबुक पर डालते रहे हैं।

ऐसे हैं सुरक्षा में छेद

मैक्सिमम सिक्योरिटी जेल नाभा में लगे जैमर 4जी नेटवर्क जाम करने में नाकाम हैं। फास्ट इंटरनेट के लिए मोबाइल कंपनियों ने 4जी लांच किया। इसके बाद ही 27 नवंबर 2016 को नाभा जेल ब्रेक हुई थी। जेल ब्रेक होने के पीछे एक बड़ी वजह जेल के अंदर मोबाइल फोन इस्तेमाल होना बताया गया था।

जेल के जैमर सिर्फ 3जी और 2जी नेटवर्क जाम करते हैं, मगर जेल में क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है बैठे गैंगस्टर 4जी नेटवर्क वाले फोन व सिम कार्ड इस्तेमाल करते थे। एक साल पहले जेल ब्रेक के बाद लगातार हो रही गिरफ्तारियों के दौरान गैंगस्टर्स द्वारा 4जी नटवर्क के इस्तेमाल का खुलासा हुआ था। जेल में जैमर को 4जी नेटवर्क को जाम करने योग्य बनाने के लिए नया सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का काम अभी भी अधर में है।

एडीजीपी जेल इकबाल प्रीत सहोता से सीधी बात

-- क्या जेल की सुरक्षा इतनी कमजोर है कि कोई भी अंदर आकर कैदी को मोबाइल दे जाता है या पेशी पर गया कैदी आसानी से मोबाइल अंदर ले आता है?
जवाबः नहीं एेसा एकदम नहीं हैं। जेल के अंदर जाने वाले हर शख्स की तलाशी ली जाती है। जेल स्टाफ पर भी नजर रखी जा रही है। पेशी पर कई बार कैदी से मिलने वाले लोग जरूर मोबाइल देने की कोशिश करते हैं, जानकारी में आते ही मोबाइल जब्त कर लिए जाते हैं।

-- मोबाइल मिलने पर कैदी पर मामला दर्ज कर लिया जाता है? क्या जेल स्टाफ सदस्यों की भूमिका की कभी जांच नहीं करवाई जाती?

जवाबः एकदम सही बात है, जेल स्टाफ सदस्यों पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी गई है। उनके खिलाफ भी कारवाई करने के आदेश दिए गए हैं।

-- पिछले छह महीने में 200 मोबाइल पकड़े जा चुके हैं, कैसे जेल में पहुंचे इसकी जांच की गई? जांच में क्या निकला?

जवाबः हां हर मामले की जांच की जा रही है। अभी तक रिपोर्ट मेरे पास नहीं आई है। कुछ मामलों में कैदियों के परिजनों ने मोबाइल दिए थे। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकता है। चूंकि एेसे तमाम मामले हैं इसलिए जेल प्रशासन नए सिरे से जांच करवा रहा है।

-- नाभा मैक्सिमम जेल में एक साल बाद भी 4जी सिग्नल को जाम करने में असमर्थ है, ऐसा क्यों?

जवाबः जैमर जब लगे थे तो मोबाइल नेटवर्क की पुरानी तकनीकी थी। उसके हिसाब से लगाए गए थे। उस समय के हिसाब से जैमर एकदम फिट थे और काम कर रहे थे, लेकिन अब इस बारे में जेल प्रशासन ने पूरा प्लान तैयार कर लिया है। सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है।

मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (एमएसीडी) क्या है? ExpertOption पर व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक का उपयोग करना

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मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (एमएसीडी) क्या है?

यह एक प्रवृत्ति-निम्न संकेतक है जिसका उपयोग वित्तीय बाजार की गति को मापने के लिए किया जाता है।

एमएसीडी अंतर्निहित परिसंपत्ति के दो चलती औसत के बीच संबंध को भी दर्शाता है।


एमएसीडी सूचक की गणना कैसे की जाती है?

इससे पहले, आप सोच रहे होंगे कि आपको इन सभी गणनाओं की आवश्यकता क्यों है।

सच्चाई यह है कि, आपको यह जानने की जरूरत नहीं है कि एक संकेतक की गणना कैसे की जाती है। तो मैं तुम्हें इसके साथ वैसे भी क्यों उबाऊ हूँ?

क्योंकि एमएसीडी सेटिंग्स में समायोजन करने पर आपको बाद में इसकी समझ की आवश्यकता होगी।

उस ने कहा, चलो ठीक है।

आप 12-अवधि के घातीय चलती औसत से 26-अवधि के घातीय चलती औसत को घटाकर एमएसीडी प्राप्त करते हैं।

12-अवधि ईएमए - 26-अवधि ईएमए = एमएसीडी

  • एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (ईएमए) एक प्रकार का मूविंग एवरेज है जो सबसे हालिया मार्केट डेटा बिंदुओं पर अधिक जोर देता है।
  • 12-अवधि ईएमए इस मामले में अल्पकालिक ईएमए है।
  • और 26-अवधि ईएमए दीर्घकालिक ईएमए है।
  1. सिग्नल लाइन ( 9-अवधि ईएमए ) जो आमतौर पर एमएसीडी लाइन के ऊपर स्थित होती है। प्रो ट्रेडर्स सिग्नल खरीदने और बेचने के लिए ट्रिगर के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं।
  2. हिस्टोग्राम - ये एमएसीडी और इसकी सिग्नल लाइन के बीच की दूरी को दर्शाने वाले ग्राफ हैं।
  3. एमएसीडी लाइन ही - छोटी अवधि के ईएमए से लंबी अवधि के ईएमए को घटाकर आती है।

एमएसीडी संकेतक को समझना

विशेषज्ञ विकल्प पर एक व्यापारी के रूप में, आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता हमेशा एक प्रवृत्ति की पहचान करने में सक्षम होती है।

क्यों?

ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर व्यापारी पैसे कमाते हैं।

और यही वह जगह है जहां एमएसीडी सूचक अंदर आता है। यह आपको बाजार के रुझान की पहचान करने में मदद करता है, चाहे वह तेजी या मंदी हो।

कैसे?

  • पहले वाला तेजी से चलती औसत की गणना करने के लिए उपयोग की जाने वाली संख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
  • जबकि दूसरा धीमी गति से चलती औसत की गणना करने के लिए उपयोग की जाने वाली अवधि संख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
  • तीसरे के रूप में, यह तेज और धीमी एमए के बीच अंतर की चलती औसत की गणना करने के लिए उपयोग की जाने वाली सलाखों की संख्या का प्रतिनिधित्व करता है।

निम्नलिखित उदाहरण को देखें:

  • फास्ट-मूविंग औसत के पिछले 12 बार के लिए 12।
  • 26 धीमे एमए के 26 पिछले बार दिखाने के लिए।
  • अंत में, 9 तेज एमए और धीमी एमए के बीच अंतर के 9 पिछले सलाखों का प्रतिनिधित्व करने के लिए। इसे चार्ट पर वर्टिकल बार या हिस्टोग्राम के रूप में दिखाया गया है।

आगे बढ़ते हुए, यहाँ कुछ लोकप्रिय एमएसीडी शब्द दिए गए हैं।


एमएसीडी डाइवर्जेंस क्या है?


एमएसीडी अभिसरण क्या है?

यह एमएसीडी विचलन के विपरीत है।

तब होता है जब दो चलती औसत रेखाएं बढ़ती हैं जबकि चार्ट पर कीमतें गिर रही हैं।

जो आपने अभी सीखा है, उसे देखते हुए, मैं आपको दिखाता हूं कि विशेषज्ञ विकल्प पर अपने ट्रेडिंग चार्ट में एमएसीडी संकेतक कैसे जोड़ें। सूचक को जोड़ने के बाद, आप आगे आने वाले के लिए तैयार होंगे। एमएसीडी पर संकेतों को कैसे पढ़ें।

विशेषज्ञ विकल्प पर एमएसीडी संकेतक कैसे जोड़ें

विशेषज्ञ विकल्प पर एमएसीडी जोड़ना आसान है, यदि आप व्यापार के लिए अन्य संकेतकों का उपयोग कर रहे हैं।

  • सुनिश्चित करें कि आप अपने विशेषज्ञ विकल्प ट्रेडिंग खाते में लॉग इन हैं ।
  • अपनी स्क्रीन के ऊपरी-दाएँ कोने पर संकेतक सुविधा का पता लगाएँ और उस पर क्लिक करें।
  • संकेतक विंडो पर, दाईं ओर एमएसीडी का चयन करें , और आपको सेटिंग्स विंडो दिखाई देगी।
  • मैं आपको सलाह देता हूं कि वे जैसी हैं वैसी सेटिंग छोड़ दें। लेकिन अगर आपको कुछ चीजों को समायोजित करने का मन करता है, तो आगे बढ़ें।
  • एक बार जब आप संतुष्ट हो जाएं, तो अप्लाई टू फिनिश पर क्लिक करें

एक बार जब आप एमएसीडी संकेतक को अपने ट्रेडिंग चार्ट में जोड़ लेते हैं, तो इसका अध्ययन करने और पारंपरिक संकेतों को उत्पन्न करने का समय है।

आपकी मदद करने के लिए, यहाँ कुछ बेहतरीन एमएसीडी ट्रेडिंग रणनीतियाँ हैं:

सर्वश्रेष्ठ एमएसीडी ट्रेडिंग रणनीतियों को आपको अभी से प्रयास करना चाहिए

इन रणनीतियों को देखने के बाद, आप सीखेंगे कि विशेषज्ञ विकल्प पर एमएसीडी संकेतक का व्यापार कैसे करें।

एमएसीडी को ध्यान में रखते हुए दो अलग-अलग गति से चलती औसत चलती है, इसका मतलब है कि धीमी एमए की तुलना में तेज एमए कीमत कार्रवाई के लिए संवेदनशील है।


एमएसीडी क्रॉसओवर

नतीजतन, जब एक नई प्रवृत्ति बनती है, तो तेजी से एमए प्रतिक्रिया करने के लिए सबसे पहले होता है, परिणामस्वरूप, धीमी रेखा (सिग्नल लाइन) को पार करना। जब ऐसा होता है, तो इसे एक क्रॉसओवर के रूप में जाना जाता है।

क्रॉसओवर के दौरान, तेज रेखा धीमी रेखा से दूर (डायवर्जेस) जाती है। व्यापारी इसे एक नई प्रवृत्ति के गठन के रूप में व्याख्या करते हैं।

एमएसीडी डायवर्जेंस

जैसा कि हमने पहले ही चर्चा की है, यह तब आता है जब एमएसीडी अपनी मूल्य रेखा से अलग हो जाता है।

  1. बुलिश डाइवर्जेंस - तब प्रकट होता है जब एमएसीडी दो उच्च चढ़ावों को पंजीकृत करता है जबकि मूल्य रेखा में दो सूईदार चढ़ाव होते हैं।
  2. बेयरिश डाइवर्जेंस - जब एमएसीडी लाइन कीमत के दो बढ़ते उच्च के सापेक्ष दो सूई ऊँची श्रृंखला दिखाती है।


एमएसीडी का तेजी से बढ़ना और गिरना

जब छोटी चलती औसत लंबी चलती औसत से अलग हो जाती है, तो यह इंगित करता है कि अंतर्निहित संपत्ति या तो ओवरबॉट या ओवरसोल्ड है। इसलिए, एक सुधार कर रहा है।

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