प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), विदेश में स्थित कंपनियों में विदेशी निवेशकों द्वारा किया गया निवेश है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं, पहला ग्रीन फील्ड निवेश (इसके तहत दूसरे देश में एक नई कम्पनी स्थापित की जाती है) और दूसरा पोर्टफोलियो निवेश (इसके तहत किसी विदेशी कंपनी के शेयर खरीद लिए जाते हैं या विदेशी कंपनी का अधिग्रहण कर लिया जाता है)|
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) विदेश में स्थित कंपनियों में विदेशी निवेशकों द्वारा किया गया निवेश है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं, पहला ग्रीन फील्ड निवेश (इसके तहत दूसरे देश में एक नई कम्पनी स्थापित की जाती है) और दूसरा पोर्टफोलियो निवेश (इसके तहत किसी विदेशी कंपनी के शेयर खरीद लिए जाते हैं या उसके स्वामित्व वाले विदेशी कंपनी का अधिग्रहण कर लिया जाता है)|
भारत में निवेश की मंजूरी प्राप्त करने के दो तरीके हैं, पहला स्वत: रूट (automatic route) से या भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से और दूसरा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सरकार के माध्यम से (government route)या विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से। स्वत: रूट से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए भारत सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक के से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है। निवेशक को केवल (सूचित करने हेतु) भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यालय में दस्तावेजों को जमा करने की आवश्यकता होती है। सरकार के माध्यम से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) द्वारा दी जाती है।
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भारत में निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति नही है:
I. लॉटरी व्यापार
II. जुआ और सट्टेबाजी
III. चिट फंड का कारोबार
IV. निधि कंपनी (Nidhi Company)
V. हस्तांतरणीय विकास अधिकार में ट्रेडिंग (TDRs)
VI. सिगार, सिगरेट तंबाकू या इसके वैकल्पिक वस्तुओं के विनिर्माण में
VII. परमाणु ऊर्जा
VIII. रेल परिचालन
भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में 11 रोचक तथ्य
विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा का विवरण इस प्रकार है
क्र.सं.
क्षेत्र
निवेश की सीमा एवं माध्यम
1.
2.
नागरिक उड्डयन (Civil Aviation)
स्वतः 49% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (प्रवासी भारतीयों के लिए 100%)
3.
सम्पत्ति पुनर्निर्माण कम्पनियां Asset Reconstruction Companies (ARCs)
100 % (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + विदेशी संस्थागत निवेश) –
4.
सार्वजनिक क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बैंक
74% (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + विदेशी संस्थागत निवेश) 49% से अधिक विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
20% (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + विदेशी संस्थागत निवेश) विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
5.
(ii) केबल नेटवर्क
26% (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + विदेशी संस्थागत निवेश) विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
49% (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + विदेशी संस्थागत निवेश) स्वतः
74% (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + विदेशी संस्थागत निवेश) 49% से अधिक विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
26% (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + विदेशी संस्थागत निवेश) विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
6.
49% (26% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + 23% विदेशी संस्थागत निवेश) स्वतः
7.
ऋण संसूचना कम्पनियां
Credit Information Companies (CICs)
74% स्वतः (विदेशी संस्थागत निवेश केवल 24 %)
8.
49%; 26% तक स्वतः और उससे अधिक विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
9.
स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी, क्लियरिंग कॉरपोरेशन
49% (26% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + 23% विदेशी संस्थागत निवेश) स्वतः
10.
49% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मामले में स्वतः
11.
समाचार पत्र और समसामयिक समाचार का प्रकाशन
26%( प्रत्यक्ष विदेशी निवेश + विदेशी संस्थागत निवेश) विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
12.
निजी क्षेत्र की सुरक्षा एजेंसियां
49 % विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
13.
उपग्रह का प्रक्षेपण एवं संचालन
74 % विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
14.
एकल ब्रांड उत्पाद की खुदरा बिक्री
100% शर्तों के अधीन निकास, 49% से अधिक विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
15.
मल्टी ब्रांड उत्पाद की खुदरा बिक्री
51% विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से विभिन्न शर्तों के अधीन
16.
100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - 49% से अधिक विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से
17.
100 % विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के माध्यम से (केवल चिकित्सीय उपकरण को छोड़कर)
18.
29% (26 % प्रत्यक्ष विदेशी निवेश +23% विदेशी संस्थागत निवेश)
19.
रेलवे के बुनियादी ढांचे
100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - रेलवे विनिर्माण में, 49% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - रेलवे सुरक्षा में
20.
विकास से संबंधित निर्माण परियोजनाएं
100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - विभिन्न परिस्थितियों के अधीन।
किसी भी देश के विकास में “प्रत्यक्ष विदेशी निवेश” बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्ष 2015 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी (FDI equity) प्रवाह 7454 मिलियन अमेरिकी डॉलर, पुनर्निवेश के रूप में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI through reinvestment) प्रवाह 9457 मिलियन अमेरिकी डॉलर और शुद्ध विदेशी संस्थागत निवेश (FII net inflows) प्रवाह 3129 मिलियन अमेरिकी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश डॉलर था| अप्रैल 2010 से मई 2015 के बीच कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2,73,163 मिलियन अमेरिकी डॉलर था|
ASEAN-India Summit: क्या है आसियान-भारत समिट, जानिए क्यों खास है यह शिखर सम्मेलन
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में भाग लेने के लिए कंबोडिया के लिए रवाना हुए. आसियान-भारत संबंधों की यह 30वीं वर्षगांठ है. इसे आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है.
कंबोडिया में हो रहा है आसियान सम्मेलन.
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 11 नवंबर 2022,
- (Updated 11 नवंबर 2022, 9:00 PM IST)
आसियान-भारत संबंधों की यह 30वीं वर्षगांठ है, इसे आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शिखर सम्मेलनों में भाग लेने के लिए कंबोडिया के लिए हुए रवाना
म्यांमार के राजनीतिक संकट और अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के चर्चाओं पर हावी होने की उम्मीद के साथ दक्षिण पूर्व एशियाई नेताओं ने शुक्रवार को कंबोडिया में आसियान शिखर सम्मेलन की शुरुआत की. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में भाग लेने के लिए कंबोडिया के लिए रवाना हुए. उपराष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है. उपराष्ट्रपति के साथ विदेशमंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर भी गए हैं. उपराष्ट्रपति इस यात्रा के दौरान नौम पेन्ह में 19वें आसियान-भारत स्मृति शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. आसियान-भारत संबंधों की यह 30वीं वर्षगांठ है. इसे आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. उपराष्ट्रपति कंबोडिया के नेताओं और अन्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे. धनखड़ कंबोडियाई विरासत स्थलों में भारत द्वारा किए जा रहे संरक्षण और जीर्णोद्धार कार्य की समीक्षा के लिए सिएम रीप भी जाएंगे.
क्या है आसियान
द एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशन्स (आसियान) एक क्षेत्रीय संगठन है. इस संगठन का मकसद एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच सामाजिक और राजनीतिक स्थिरिता को बढ़ाना और विकास करना है. इस संगठन का नजरिया- एक दृष्टि, एक पहचान, एक समुदाय है. आठ अगस्त को इसका स्थापना दिवस मनाया जाता है. इसकी स्थापना 1967 में की गई थी. इसका मुख्यालय इंडोनेशिया के जकार्ता शहर में है. आसियान में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया सदस्य हैं.
भारत और आसियान के रिश्ते
भारत की विदेशी नीति में आसियान का एक विशेष महत्व है. आसियान को ध्यान में रखते हुए ही भारत ने अपनी लुक ईस्ट नीति बनाई है. आसियान के लिए भारत का एक अलग मिशन है. आसियान में चीन का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं भारत का भी बड़ा व्यापार दक्षिण चीन सागर से होता है इसीलिए वह इस क्षेत्र को लेकर बेहद सक्रिय है. भारत और अमेरिका समुद्री रास्ते से स्वतंत्र रूप से व्यापार की बात करते रहे हैं. अगर चीन इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर लेता है तो इससे भारत का व्यापार प्रभावित होने के आसार बढ़ जाएंगे. इसलिए उसका आसियान से जुड़े रहना न सिर्फ जरूरी है बल्कि उसे इस संगठन के सामने इससे जुड़ी समस्याओं को रखना भी चाहिए. आसियान की सांस्कृतिक विविधता और महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति, पश्चिम में हिंद महासागर और पूर्व में प्रशांत महासागर के बीच की समुद्री गलियों को भू-राजनीतिक स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. कुल वैश्विक निर्यात के 7% के साथ, आसियान दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यात संगठन है.
दोनों के बीच निवेश
2000-2021 के बीच आसियान से भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) $117.88 बिलियन था. इसमें मुख्य रूप से भारत में सिंगापुर के निवेश (115 अरब डॉलर) शामिल है. अप्रैल 2019 से मार्च 2022 तक आसियान में भारतीय निवेश 55.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें से 51.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश सिर्फ सिंगापुर में है.
अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों का प्रवेश इसरो की क्षमता का पूरक होगा: केंद्रीय मंत्री
श्रीहरिकोटा: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की क्षमताओं में वृद्धि होगी.
अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित देश के पहले निजी रॉकेट, विक्रम-एस के सफल प्रक्षेपण के तुरंत बाद, 'प्रारंभ' नामक एक मिशन के तहत, प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि अंतरिक्ष उद्योग में निजी कंपनियां भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की पूरक होंगी।
"यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनों की क्षमता का पूरक होगा, क्योंकि हमारी कुछ सीमाएँ थीं (पहले)।" उन्होंने संवाददाताओं से इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि क्या केंद्र चाहता है कि निजी खिलाड़ी (भारत संचार निगम लिमिटेड), बीएसएनएल और एयर इंडिया जैसी सरकारी संस्थाओं को अपने कब्जे में ले लें।
"यह दूसरा तरीका है। यह इसरो की क्षमता का पूरक होगा, क्योंकि हमारी कुछ सीमाएं थीं। इसी तरह, हम परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भी संयुक्त उद्यम (उद्योग की भागीदारी के साथ) शुरू कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई एक नई पहल है।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि खोलने का पूरा विचार अंतरिक्ष गतिविधियों की अर्थव्यवस्था की स्थिति का विस्तार करना था।
यह पूछे जाने पर कि क्या इसरो प्रतिस्पर्धा के बारे में चिंतित है, देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को निजी खिलाड़ियों के लिए खोल दिया गया है, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा, "यहां (इसरो के लिए) प्रतिस्पर्धा का कोई सवाल ही नहीं है।" "इसरो वास्तव में प्रौद्योगिकी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा और निजी क्षेत्र कई मामलों में उन्हें व्यावसायिक गतिविधि में बदल देगा। इसलिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत को आगे बढ़ाने के लिए इसरो और निजी कंपनियां मिलकर काम करेंगी। प्रतिस्पर्धा का कोई सवाल ही नहीं है, "उन्होंने कहा।
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बारे में पूछे जाने पर, केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हम महसूस करते हैं कि वर्तमान एफडीआई भारत के बाहर से (उनके लिए) अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रतिबंधित है।" "वर्तमान में, अंतरिक्ष विभाग एफडीआई नीति पर फिर से विचार कर रहा है और हमने अभी प्रक्रिया शुरू की है। उम्मीद है कि दो महीने में, हम एक (नई) एफडीआई नीति के साथ बाहर आने में सक्षम होंगे . " उन्होंने कहा।
इस सवाल के जवाब में कि क्या इसरो ने हैदराबाद स्थित स्टार्ट-अप से कोई सबक सीखा है, सोमनाथ ने कहा, "यह एक अच्छी बात है। यह अच्छा है कि हमें उनसे सीखना चाहिए।" "पूरे इसरो समुदाय को सपने देखने के इस पहलू को बेहतर तरीके से सीखना चाहिए, जो आपकी क्षमता से परे हो।" उन्होंने कहा।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
पहले 10 महीनों में चीन का विदेशी गैर-वित्तीय प्रत्यक्ष निवेश 10.3 प्रतिशत बढ़ा
बीजिंग, 18 नवंबर (आईएएनएस)। चीनी वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 17 नवंबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष जनवरी से अक्तूबर तक, चीन प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विदेशी गैर-वित्तीय प्रत्यक्ष निवेश 627.4 अरब युआन था, जिसमें गत वर्ष के समान समय की तुलना 10.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई (94.36 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर, 2021 की समान अवधि की तुलना में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि)।
बीजिंग, 18 नवंबर (आईएएनएस)। चीनी वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 17 नवंबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष जनवरी से अक्तूबर तक, चीन का विदेशी गैर-वित्तीय प्रत्यक्ष निवेश 627.4 अरब युआन था, जिसमें गत वर्ष के समान समय की तुलना 10.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई (94.36 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर, 2021 की समान अवधि की तुलना में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि)।
आंकड़ों से पता चला है कि जनवरी से अक्तूबर तक, चीन का विदेशी गैर-वित्तीय प्रत्यक्ष निवेश पट्टे पर देने और व्यापार सेवा उद्योगों में 32.08 अरब अमेरिकी डॉलर तक प्रवाहित हुआ, जिसमें गत वर्ष की समान अवधि से 22.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। विनिर्माण, थोक और खुदरा व्यापार, और निर्माण उद्योग आदि क्षेत्रों में निवेश प्रवाह में वृद्धि की प्रवृत्ति दिखाई दी। बेल्ट एंड रोड से जुड़े देशों में गैर-वित्तीय प्रत्यक्ष निवेश 17.25 अरब अमेरिकी डॉलर था, जिसमें 2021 की जनवरी से अक्तूबर तक की तुलना में 6.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
इस वर्ष जनवरी से अक्तूबर तक, चीन की विदेशी अनुबंधित परियोजनाओं का 790.99 अरब युआन का कारोबार पूरा हुआ, जिसमें गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 5.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी (118.96 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर, 2021 की समान अवधि की तुलना में 2.9 प्रतिशत की वृद्धि)। वहीं, बेल्ट एंड रोड से जुड़े देशों में अनुबंधित परियोजनाओं का 64.17 अरब अमेरिकी डॉलर का कारोबार पूरा हुआ, नए हस्ताक्षरित अनुबंधों का मूल्य 85.29 अरब अमेरिकी डॉलर है, जिसमें क्रमश: कुल का 53.9 प्रतिशत और 51.8 प्रतिशत का अनुपात रहा है।