बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया

बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया
बीते वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के उस प्रतिबंध को गैर कानूनी घोषित कर दिया। इसलिए वर्तमान में देश में बिटकॉइन का व्यापार कानूनी ढंग से किया जा सकता है। लेकिन सरकार को नया कानून लाकर इसे प्रतिबंधित करने पर विचार करना चाहिए एवं सुप्रीम कोर्ट को इसके नुकसानों को समझना चाहिए, जिससे यह हानिप्रद व्यवस्था समाप्त की जा सके। — डॉ. भरत झुनझुनवाला
किसी समय इंग्लैंड में एक अमीर थे रॉत्सचाइल्ड। इनकी कई देषों में व्यापार की शाखाएं थी। यदि किसी व्यक्ति को एक देष से दूसरे देष रकम पहुंचानी होती थी तो वह ट्रान्सफर रॉत्सचाइल्ड के माध्यम से सुरक्षापूर्वक हो जाता था। जैसे मान लीजिए आपको दिल्ली से मुम्बई रकम पहुंचानी है। आपने रॉत्स चाइल्ड के दिल्ली दफ्तर में एक लाख चांदी के सिक्के जमा करा दिए। उन्होंने आपको लाख सिक्कों की रसीद दे दी। आप मुंबई गए और रॉत्सचाइल्ड के मुंबई दफ्तर में वह रसीद देकर आपने एक लाख सिक्के प्राप्त कर लिए। इतने सिक्कों को लेकर जाने के झंझट से आप मुक्त हो गए। समय क्रम में रॉत्सचाइल्ड ने देखा कि उनके लिखे बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया हुए प्रॉमिससरी नोट या रसीद पर लोगों को अपार विश्वास है। उन्होंने स्वयं ही प्रॉमिससरी नोट बनाएं और मिली रकम से अपना व्यापार बढाया। जैसे मान लीजिये उन्हें कोई मकान खरीदना था। उन्होंने एक करोड़ सिक्कों का प्रॉमिससरी नोट लिख दिया और मकान के विक्रेता ने उस रसीद को सच्चा मानकर मकान उन्हें बेच दिया। रॉत्सचाइल्ड द्वारा जारी कि गई यह रसीदें अथवा प्रॉमिससरी नोट ही आगे चलकर नगद नोट के रूप में प्रचलित हुए। समय क्रम में सरकारों ने अथवा उनके केंद्रीय बैंकों ने इसी प्रकार के प्रॉमिससरी नोट छापना एवं जारी करना शुरू कर दिया। इन्ही प्रॉमिससरी नोट को नगद नोट कहा जाता है। आप देखेंगे कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी नोट पर लिखा रहता है, “मैं धारक को एक सौ रूपए अदा करने का वचन देता हूँ।” ऐसा ही वचन रॉत्सचाइल्ड ने दिया था जिससे कि नगद मुद्रा का चलन शुरू हो गया। जाहिर होगा कि नोट का प्रचलन इस बात पर टिका हुआ है कि उसे जारी करने वाले पर समाज को विश्वास है अथवा नहीं। इसी विश्वास के आधार पर बिटकॉइन एवं अन्य क्रिप्टोकरंसी अविश्कार हुआ है।
ऐसा समझें कि सौ कंप्यूटर इंजीनियर एक हॉल में बैठे हैं और उन्होंने एक सुडोकू पहेली को आपस में हल करने की प्रतिस्पर्धा की। जिस इंजीनियर ने उस पहेली को सर्वप्रथम हल कर दिया, उसके हल को अन्य इंजीनियरों ने जांच की, और सही पाने पर उन्हें एक बिटकॉइन इनाम स्वरूप दे दिया। इन इंजीनियरों ने आपसी लेनदेन इन बिटकॉइन में करना शुरू कर दिया। एक इंजीनियर को दूसरे से कार खरीदनी हो तो उसका पेमेंट दूसरे को बिटकॉइन से कर दिया। यह संभव हुआ चूँकि दोनों इंजीनियरों को उस बिटकॉइन पर भरोसा था। अब इस बिटकॉइन की विश्वसनीयता सिर्फ उन सौ कंप्यूटर इंजीनियरों के बीच है जिन्होंने उस खेल में भाग लिया था। समय क्रम में ये सौ कंप्यूटर इंजीनियर बढ़कर दस लाख हो गए या एक करोड़ हो गए और तमाम लोगों को इस प्रकार के बिटकॉइन पर विश्वास हो गया बिल्कुल उसी तरह जैसे रॉत्सचाइल्ड के द्वारा जारी किए गए प्रॉमिससरी नोट पर जनता को विश्वास हो गया था।
आज विश्व में इस प्रकार की तमाम क्रिप्टोकरंसी हैं। बिटकॉइन को एक करोड़ कंप्यूटर इंजीनियर मान्यता देते हैं तो एथेरियम को मान लीजिए पचास लाख कंप्यूटर इंजीनियर मान्यता देते हैं। जितनी मान्यता है उतना ही प्रचालन है। इस प्रकार तमाम लोगों ने अपनी-अपनी क्रिप्टोकरंसी बना रखी है। आज विश्व में लगभग पंद्रह सौ अलग-अलग क्रिप्टोकरंसी चालू है। मूल बात यह है कि बिटकॉइन की विश्वसनीयता इस बात पर टिकी हुई है कि भारी संख्या में लोग इसे मान्यता देते हैं। जबकि इसके आधार में कुछ भी नहीं है। रॉत्सचाइल्ड अथवा रिज़र्व बैंक ने प्रॉमिससरी नोट का भुगतान नहीं किया तो आप उनके घर दफ्तर पर धरना दे सकते है। लेकिन बिटकॉइन का कोई घर नहीं है। ये एक करोड़ कंप्यूटर इंजीनियर अलग देषों में रहते हैं और इन्होने कोई लिखित करार नहीं किया है।
बिटकॉइन में तमाम समस्याएं दिखने लगी हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि आज बिटकॉइन बनाने की बड़ी फैक्ट्रियां लग गई हैं। सुडोकू की पहेलियां इतनी जटिल हो गई हैं कि इन्हें हल करना मनुष्य की क्षमता के बाहर हो गया है। उद्यमियों ने बड़े कंप्यूटर लगा रखे हैं जो इन पहेलियों को हल करते हैं और जब इनका हल हो जाता है तो उन्हें बिटकॉइन का समाज एक बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया बिटकॉइन दे देता है। जिस प्रकार आप दुकान में कंप्यूटर लगाने में निवेष करते हैं उसी प्रकार ये उद्यमी बिटकॉइन की पहेलियां हल करने के लिए कंप्यूटर लगाने में निवेष करते हैं और बिटकॉइन कमाते हैं। यह प्रक्रिया पूर्णतया पर्यावरण के विरुद्ध है। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में भारी मात्रा में बिजली खर्च होती है जिससे यह कंप्यूटर चलाएं जाते हैं और इससे किसी प्रकार का जनहित हासिल नहीं होता है।
दूसरी समस्या अपराध की है। बीते समय में अमेरिका की कॉलोनियल आयल कंपनी के कंप्यूटरों को हैक कर लिया गया। हैकर्स ने कॉलोनियल आयल कंपनी को सूचना दी कि वे अमुख रकम बिटकॉइन के रूप में उन्हें पेमेंट करें तब वे उनके कंप्यूटर से जो माँलवेयर यानी कि जो उसमें अवरोध पैदा किया गया था उसको हटा देंगे। कॉलोनियल ऑयल कंपनी ने उन्हें लगभग पैंतीस करोड़ रुपये का मुआवजा बिटकॉइन के रूप में दिया, जिससे कि उनके कंप्यूटर पुनः चालू हो जाए। इस प्रकार बिटकॉइन जैसी करेंसी आज अपराध को बढ़ावा दे रही है क्योंकि इनके ऊपर किसी सरकार का सीधा नियंत्रण नहीं होता है। बिटकॉइन बनाने वाली फैक्ट्री या उसका उद्यमी रूस में है, चीन में है, भारत में हैं या इंडोनेषिया में है इसकी कोई जांच नहीं होती, क्योंकि सारा लेन-देन इंटरनेट पर होता है। इस प्रकार आज अपराधियों द्वारा वसूली बिटकॉइन के माध्यम से की जा रही है।
तीसरी समस्या रिस्क की है। बिटकॉइन हाथ का लिखा हुआ या प्रिंटिंग प्रेस का छपा हुआ नोट नहीं होता है। यह केवल एक विषाल नंबर होता है जो कि किसी कंप्यूटर में सुरक्षित रखा जाता है। ऐसे भी वाक्य हुए हैं कि किसी व्यक्ति के कंप्यूटर क्रैष कर गया और उसमें रखा हुआ बिटकॉइन का नंबर पूर्णतया पहुंच के बाहर हो गया। उन्हें उस बिटकॉइन का घाटा लग गया। इसलिए बिटकॉइन का लाभ शून्य है और हानि पर्यावरण, अपराध और रिस्क तीनों की है।
इन्ही समस्याओं को देखते हुए रिजर्व बैंक ने दो वर्ष पहले अपने देष में बिटकॉइन पर प्रतिबंध लगा दिया था। बीते वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के उस प्रतिबंध को गैर कानूनी घोषित कर दिया। इसलिए वर्तमान में देष में बिटकॉइन का व्यापार कानूनी ढंग से किया जा सकता है। लेकिन सरकार को नया कानून लाकर इसे प्रतिबंधित करने पर विचार करना चाहिए एवं सुप्रीम कोर्ट को इसके नुकसानों को समझना चाहिए, जिससे यह हानिप्रद व्यवस्था समाप्त की जा सके।
क्रिप्टो और बिटकॉइन ROI कैलकुलेटर (Crypto & Bitcoin ROI Calculator)
प्रत्येक निवेशक के लिए, निवेश पर लाभ (ROI) मुख्य बात है। ROI एक मानक, व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मीट्रिक है जो विभिन्न निवेशों की अनुमानित लाभप्रदता का मूल्यांकन करता है। इस मीट्रिक का उपयोग स्टॉक, कर्मचारियों, क्रिप्टो से लेकर भेड़ के फार्म तक किसी भी चीज़ का मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है। मूल रूप से, लाभ प्राप्त करने की क्षमता के साथ लागत वाली किसी भी और हर चीज का एक ROI होता है।
ऐसे निवेश पर लाभ का मूल्यांकन करने के बाद ही निवेश संबंधी बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लिया जा सकता है।
संभावित लाभ की गणना करने के लिए निवेशक कई तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं। विभिन्न प्लेटफॉर्म इसका मूल्यांकन करने के लिए कैलकुलेटर और तकनीक प्रदान करते हैं। एक ओर, पारंपरिक निवेश में मूल्यांकन के लिए बहुत कुछ है, दूसरी ओर, क्रिप्टो बाजार इससे अछूता है। बिटकॉइन, एथेरियम और अन्य क्रिप्टो जैसी डिजिटल संपत्तियों की मांग हमेशा के सबसे ऊँचे स्तर पर है, और इसके बारे में पूरी जानकारी के साथ निर्णय लेना जरूरी है।
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Cryptocurrency: दुनिया में सिर्फ लिमिट में ही बनाए जा सकते हैं बिटकॉइन, जानिए क्या है वजह
नई दिल्ली। साल 2009 में अस्तित्व में क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन ने काफी लंबा सफर तय कर लिया है। 2010 में कभी 10,000 बिटकॉइन्स में सिर्फ 2 पिज़्जा ही खरीदे गए थे और आज बिटकॉइन का मार्केट कैप क्रिप्टो बाजार में सबसे ज्यादा आंका जाता है। अब बिटकॉइन का बाजार पूंजीकरण 66 ट्रिलियन से भी ज्यादा माना जाता है।जिसकी कीमत आज 47,000 डॉलर यानी 37.30 लाख के ऊपर मानी जा रही है। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बिटकॉइन का अब कायापलट हो गया है। लेकिन बिटकॉइन माइनिंग की हार्ड लिमिट में अभी तक किसी तरह का कोई बदलाव नहीं देखा जा रहा है। बिटकॉइन के निर्माता कहे जाने वाले सातोषी नाकामोतो ने बिटकॉइन बनाने के साथ ही सोर्स कोड में इसकीमाइनिंग की अपर लिमिट 21 मिलियन तक लगा दी थी। जिसका सीधा मतलब है कि 21 मिलियन से ज्यादा बिटकॉइन माइन नहीं किए जा सकते या इन्हे सर्कुलेशन में नहीं लाया जा सकता। नाकामोतो ने इसपर कुछ साफ नहीं किया कि लिमिट 21 मिलियन पर क्यों रखी गई, लेकिन बहुत से लोग इसे बिटकॉइन के फायदे वाली बात मान रहे हैं।
अब तक कितने बिटकॉइन माइन हुए
बता दें कि अभी तक 18.78 मिलियन बिटकॉइन माइन किए जा चुके हैं। जिसका मतलब है कि दुनिया में कभी भी जितने भी बिटकॉइन रहेंगे उसका लगभग 83 फीसदी हिस्सा अब तक माइन किया जा चुका है। मतलब अब बस लगभग 2 मिलियन बिटकॉइन की माइनिंग की जा सकती है।
कब तक होगा बिटकॉइन माइन
माना जा रहा है कि यदि सबकुछ ऐसा ही रहा तो, एक दशक में 97 फीसदी बिटकॉइन माइन किए जा चुके होंगे। तो वहीं तीन फीसदी कॉइन अगली एक शताब्दी में माइन हो जाएंगे। इस हिसाब से आखिरी बिटकॉइन सन् 2140 के आसपास माइन किया जाएगा। कहा जा रहा है कि इस माइनिंग के धीमा होने के पीछे की वजह एक प्रकिया है, जिसे हाविंग यानी halving कहते हैं। इसके मुताबिक जिस रेट बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया पर बिटकॉइन जेनरेट किए जाते हैं, यह प्रक्रिया उस रेट को हर चार साल पर 50 फीसदी तक घटा देती है।
बिटकॉइन का सफर
इस बात पर भी स्टडी की जा रही है कि हार्ड लिमिट का बिटकॉइन पर क्या असर हुआ है। लेकिन लॉन्च होने के एक दशक बाद तक इसकी कीमतें अप्रत्याशित ढंग से बढ़ी हैं। साल 2009 में एक ब्लॉक की माइनिंग से 50 बिटकॉइन जेनरेट किए जा सकते थे, लेकिन उस वक्त इसकी कीमत काफी कम थी।
ब्लॉकचेन से जुड़ी सामान्य बातें
ब्लॉकचेन क्या है? ब्लॉकचेन एक विकेंद्रीकृत तकनीक है, जिसमें आंकड़ों के ब्लॉक की एक शृंखला होती है। जटिल क्रिप्टोग्राफी तकनीक, पारदर्शी तथा सभी के लिए उपलब्धता (सार्वजनिक) जैसी विशेषताओं के कारण ब्लॉकचेन तेजी से अपनाई जाने वाली तकनीक बनती जा रही है। ध्यान देने वाली बात यह है कि ब्लॉकचेन केवल बिटकॉइन या दूसरी आभासी मुद्राओं तक सीमित नहीं है और इसका प्रयोग किसी भी तरह के आंकड़ों को सुरक्षित रखने के लिए किया जा सकता है।
यह ब्लॉकचेन की सबसे छोटी इकाई होती है। प्रत्येक ब्लॉक में उस समय हुए लेनदेन का लेखा जोखा होता है। एक ब्लॉक में मुख्यत: 5 जानकारियां दर्ज होती हैं। ब्लॉक संख्या, वर्तमान ब्लॉक का विशिष्ट नंबर (हैश संख्या), पिछले ब्लॉक का नंबर, ब्लॉकचेन में इसके जुडऩे का समय और डेटा (ट्रांजेक्शन अथवा आंकड़े)। किसी भी ब्लॉकचेन के सबसे पहले ब्लॉक को जेनेसिस ब्लॉक कहते हैं, जो अन्य ब्लॉक से थोड़ा अलग होता है।
ब्लॉक ऊंचाई
जेनेसिस ब्लॉक के बाद कोई ब्लॉक किस नंबर पर चेन में जुड़ा है। इससे ब्लॉकचेन संबंधी गणनाएं करने में आसानी होती है। जैसे, बिटकॉइन ब्लॉकचेन में प्रत्येक 10 मिनट पर एक या ब्लॉक जोड़ा जाता है। इसी तरह इथीरियम ब्लॉकचेन के लिए ब्लॉक समय 10-20 सेकेंड होता है। अत: ब्लॉक ऊंचाई की सहायता से ब्लॉकचेन की कुल लंबाई या दूसरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
इस प्रक्रिया में 2 तरह के कार्य होते हैं। पहला, ब्लॉकचेन में जोडऩे के लिए नए ब्लॉक का सृजन और दूसरा, प्रत्येक लेनदेन के सफल होने के लिए किसी अन्य ब्लॉक की वैधता की जांच करना, जिसे तकनीकी भाषा में प्रूफ ऑफ वर्क (पीओडब्ल्यू) कहते हैं। बिटकॉइन ब्लॉकचेन में नए ब्लॉक के सृजन पर माइनर को प्रोत्साहन राशि के तौर पर बिटकॉइन मिलते हैं। वर्तमान में यह राशि 12.5 बिटकॉइन प्रति ब्लॉक है, जो फरवरी 2020 से घटकर 6.25 बिटकॉइन प्रति ब्लॉक हो जाएगी।
सार्वजनिक और अनुमति प्राप्त ब्लॉकचेन में क्या अंतर है?
सार्वजनिक ब्लॉकचेन व्यवस्था में प्रत्येक ब्लॉक की वैधता के लिए कोई भी व्यक्ति माइनर की तरह जुड़ सकता है, जिसके बदले उसे एक प्रोत्साहन राशि मिलती है। वहीं, अनुमति प्राप्त ब्लॉकचेन में इसकी पहुंच एक निर्धारित समूह तक सीमित रहती है।
क्या होते हैं स्मार्ट कॉन्ट्रेक्ट?
आम समझौतों से अलग स्मार्ट बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया कॉन्ट्रैक्ट ब्लॉकचेन पर संग्रहीत विशिष्ट नियमों और शर्तों के तहत 2 पार्टियों के बीच होने वाला एक समझौता है। एक बार हस्ताक्षर होने के बाद इसे बदला नहीं जा सकता। आम जिंदगी में इनका प्रयोग भूमि रिकॉर्ड से लेकर ऑनलाइन मतदान प्रणाली आदि व्यवस्था को बनाने में किया जा सकता है।
प्रत्येक ब्लॉक का एक विशिष्ट हैश नंबर होता है, जिसे शा-256 नामक प्रोग्रामिक एल्गोरिद्म से बनाया जाता है। ब्लॉकचेन तकनीक में सभी ब्लॉक एक दूसरे से जुड़े होते हैं। हजारों-अरबों गणनाएं करके यदि किसी विशेष ब्लॉक में बदलाव किया जाता है तो उस ब्लॉक का हैश नंबर बदल जाएगा। परंतु अगले ब्लॉक में पहले से ही उस ब्लॉक का हैश नंबर दर्ज रहता है और वह नए बदलाव को अस्वीकार कर देता है। इसीलिए एक बार आंकड़े दर्ज हो जाने के बाद इसमें बदलाव करना लगभग नामुमिकन है। यही जटिल क्रिप्टोग्राफी तकनीक इसकी सुरक्षा करती है।
इंटेल ने लॉन्च किया नया ब्लॉकचेन चिप, NFT और बिटकॉइन माइनिंग में करेगा मदद
कंप्यूटर चिपसेट और प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी इंटेल कॉर्प की ओर से नया ब्लॉकचेन चिप लॉन्च किया गया है। इस चिप का इस्तेमाल बिटकॉइन माइनिंग और NFTs माइनिंग जैसी ब्लॉकचेन ऐप्लिकेशंस के लिए किया जा सकेगा। क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है और इंटेल नए चिप लॉन्च के साथ इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगी। इंटेल ब्लॉकचेन चिप का फायदा इस टेक्नोलॉजी के साथ काम करने वाली कंपनियों को मिलेगा।
जैक डॉर्सी की कंपनी खरीदेगी नया इंटेल चिप
इंटेल अपने ब्लॉकचेन चिप को अगले कुछ महीनों में मार्केट में बिक्री के लिए उतार सकती है। सामने आया है कि पूर्व ट्विटर CEO जैक डॉर्सी की कंपनी ब्लॉक इंक सबसे पहले इसका इस्तेमाल शुरू कर सकती है। बता दें, ब्लॉक इंक का नाम पहले स्क्वेयर इंक था, जिसे हाल ही में बदला गया है। कंपनी का नया नाम दिखाता है कि इसका फोकस ब्लॉकचेन और उससे जुड़ी दूसरी टेक्नोलॉजी पर है।
पिछले कुछ साल में चर्चा में आई ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी
ब्लॉकचेन्स पब्लिक लेजर की तरह काम करती हैं और इनमें कंप्यूटर्स के बड़े नेटवर्क पर लेन-देन से जुड़े रिकॉर्ड्स सुरक्षित रखे जा सकते हैं। पिछले कुल साल में इससे जुड़ी चर्चा तेज हुई है और 'वेब.3' और 'NFTs' जैसे शब्द नया ट्रेंड बने हैं। इंटेल का कहना है कि नया चिप ब्लॉकचेन से जुड़े ऐसे काम तेजी से पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिनमें ज्यादा कंप्यूटर पावर और ऊर्जा की जरूरत होती है।
इस्तेमाल हो रहे हैं दूसरी कंपनियों के चिप
चिप डिजाइनर Nvidia कॉर्प के ग्राफिक्स कार्ड्स का इस्तेमाल अभी ब्लॉकचेन और NFT माइनिंग के लिए किया जाता है। Nvidia ने ईथेरम माइनिंग के लिए अलग से एक चिप भी लॉन्च किया है। यही वजह है कि इंटेल की ओर से एक नया सेगमेंट कस्टम कंप्यूट ग्रुप नाम से तैयार किया गया है, जो इसकी एक्सेलिरेटेड कंप्यूटिंग सिस्टम्स एंड ग्राफिक्स बिजनेस यूनिट का हिस्सा है। यानी कि आने वाले दिनों में ऐसे नए ब्लॉकचेप चिप लॉन्च हो सकते हैं।
आखिर क्या है ब्लॉकचेन का मतलब?
ब्लॉकचेन को दो हिस्सों में बांटकर आसानी से समझा जा सकता है। पहले हिस्से 'ब्लॉक' का मतलब डाटा ब्लॉक्स से है, जिनमें किसी डिजिटल डॉक्यूमेंट से जुड़ा डाटा स्टोर होता है। इस तरह के कई ब्लॉक्स मिलने के चलते एक श्रंखला बनती जाती है, जिस 'चेन' से ब्लॉकचेन का निर्माण होता है। यानी कि एक ब्लॉक में डाटा स्पेस खत्म होने के बाद दूसरा ब्लॉक इस चेन में जुड़ जाता है और सारा डाटा आपस में जुड़ा होता है।
कैसे काम करती है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी दरअसल डाटा ब्लॉक्स पर आधारित एक्सचेंज की प्रक्रिया है। ये सभी ब्लॉक्स एनक्रिप्टेड होते हैं, यानी कि इनमें स्टोर डाटा चोरी नहीं किया जा सकता। इस व्यवस्था से किसी भी तरह के दस्तावेज और करेंसी को भी डिजिटल बनाकर ब्लॉक्स में उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है। एक बार स्टोर डाटा या डॉक्यूमेंट को केवल डिक्रिप्शन के बाद ऐक्सेस किया जा सकता है और यह पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
क्या होती है बिटकॉइन या NFT माइनिंग?
बिटकॉइन या NFT माइनिंग उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिससे नए बिटकॉइन या NFTs सर्कुलेशन में आते हैं। माइनर्स का काम ब्लॉकचेन की पूरी हिस्ट्री डाउनलोड करना और उसे ब्लॉक्स में असेंबल करना होता है। किसी एक ब्लॉक में शामिल किया गया ट्रांजैक्शन दूसरे माइनर्स की ओर से वेरिफाइ किए जाने पर पिछले माइनर को ब्लॉक रिवॉर्ड मिलता है। बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया आसान भाषा में समझें तो माइनर्स ब्लॉकचेन पर किसी ट्रांजैक्शन की, या फिर NFT खरीदे जाने की पुष्टि करते हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी करीब 30 साल पुरानी है और सबसे पहले इसका इस्तेमाल 1991 में स्टुअर्ट हबर और डबल्यू स्कॉट ने किया था। उन्होंने डिजिटल डॉक्यूमेंट्स को टाइमस्टैंप करने के लिए इसकी मदद ली थी। 2009 में बिटकॉइन आने के बाद यह टेक्नोलॉजी चर्चा में आई।