जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है?

Titan
टाइटन अपने शेयरहोल्डर्स को डिस्काउंट कूपन देता है. टाइटन का शेयर खरीदने पर आपको उसके प्रोडक्ट पर डिस्काउंट मिलता है. टाइटन का शेयर खरीद कर उसे आपको होल्ड पर रखना होगा. टाइटन का शेयर खरीदने के बाद जब आप इसकी घड़ी खरीदने जाएंगे तो उनकी एक घड़ी पर 10 प्रतिशत का डिस्काउंट मिलेगा.
शेयर मार्केट क्या है सीखें और पैसे कमाए – What Is Share Market In Hindi
Share Market In Hindi: बिना निवेश किए पैसे कमाना थोड़ा मुश्किल है पर शेयर बाजार में निवेश कर पैसे कमाना आसान है.
आज हर कोई व्यक्ति एक खुशहाल जीवन जीने के लिए बहुत पैसे कमाना चाहता है जिसके लिए वह नौकरी में कड़ी मेहनत भी करता है, लेकिन नौकरी में कड़ी मेहनत करने के बाद भी वह एक खुशहाल जीवन जीने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं कमा पाता है.
लेकिन शेयर बाजार पैसों का एक ऐसा कुआ है जो सारे देश की प्यास बुझा सकता है. जिन लोगों को शेयर बाजार की अच्छी समझ होती है वह शेयर बाजार से करोड़ों रूपये की कमाई करते हैं.
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि Share Market क्या है, शेयर मार्केट कैसे सीखें, शेयर मार्केट में पैसा कैसे लगायें और शेयर मार्केट से पैसा कैसे कमाए तो इस लेख को पूरा अंत तक जरुर पढ़ें. इस लेख में हमने आपको इन सब के अतिरिक्त शेयर मार्केट का गणित और शेयर मार्केट से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दों के बारे में बताया है जिससे कि आपको शेयर बाजार के बारे में अच्छी समझ मिले.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG)
अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर मुनाफा होता है तो इस पर LTCG के तहत टैक्स देना पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी.
2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.
शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स (STCG)
अगर आप शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी शेयर को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेचते हैं, तो इस पर आपको 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. भले ही आप इनकम टैक्स देनदारी के 10 फीसदी के स्लैब में आते हों या 20 या 30 फीसदी के स्लैब के तहत, आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फीसदी का ही टैक्स लगेगा.
अगर आपकी टैक्सेबल इनकम ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टैक्स कैलकुलेट होगा. इस पर 15 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगेगा.
सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT)
स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी STT लगता है. जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है, इस पर यह टैक्स देना पड़ता है. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.
अगर आप इंट्रा-डे ट्रेडिंग या फ्यूचर-ऑप्शन के ज़रिए ट्रेडिंग करते हैं तो इस पर होने वाली कमाई पर भी टैक्स देनदारी बनती है. इंट्रा-डे ट्रेडिंग से होने वाली कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहते हैं. इसके अलावा, फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है. इनसे होने वाली कमाई पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है. इसका मतलब है कि स्लैब के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. इसके ऊपर की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.
Stock Market में लगाते हैं पैसा, तो इन कंपनियों के खरीदें शेयर, प्रोडक्ट पर मिलेगी भारी छूट
Shareholders Benefits
मृत्युंजय चौधरी
- नई दिल्ली,
- 01 जून 2022,
- (Updated 01 जून 2022, 8:57 PM IST)
Relaxo अपने शेयरहोल्डर्स को प्रोडक्ट्स पर देता है 30 फीसद डिस्काउंट
स्टॉक मार्केट की तरफ लोगों का झुकाव धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही लोग शेयर मार्केट में काफी रकम भी लगाते जा रहे है. वहीं बहुत से लोग बिना सोचे-समझे ही कई कंपनियों में पैसा लगा देते है. जिसके चलते उन्हें काफी नुकसान भी झेलना पड़ता है. हम यहां कुछ ऐसी कंपनियों के बारे में बता रहे हैं, जिनके शेयर खरीदने पर आपको फायदा ही फायदा होगा. इसके साथ ही इन कंपनियों के शेयर लेने पर आपको उनके प्रोडक्ट पर भी काफी छूट मिलेगी.
IHCL
इनडियन होटेलस् कंपनी लिमिटेड अपने शेयरहोल्डर के लिए ऑफर लेकर आया है. IHCL की तरफ से लायी गई इस योजना में शेयरहोल्डर्स को काफी फायदा होगा. IHCL के इस ऑफर के तहत आपको इस कंपनी का कम से कस एक शेयर खरीदना होगा. इसके साथ ही इसे खरीदने के बाद आपको शेयर को होल्ड करके रखना जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? होगा. IHCL का शेयरहोल्डर होने के बाद आपको इसके सभी होटल में रूकने पर आपको 25 फीसद तक की छूट मिलेगी. इसके साथ ही कंपनी का शेयर खरीदने पर आपको वहां पर ठहरने, भोजन, स्पा समेत अन्य पर भी छूट मिलेगी.
डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग सरल और सुरक्षित निवेश है इसके साथ -2 अन्य सुविधाएं है।
लॉन्ग टर्म निवेश
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा है की आप शेयर को होल्ड कर सकते है, आप किसी समय अंतराल में बाध्य नहीं है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और इसे होल्ड रखते हैं। कुछ समय बाद वह कंपनी या व्यवसाय आपको पॉजिटिव रिटर्न्स देता है, तो आप उस इन्वेस्ट में बने रह सकते हैं। लेकिन आपको कोई लाभ दिखाई नहीं देता है, तो आप उस शेयर को कभी भी बेचकर अपने पोजीशन से बाहर हो सकते हैं।
सुरक्षित
जब डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर खरीदते है तो आप वह शेयर बेचने के लिए समय के बाध्य नहीं है। यह आपके जोखिम की संभावना को काम करता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और किसी भी कारन से शेयर का दाम अगले दिन गिर जाता है। आप वह शेयर होल्ड रख कर सही समय का इंतज़ार कर सकते हैं। जब शेयर के दाम आपके निवेश किये राशि से ज्यादा है तो आप शेयर बेचकर मुनाफा अर्जित कर सकते है। इसलिए यह शेयर सुरक्षित है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान
शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश पूर्णतः परिपक्व नहीं होता है डिलीवरी ट्रेडिंग में कुछ नुकसान भी है। आपको निवेश करने से पहले अन्य संभावना का विश्लेषण करना आवश्यक है। यहां डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नुकसान जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? निम्नलिखित हैं:
पहले से भुगतान
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपको शेयर खरीदने से पहले आपके पास शेयर के दाम का पर्याप्त धनराशि होना चाहिए। निवेशक के लिए कई बार उतना धनराशि रखना मुश्किल हो जाता है और आप अच्छे शेयर जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? खरीदने से वंचित हो जाते है।
अधिक ब्रोकरेज शुल्क
डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। हालांकि कुछ ब्रोकर कंपनियां ब्रोकरेज शुल्क नहीं लेती है।
दोस्तों, डिलीवरी ट्रेडिंग एक लॉन्ग टर्म निवेश का विकल्प है। निवेशक शेयर को खरीदकर अपने डीमैट खाता में बिना समय अवधि के होल्ड करके रख सकता है और कभी भी बेच सकता है।
पहले जानिए बजाज ऑटो शेयर बायबैक के बारे में
बजाज ऑटो ने करीब 64 लाख शेयरों को वापस खरीद लिया है, जिनकी कुल वैल्यू 2499.97 करोड़ रुपये है. कंपनी ने जुलाई 2022 में शेयर बायबैक का ऐलान किया था. 10 अक्टूबर को हुई मीटिंग में फैसला लिया गया कि बायबैक की प्रक्रिया को अब बंद कर देना चाहिए. बायबैक में शेयर की कीमत को 4600 से अधिक न रखने की बात हुई थी. इस बायबैक के बाद अब कंपनी के प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 53.77 फीसदी से बढ़कर 54.98 फीसदी हो गई है. इससे पहले बजाज ने करीब 22 साल पहले 2000 में शेयर बायबैक किए थे. तब करीब 1.8 करोड़ इक्विटी शेयर वापस खरीदे थे, जिनकी कीमत 400 रुपये तय की गई थी. 11 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे बजाज ऑटो के शेयर की कीमत करीब 3570 रुपये थी.
आगामी 13 अक्टूबर को इंफोसिस दूसरी तिमाही के नतीजे जारी करेगी. इसी दिन कंपनी शेयर बायबैक की घोषणा भी कर सकती है. इससे पहले कंपनी दो बायबैक के जरिए 9200 करोड़ और 8260 करोड़ रुपये के शेयर वापस खरीद भी चुकी है. पिछले दोनों बायबैक पूरे होने में करीब 5 महीने लगे थे, देखना दिलचस्प होगा कि अगर कंपनी फिर से शेयर बायबैक की घोषणा करती है तो इस बार उसे कितना टाइम लगेगा. उम्मीद की जा रही है कि शेयर बायबैक 1740 रुपये से 1800 रुपये की रेंज में हो सकता है. उम्मीद है कि कीमत शेयर बायबैक के ऐलान वाले दिन से 18-21 फीसदी प्रीमियम के साथ होगी. 11 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे तक इंफोसिस के शेयर की कीमत करीब 1440 रुपये थी. यानी इस भाव से देखा जाए तो शेयर से 10 फीसदी से अधिक रिटर्न मिल सकता है.
क्या होता है शेयर बायबैक?
शेयर बायबैक वह प्रक्रिया होती है, जिसके तहत कोई कंपनी अपने ही शेयर्स को पब्लिक से वापस खरीद लेती है. इसके लिए कंपनी अपने शेयर की कीमत पर कुछ प्रीमियम भी चुकाती है. शेयर बायबैक के जरिए कंपनी खुद में ही री-इन्वेस्ट करती है. जब कंपनी शेयर बायबैक करती है तो फिर जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? बाजार में उसके आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है.
बायबैक की बात सुनकर हर कोई ये सोचता है कि आखिर कंपनियां अपने ही शेयर को वापस क्यों खरीदती हैं. कई बार अगर कंपनी के पास अतिरिक्त कैश हो जाता है और वह उसे किसी दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगा पाती हैं तो वह शेयर बायबैक कर लेती हैं. इस तरह कंपनी अतिरिक्त कैश को खुद में ही निवेश कर देती है. अगर किसी कंपनी के पास अधिक नकदी होती है तो वह बैलेंस शीट में भी दिखती है और नकदी पड़े रहना अच्छा नहीं माना जाता है. ऐसे में कंपनियां उस नकदी का इस्तेमाल शेयर बायबैक कर के कर लेती हैं. कई बार कंपनियों को लगता है कि उनके शेयर की कीमत कम आंकी गई है, तो भी वह शेयर बायबैक कर लेती हैं, जिससे शेयरों की वैल्यू बढ़ जाती है. इससे निवेशकों में भी एक भरोसा पैदा होता है कि कंपनी की वित्तीय हालत अच्छी है, जिससे कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ती है, जो उसकी कीमत को बढ़ाती है.
निवेशकों को क्या फायदा?
जैसा कि शेयर बायबैक कुछ प्रीमियम पर होता है तो निवेशकों को इसका तो फायदा होता ही है. हालांकि, अगर आपने लंबे वक्त के हिसाब से पैसा लगाया है तो आपको बायबैक में शेयर नहीं बेचने चाहिए. उम्मीद होती है कि भविष्य में कंपनी और बेहतर प्रदर्शन करेगी और ज्यादा रिटर्न देगी. वहीं अगर आपने छोटी अवधि के लिए निवेश किया है तो बेचकर मुनाफा कमा लेना चाहिए. वहीं अगर आपको लगे कि कंपनी का शेयर ओवरवैल्यूड है तो भी आपको शेयर बेचकर निकल जाना चाहिए. जो लोग सिर्फ ट्रेडिंग के मकसद से शेयर खरीदते हैं, उनके लिए तो यह मौका किसी गोल्डन चांस जैसा होता है.
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