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स्टॉप लॉस क्या होता है

स्टॉप लॉस क्या होता है

Stop Loss Order- स्टॉप-लॉस ऑर्डर

क्या होता है स्टॉप-लॉस ऑर्डर?
स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) किसी सिक्योरिटी को उस वक्त बेचने या खरीदने के लिए किसी ब्रोकर को दिया गया ऑर्डर है, जब यह एक विशेष कीमत पर पहुंच जाती है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर की रूपरेखा सिक्योरिटी में एक पोजिशन पर निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए बनाई जाती है और यह स्टॉप-लिमिट ऑर्डर से अलग होता है। जब कोई स्टॉक, स्टॉप प्राइस से नीचे चला जाता है तो ऑर्डर एक मार्केट ऑर्डर बन जाता है और यह अगली उपलब्ध कीमत पर एक्सीक्यूट होता है। उदाहरण के लिए एक ट्रेडर एक स्टॉक खरीद सकता है और इसे खरीद कीमत से 10 प्रतिशत नीचे स्टॉप-लॉस ऑर्डर पर रख सकता है। अगर स्टॉक में गिरावट आती है तो स्टॉप-लॉस ऑर्डर सक्रिय हो जाएगा और स्टॉक, एक मार्केट ऑर्डर की तरह बिक जाएगा। हालांकि अधिकांश निवेशक एक लॉन्ग पोजिशन के साथ स्टॉप-लॉस ऑर्डर से जुड़ सकते हैं, यह शॉर्ट पोजिशन को भी सुरक्षित कर सकता है, जिसमें सिक्योरिटी खरीदी जाती है अगर यह निर्धारित कीमत से ऊपर ट्रेड करती है।

मुख्य बातें
- स्टॉप-लॉस ऑर्डर विनिर्दिष्ट करता है कि कोई स्टॉक उस वक्त बेचा या खरीदा जाएगा, जब यह विशिष्ट स्टॉप लॉस क्या होता है कीमत पर पहुंच जाता है जिसे स्टॉप प्राइस के नाम से जाना जाता है।

- जैसे ही स्टॉप-प्राइस मिल जाता है, स्टॉप ऑर्डर मार्केट ऑर्डर बन जाता है और अगले उपलब्ध अवसर पर निष्पादित हो जाता है।

- कई मामलों में स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग उस वक्त निवेशक को नुकसान से बचाना होता है, जब सिक्योरिटी की कीमत में गिरावट आती है।

स्टॉप-लॉस ऑॅर्डर को समझना
ट्रेडर या निवेशक अपने लाभ की सुरक्षा करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करना पसंद कर सकते हैं। यह किसी ऑर्डर के निष्पादित न होने के जोखिम को हटा देता है अगर स्टॉक में गिरावट जारी रहती है क्योंकि यह मार्कट ऑर्डर बन जाता है। एक स्टॉक लिमिट ऑर्डर तब ट्रिगर होता है, जब कीमत स्टॉप प्राइस से नीचे गिर जाती है। बहरहाल, ऑर्डर के सीमित हिस्से की वैल्यू के कारण यह ऑर्डर निष्पादित नहीं भी हो सकता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर का एक नकारात्मक पहलू तब है, अगर स्टॉक में स्टॉप प्राइस से नीचे स्टॉप लॉस क्या होता है तेजी से गिरावट आती है।

क्या है Stop Loss और Target Price?

शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता स्टॉप लॉस क्या होता है है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.

A man walks out of the Bombay Stock Exchange (BSE) building in Mumbai

Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें

इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.

मान लीजिए इस शेयर के मामले में आपको 90 रुपये की कीमत पर Stop Loss लगाने की सलाह दी जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि किसी वजह से ए स्टॉप लॉस क्या होता है के शेयरों में कमजोरी आने पर उसे 90 रुपये में बेच देना ठीक रहेगा.

स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य होता है जिस पर आप अपने शेयर बेच देते हैं. स्टॉप लॉस (Stop Loss) प्राइस पर शेयर बेच देने की वजह से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं.

किसी शेयर का स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य है जिस पर आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते हैं. इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है.

क्यों होता है स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें. शेयर बाजार काफी हद तक भावनाओं से चलता है. ऐसे में शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.

स्टॉप लॉस (Stop Loss) इसी नुकसान को कम करने का तरीका है. Stop Loss लगाने का एक फायदा यह भी है कि अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने निवेश को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. स्टॉप लॉस (Stop Loss) वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है.

आपके लिए क्या है Stop Loss का महत्व?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. आपको इस बात के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए कि शेयर बाजार में कभी भी कोई बदलाव हो सकता है.

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स्टॉप लॉस क्या होता है

स्टॉप लॉस आर्डर आप की मदद करता है जब भी आप को लगे की आपने जो आर्डर प्लेस किया है (चाहे वो खरीद का हो या बेचने का हो) वो आपके खिलाफ जा सकता है और आपके नुक्सान को कम करने में आपकी मदद करता है। उदहारण के तौर पे - अगर आपने Rs 100/- का कोई स्टॉक खरीदा है और आप ज़्यादा से ज़्यादा Rs 5/- का नुक्सान उठा सकते है तो आपको अपना स्टॉक को Rs 95/- में बेचने के लिए आर्डर प्लेस करना होगा। इस तरह के आर्डर को स्टॉप लॉस आर्डर कहते है क्योंकि आप आपने नुकसान को उतना ही लिमिट कर रहे हैं जितना की आप सह सकते है।

दो तरह के स्टॉप लॉस आर्डर होते है:

1. SL आर्डर (स्टॉप -लॉस लिमिट) = प्राइस + ट्रिगर प्राइस

2. SL-M आर्डर (स्टॉप -लॉस मार्किट) = सिर्फ ट्रिगर प्राइस

केस 1 > अगर आप ने बाय पोजीशन लिया है तो, आप सेल SL प्लेस करना होगा

केस 2 > अगर आप ने सेल पोजीशन लिया है तो, आप बाय SL प्लेस करना होगा

केस 1 में, अगर आपके पास Rs 100/- में बाय का पोजीशन है और आप स्टॉप लॉस Rs 95/- में प्लेस करना चाहते है

a. SL-M आर्डर टाइप - आपको सेल आर्डर SL-M प्लेस करना होगा, जिसमें ट्रिगर प्राइस 95 होगा और जब प्राइस 95 पर ट्रिगर होगा तो , सेल मार्किट आर्डर एक्सचेंज को जायेगा और आपका पोजीशन मार्किट प्राइस पर क्लोज हो जायेगा।

b. SL आर्डर टाइप - आपको सेल SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≥ प्राइस ) इस तरह के आर्डर आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।

मान लीजिये आप रेंज Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 95 और प्राइस = 94.90 होगा। जब प्राइस 95 पर ट्रिगर करता है, तब सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 94.90 से उपर उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 96 या 94.95 पर ही पूरा होगा और 94.90 से नीचे नहीं होगा।

इस तरह के आर्डर का नुकसान भी है, अगर मान लीजिए मार्किट बहुत जल्दी से गिरने लगता है जब तक 95 ट्रिगर हो और इससे पहले की 94.90 सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को मिले, स्टॉक प्राइस पहले ही 94.90 से नीचे गिर चूका हो, तब स्टॉप-लॉस आर्डर आप का क्लोज नहीं होगा। आपका स्टॉप लॉस आर्डर खुला ही रहेगा और आपका नुकसान बहुत ही बढ़ सकता है।

आपको खुद ही तय करना होगा की SL or SL-M का इस्तेमाल करें मार्किट को दिमाग में रख कर तय करना होगा।

केस 2 में, आप के स्टॉप लॉस क्या होता है पास सेल पोजीशन है 100 पर है, आप SL 105 में प्लेस करना चाहते है,

a. SL-M आर्डर टाइप - आप को बय SL-M आर्डर प्लेस करना होगा ट्रिगर प्राइस = 105 यहाँ जब प्राइस 105 ट्रिगर करेगा तब बय मार्किट आर्डर एक्सचेंज को मिलेगा और आपका पोजीशन स्क्वायर ऑफ मार्किट प्राइस पर हो जायेगा।

b. SL आर्डर टाइप - आपको बय SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≤ प्राइस ) इस तरह के आर्डर आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।

मान लीजिये आप रेंज स्टॉप लॉस क्या होता है Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 105 और प्राइस = 105.10 होगा। जब प्राइस 105 पर ट्रिगर करता है, तब बय लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ स्टॉप लॉस क्या होता है हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 105.10 से नीचे उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 105.05 या 105 पर ही पूरा होगा और 105.10 से ऊपर नहीं होगा।

SL आर्डर का दूसरा अल्टरनेटिव इस्तेमाल:

जैसे की सेल SL आर्डर बय प्राइस के नीचे के लिए इस्तेमाल होता और बय SL आर्डर सेल प्राइस के ऊपर , तो आप यह आर्डर टाइप्स को लास्ट ट्रेडेड प्राइस (LTP) के ऊपर या लास्ट ट्रेडेड प्राइस के स्टॉप लॉस क्या होता है नीचे इस्तेमाल कर सकते है।

1. LTP के अपर बय करने के लिए आप बय SL आर्डर प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको बय करना है।

2. LTP के नीचे सेल करने के लिए आप सेल SL आर्डर स्टॉप लॉस क्या होता है प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको सेल करना है।

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Stop Loss Order

​Stop Loss Order: अधिकांश निवेशक एक लॉन्ग पोजिशन के साथ स्टॉप-लॉस ऑर्डर से जुड़ सकते हैं, यह शॉर्ट पोजिशन को भी सुरक्षित कर सकता है, जिसमें सिक्योरिटी खरीदी जाती है अगर यह निर्धारित कीमत से ऊपर ट्रेड करती है।

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क्या होता है स्टॉप-लॉस ऑर्डर?
स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) किसी सिक्योरिटी को उस वक्त बेचने या खरीदने के लिए किसी ब्रोकर को दिया गया ऑर्डर है, जब यह एक विशेष कीमत पर पहुंच जाती है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर की रूपरेखा सिक्योरिटी में एक पोजिशन पर निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए बनाई जाती है और यह स्टॉप-लिमिट ऑर्डर से अलग होता है। जब कोई स्टॉक, स्टॉप प्राइस से नीचे चला जाता है तो ऑर्डर एक मार्केट ऑर्डर बन जाता है और यह अगली उपलब्ध कीमत पर एक्सीक्यूट होता है। उदाहरण के लिए एक ट्रेडर एक स्टॉक खरीद सकता है और इसे खरीद कीमत से 10 प्रतिशत नीचे स्टॉप-लॉस ऑर्डर पर रख सकता है। अगर स्टॉक में गिरावट आती है तो स्टॉप-लॉस ऑर्डर सक्रिय हो जाएगा और स्टॉक, एक मार्केट ऑर्डर की तरह बिक जाएगा। हालांकि अधिकांश निवेशक एक लॉन्ग पोजिशन के साथ स्टॉप-लॉस ऑर्डर से जुड़ सकते हैं, यह शॉर्ट पोजिशन को भी सुरक्षित कर सकता है, जिसमें सिक्योरिटी खरीदी जाती है अगर यह निर्धारित कीमत से ऊपर ट्रेड करती है।

मुख्य बातें
- स्टॉप-लॉस स्टॉप लॉस क्या होता है ऑर्डर विनिर्दिष्ट करता है कि कोई स्टॉक उस वक्त बेचा या खरीदा जाएगा, जब यह विशिष्ट कीमत पर पहुंच जाता है जिसे स्टॉप प्राइस के नाम से जाना जाता है।

- जैसे ही स्टॉप-प्राइस मिल जाता है, स्टॉप ऑर्डर मार्केट ऑर्डर बन जाता है और अगले उपलब्ध अवसर पर निष्पादित हो जाता है।

- कई मामलों में स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग उस वक्त निवेशक को नुकसान से बचाना होता है, जब सिक्योरिटी की कीमत में गिरावट आती है।

स्टॉप-लॉस ऑॅर्डर को समझना
ट्रेडर या निवेशक अपने लाभ की सुरक्षा करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करना पसंद कर सकते हैं। यह किसी ऑर्डर के निष्पादित न होने के जोखिम को हटा देता है अगर स्टॉक में गिरावट जारी रहती है क्योंकि यह मार्कट ऑर्डर बन जाता है। एक स्टॉक लिमिट ऑर्डर तब ट्रिगर होता है, जब कीमत स्टॉप प्राइस से नीचे गिर जाती है। बहरहाल, ऑर्डर के सीमित हिस्से की वैल्यू के कारण यह ऑर्डर निष्पादित नहीं भी हो सकता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर का एक नकारात्मक पहलू तब है, अगर स्टॉक में स्टॉप प्राइस से नीचे तेजी से गिरावट आती है।

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