इक्विटी निवेश

प्रत्यक्ष विदेशी इक्विटी निवेश घटा
भारत में निवेश करने वाले शीर्ष 10 देशों में इक्विटी निवेश से 6 देशों मॉरिशस, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड्स, जर्मनी और केमन आईलैंड्स से पिछले वित्त इक्विटी निवेश वर्ष की पहली छमाही की तुलना में इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रत्यक्ष विदेशी इक्विटी निवेश कम हुआ है। निवेश में यह गिरावट मुख्य रूप से बाहरी क्षेत्र में चुनौतियों, मौद्रिक सख्ती और प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के डर की वजह से आई है।
यहां तक कि क्रमिक आधार पर भी एफडीआई इक्विटी निवेश अप्रैल से लगातार नीचे की ओर रहा है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार दो साल तक मजबूत वृद्धि के बाद अप्रैल-सितंबर छमाही के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी इक्विटी निवेश 14 फीसदी घटकर 26.9 अरब डॉलर रह गया। कुल एफडीआई, जिसमें अनिगमित निकायों की इक्विटी पूंजी, पुनर्निवेश आय और अन्य पूंजी शामिल है, अप्रैल-सितंबर के दौरान 8 फीसदी घटकर 38.95 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले 42.2 अरब डॉलर था।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस कहते हैं, ‘अगर आप अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से एफडीआई प्रवाह को देखें, तो उसमें गिरावट आ रही है। ये वे देश हैं जहां मात्रात्मक सख्ती की गई है। इसका मतलब है कि उभरते बाजारों में निवेश करने के लिए कम संसाधन हैं। यह एक सीधी प्रतिक्रिया है कि दुनिया भर में ब्याज दरें सख्त हो रही हैं।’ सबनवीस ने साफ करते हुए कहा, ‘यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इससे पहले जब एफडीआई प्रवाह में वृद्धि हुई थी, मौद्रिक नरमी थी और निवेशकों के लिए बहुत सारे फंड उपलब्ध थे।’
एफडीआई के मामले में, एक कंपनी इक्विटी निवेश दूसरे देश में एक व्यवसाय में नियंत्रित स्वामित्व लेती है। इससे उस देश में पैसा, कौशल और प्रौद्योगिकी आती है। यह आमतौर पर लंबी अवधि के विकास में परिणत होता है। साथ ही यह उस देश के लिए ठोस निवेश गंतव्य के रूप में उसकी वैश्विक छवि बनाता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि निवेशकों के हाथ में सीमित इक्विटी निवेश संसाधनों के साथ, मंदी के रुझान के बीच एफडीआई कम से कम मार्च तक धीमा होने की उम्मीद है। खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर अतुल पांडेय ने कहा कि देश में एफडीआई प्रवाह कम होने के दो कारण हैं। पांडेय कहते हैं, ‘प्रमुख कारण वैश्विक मंदी है और रूस-यूक्रेन के संघर्ष के बीच यह भी निश्चित नहीं है कि यह कब तक चलेगी।
जबकि दूसरा कारण यह है कि अमेरिका में बांड बाजार बेहतर परिणाम दे रहा है। नतीजतन, निवेशक भारत और चीन जैसे विकासशील देशों के बजाय घरेलू बाजार या विकसित देशों में अपना पैसा लगा रहे हैं।’ आंकड़े दर्शाते हैं कि सकारात्मक वृद्धि दिखाने वाले देशों में सिंगापुर (24.38 फीसदी), संयुक्त अरब अमीरात (378.13 फीसदी), साइप्रस (916 फीसदी) और जापान (47.14 फीसदी) शामिल हैं।
Investment Tips: लंबी अवधि में कमाना है मुनाफा? इक्विटी फंड्स में निवेश पूरा कर सकता है आपका सपना
इक्विटी फंड को स्टॉक फंड भी कहते हैं. यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो मुख्य रूप से स्टॉक या इक्विटी में निवेश करता है.
शेयर बाजार ने बीते कुछ सालों में भरपूर रिटर्न दिया है. अगर पिछले साल का आंकड़ा देखें तो निवेशकों को हर साल औसतन 14 फीसदी का मुनाफा हुआ है. दमदार मुनाफे के लिए अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि सीधे शेयर खरीद लें. केवल 500 रुपए के शुरुआती निवेश से आप भी म्यूचुअल फंड में इक्विटी फंड्स के जरिए शेयर बाजार में एंट्री कर सकते हैं.
इक्विटी फंड का प्रदर्शन
इक्विटी फंड्स ने बीते 3 से 5 साल में निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है. इसमें क्वांट स्मॉल कैप फंड ने 5 साल में करीब 42 फीसदी का रिटर्न दिया है. अगर 3 साल में फंड का रिटर्न देखने को यह 21 फीसदी है. जबकि इस दौरान बाजार ने कोरोना महामारी और जियो-पॉलिटिकल टेंशन को भी झेल रहा है. ABSL डिजिटल इंडिया फंड ग्रोथ ने निवेशकों को 3 साल में 40 फीसदी तक का रिटर्न दिया है.
इक्विटी फंड क्या है?
इक्विटी फंड को स्टॉक फंड भी कहते हैं. यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो मुख्य रूप से स्टॉक या इक्विटी में निवेश करता है. इसमें आपके पैसे को फंड मैनेजर तय करता है कि रकम का निवेश किन-किन कंपनियों में लगाना है. इसमें फंड मैनेजर की मदद एक रिसर्च टीम करती है.
Sensex 61000 के पार, क्या आपको इक्विटी फंड के SIP में निवेश रोक देना चाहिए?
मार्केट में आई तेजी के बीच म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बनी हुई है। म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंच गया है। AMFI के डेटा के मुताबिक, इक्विटी निवेश अक्टूबर में SIP से निवेश 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा
23 नवंबर को मार्केट खुलने पर सेंसेक्स में तेजी दिखी। सुबह 10 बजे यह 90 अंक की तेजी के साथ 61,509 अंक पर था। 22 नवंबर को यह 61,418 अंक इक्विटी निवेश पर बंद हुआ था। यह 11 नवंबर, 2022 के 61,795 अंक के अपने ऑल-टाइम हाई के करीब पहुंच गया है।
Sensex 61000 के पार निकल गया है। 23 नवंबर को मार्केट खुलने पर सेंसेक्स में तेजी दिखी। सुबह 10 बजे यह 90 अंक की तेजी के साथ 61,509 अंक पर था। 22 नवंबर को यह 61,418 अंक पर बंद हुआ था। यह 11 नवंबर, 2022 के 61,795 अंक के अपने ऑल-टाइम हाई के करीब पहुंच गया है। मार्केट में आई तेजी के बीच म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बनी हुई है। म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंच गया है। AMFI के डेटा के मुताबिक, अक्टूबर में SIP से निवेश 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा। इसका ज्यादातर हिस्सा म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीमों में गया। इक्विटी निवेश इक्विटी निवेश इससे यह संकेत मिलता है कि शेयरों को लेकर इनवेस्टर्स का उत्साह बना हुआ है। हालांकि, ग्लोबल इक्विटी मार्केट में तेज करेक्शन देखने को मिला है।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मार्केट चाहे किसी लेवल पर हो, आपको अपना इनवेस्टमेंट जारी रखना चाहिए। SIP लंबी अवधि में लगातार निवेश के लिए सबसे अच्छा माध्यम है। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मार्केट हाई पर होने की स्थिति में आप शेयरों को महंगे भाव पर खरीदते (एमएफ के जरिए) हैं। ऐसे में सवाल यह है कि अगर मार्केट में शेयर महंगे हैं तो क्या आपको अपना SIP रोक देना चाहिए?
शेयर बाजार में उथल-पुथल, लेकिन सितंबर में इक्विटी फंड में निवेश दोगुना से ज्यादा हुआ, SIP में भी तेजी आई
सितंबर के महीने में म्यूचुअल फंड्स का AUM घटकर 38.42 लाख करोड़ रुपए रहा. इक्विटी फंड्स में निवेश में दोगुना से ज्यादा उछाल दर्ज किया गया. SIP बढ़कर 12976 करोड़ रुपए रहा.
Mutual Funds data September: म्यूचु्अल फंड्स एसोसिएशन AMFI की तरफ इक्विटी निवेश इक्विटी निवेश से सितंबर महीने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश का आंकड़ा जारी किया गया है. एम्फी के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर के महीने में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP बढ़कर 12976 करोड़ रुपए रहा. अगस्त के महीने में यह आंकड़ा 12693 करोड़ रुपए का रहा था. शेयर बाजार में हलचल रही, लेकिन इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश में उछाल दर्ज किया गया. सितंबर महीने में कुल इक्विटी इन्फ्लो 14077 करोड़ रहा. अगस्त के महीने में यह आंकड़ा 5942 करोड़ रहा था. मंथली आधार पर इसमें 137 फीसदी का उछाल आया है. वहीं, बीते महीने निफ्टी में 3.75 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
टोटल असेट अंडर मैनेजमेंट घटा
सितंबर महीने में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का टोटल असेट अंडर मैनेजमेंट 38.42 लाख करोड़ रुपए रहा. इसमें गिरावट दर्ज की गई है. अगस्त के महीने में यह 39.33 लाख करोड़ रहा था. सितंबर महीने में सेक्टोरल फंड्स में सबसे ज्यादा निवेश आया. इस सेगमेंट में कुल 4418 करोड़ का निवेश आया. फ्लेक्सी कैप फंड्स में 2401 करोड़ का निवेश आया. मिडकैप इक्विटी निवेश फंड्स में 2151 करोड़ का निवेश आया. ETF में उछाल दर्ज किया गया और यह आंकड़ा 10808 करोड़ रहा जो अगस्त में 7416 करोड़ रहा.
लिक्विड फंड से 59970 करोड़ की भारी निकासी
लिक्विड फंड से 59970 करोड़ की निकासी की गई. अगस्त में 50096 करोड़ का इन्फ्लो आया था. टोटल डेट स्कीम से 65372 करोड़ की निकासी की गई. अगस्त में इस स्कीम में 49164 करोड़ का इन्फ्लो आया था. कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड से 2926 करोड़ की निकासी की गई. अगस्त में 673 करोड़ का इन्फ्लो आया था.
हायब्रिड फंड से निकासी
हायब्रिड फंड से सितंबर के महीने में 2688 करोड़ की निकासी की गई. अगस्त में यह निकासी 6601 करोड़ की थी. क्रेडिट रिस्क आउटफ्लो 492 करोड़ का रहा जो अगस्त में 88.3 करोड़ रहा.