ट्रेडिंग योजना

कार्बन का उत्सर्जन उन देशों के ज्यादा होता है जहाँ पर औद्योगिक गतिविधियाँ ज्यादा होतीं है. इसी कारण विकसित देशों द्वारा कार्बन का ज्यादा उत्सर्जन किया जाता है. क्योटो प्रोटोकोल एक ऐसी ही संधि है जो कि ट्रेडिंग योजना ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए विश्व के विकसित और विकासशील देशों को बाध्य करती है.
ट्रेडिंग योजना
15 नवंबर (भाषा) यस सिक्योरिटीज लिमिटेड ने पिछले वित्त वर्ष में राजस्थान में नए डीमैट और ट्रेडिंग ट्रेडिंग योजना खाते खोलने के मामले में सालाना आधार पर लगभग पांच गुना की वृद्धि दर्ज की है। कंपनी के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह दावा किया।
यस सिक्योरिटीज के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी अंशुल अर्जारे ने बताया कि बढ़ती वित्तीय जागरूकता, दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में इंटरनेट सेवाओं की तेजी से पैठ, वित्तीय जोखिम की बेहतर समझ, और डिजिटल तरीके से नए उपयोगकर्ताओं को अपने साथ जोड़ने की सुविधा के कारण शेयर बाजार में लोगों की भागीदारी में वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि यस सिक्योरिटीज का अगला लक्ष्य निकट भविष्य में राजस्थान के अंतिम छोर तक समस्त निवेशकों तक पहुंचने के लिए फिनटेक और डिजिटल परिवर्तन का लाभ उठाना है।
उन्होंने बताया कि नवीनतम आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि राजस्थान में नवंबर, 2021 से अबतक 21 लाख से अधिक नए निवेशक जुड़े हैं, जो कि सालाना आधार पर 45 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
कार्बन ट्रेडिंग किसे कहते हैं और इसका व्यापार कैसे किया जाता है?
कार्बन क्रेडिट अंतर्राष्ट्रीय उद्योग में कार्बन उत्सर्जन नियंत्रण की योजना है. कार्बन क्रेडिट सही मायने में किसी देश द्वारा किये गये कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने का प्रयास है जिसे प्रोत्साहित करने के लिए मुद्रा से जोड़ दिया गया है. अर्थात कार्बन ट्रेडिंग से सीधा मतलब है कार्बन डाइऑक्साइड का व्यापार.
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के वर्ष 2015 के आंकड़ों के अनुसार विश्व में सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन (9040 मिलियन मीट्रिक टन)चीन के द्वारा किया जाता है जबकि 4997 मिलियन मीट्रिक टन उत्सर्जन के साथ अमेरिका दूसरे नम्बर पर और 2066 मिलियन मीट्रिक टन उत्सर्जन के साथ भारत तीसरे स्थान पर है. यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि दुनिया में प्रति व्यक्ति कार्बन का सबसे अधिक उत्सर्जन अमेरिका में होता है.
इस कंपनी खरीदने की रेस में अडानी-अंबानी, शेयरों में लगातार लगा सर्किट, अब रोक दी गई ट्रेडिंग
फ्यूचर रिटेल के शेयरों में लगातार अपर या लोअर सर्किट लग रहा था. अब कंपनी की ट्रेडिंग रोक दी गई है. गौतम अडानी और मुकेश अंबानी दोनों ही इसे खरीदने के लिए कतार में हैं.
कर्ज में डूबी किशोर बियानी (Kishore Biyani) की कंपनी फ्यूचर ग्रुप (Future group) के शेयरों में पिछले दो हफ्तों में तगड़ी तेजी देखने को मिली है. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि इस कंपनी को ट्रेडिंग योजना खरीदने के लिए गौतम अडानी (Gautam Adani) और मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) दोनों ही कतार में हैं. ऐसे में निवेशकों को इस बात की खुशी हो ट्रेडिंग योजना रही है कि यह कंपनी जिसके भी हाथ में जाएगी, इसका कायाकल्प होना तो तय है. यही वजह है कि फ्यूचर ग्रुप के शेयरों में ट्रेडिंग बंद होने से पहले कई दिन तक अपर सर्किट लगा. इस वक्त कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है और तमाम लोग इसे खरीदने की रेस ट्रेडिंग योजना में हैं. दिवाला प्रक्रिया के दौरान कंपनी के शेयरों में ट्रेडिंग को रोक दिया जाता है.
कब-कब लगा अपर सर्किट?
मौजूदा समय में फ्यूचर रिटेल का शेयर 3.65 रुपये के स्तर पर है. 9 सितंबर से इस शेयर में तगड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. 9 सितंबर के बाद 14 सितंबर तक शेयर में अपर सर्किट लगा, लेकिन उसके बाद इसमें 2 नवंबर तक लगातार लोअर सर्किट लगा. उसके बाद फिर 11 नवंबर तक लगातार अपर सर्किट लगा.
फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए पहली दावेदार है April Moon Retail Private Ltd, जो अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स और फ्लेमिंगो ग्रुप का ज्वाइंट वेंचर है. इसके अलावा दूसरी दावेदार है मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल. इनके अलावा 13 और कंपनियों ने भी फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए रुचि (Expressions Of Interest) दिखाई है.
फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए रुचि पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख इसी महीने निकल चुकी है. बता दें कि आज जो फ्यूचर रिटेल बिक रही है, वह कभी भारत की दूसरी सबसे बड़ी रिटेलर थी. यह कंपनी अपना बिजनस 3.4 अरब डॉलर में अपने असेट रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचना चाह रही थी. हालांकि, अमेजन के साथ लीग फाइट के चलते यह डील फाइनल नहीं हो सकी और कंपनी के खिलाफ दिवालिया की प्रक्रिया शुरू हो गई.
अमेजन क्यों करता रहा सौदे का विरोध?
इस विलय समझौते की घोषणा के बाद से ही अमेजन इसका विरोध कर रही थी. विभिन्न अदालती मुकदमों में अमेजन ने यह कहते हुए इस सौदे का विरोध किया कि उसके साथ हुए फ्यूचर समूह के निवेश समझौते का यह करार उल्लंघन करता है. दरअसल, ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजन ने साल 2019 में एफआरएल की प्रवर्तक कंपनी फ्यूचर कूपन्स प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक निवेश करार किया था. इसके आधार ट्रेडिंग योजना पर उसने भविष्य में फ्यूचर रिटेल को खरीदने की योजना तैयार की थी. लेकिन इस बीच फ्यूचर रिटेल ने रिलायंस के साथ सौदा कर लिया.
फ्यूचर रिटेल पर 29 लेंडर्स के एक कंसोर्टियम का 17,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. वहीं फ्यूचर ग्रुप पर कुल कर्ज 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. रिलायंस के साथ सौदे से मिलने वाले पैसे से एफआरएल अपना कर्ज चुकाने चाहता था. हालांकि, अब रिलायंस के साथ सौदा खत्म होने के बाद एफआरएल ने बैंक ऑफ इंडिया के कर्ज के भुगतान में चूक कर दी. इसके बाद इस साल अप्रैल में बैंक एफआरएल के खिलाफ एनसीएलटी में गया था.
jamshedpur-crime-diary-जुगसलाई से दो बच्चों की मां प्रेमी के साथ फरार, पति गया था ओमान, सिदगोड़ा सूर्य मंदिर के दान पेटी से 15 हजार की चोरी, सीतारामडेरा में शेयर ट्रेडिंग में प्रोफिट देने का झांसा देकर 32 लाख की धोखाधड़ी, एक क्लिक में पढ़िये अपराध से जुड़ी खबरें
जमशेदपुर : जुगसलाई से दो बच्चों की मां का प्रेमी के साथ फरार होने का एक मामला कोर्ट के आदेश पर जुगसलाई थाना में दर्ज किया गया है. मामले के शिकायतकर्ता महिला के पति सलाउद्दीन खान जुगसलाई पुरानी बस्ती के रहनेवाले हैं. दर्ज ट्रेडिंग योजना मामले में बताया गया है कि सलाउद्दीन की शादी वर्ष 2011 में हुई थी. उसके बाद वर्ष 2018 में वह रोजगार के लिये ओमान चला गया. वहां से वह अपनी पत्नी के खाते में पैसा भेजा करता था. इस बीच उसे पड़ोसियों से पता चला था कि उसकी पत्नी बच्चों की ठीक तरह से देख-भाल नहीं कर रही है. जब वह घर लौटा तो पत्नी घर से गायब मिली. जांच में पता चला कि वह अपने प्रेमी के साथ घर से भाग गई है. महिला पर घर से नकद 70 हजार, जेवर और टीवी ले जाने का भी आरोप है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. (नीचे भी पढ़ें)
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याचिका में कहा गया है कि “यह सर्वविदित है कि चुनाव आयोग की कथित सिफारिश के बाद राज्यपाल के कार्यालय की चुप्पी झारखंड मुक्ति मोर्चा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सत्तारूढ़ गठबंधन को अस्थिर करने के लिए प्रोत्साहन दे रही है. उन्होंने राज्यपाल पर सरकारिया आयोग और न्यायमूर्ति एमएम पुंछी आयोग की रिपोर्ट की टिप्पणियों और सिफारिशों के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सवाल किया कि क्या राज्यपाल ने अपने कृत्यों और चूक से भारत के संविधान में राज्यपाल के संवैधानिक महत्व और स्थिति को कम करके आंका है? उन्होंने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि वह भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश जारी करें कि राज्यपाल के अनुरोध पर दूसरी राय के लिए कार्रवाई करते हुए उन्हें सुनवाई का अवसर दिया जाए और राज्यपाल द्वारा ECI के मंतव्य का खुलासा किया जाए.