शेयर बाजार के इतिहास

सेंसेक्स ने रचा इतिहास, टूट गया पिछला रिकॉर्ड. All Time High पर पहुंचा इंडेक्स
Sensex Hits New Record: शेयर बाजार में तेजी के बीच कारोबार के दौरान बीएसई का सेंसेक्स 900 अंक तक उछल गया था और नए रिकॉर्ड स्तर 62,405.33 को छू लिया था. दिन के कारोबार में एनएसई के निफ्टी में भी लगातार बढ़त देखने को मिली.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 24 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 24 नवंबर 2022, 6:24 PM IST)
गुरुवार को शेयर बाजार (Stock Market) में जोरदार तेजी देखने को मिली. इस तेजी में सेंसेक्स ने इतिहास रच दिया. कारोबार के दौरान सेंसेक्स पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 62,405 अंक तक पहुंच गया, जो कि इसका ऑल टाइम हाई है. हालांकि कारोबार के आखिरी में Sensex 762.10 अंक या 1.24 फीसदी की तेजी के साथ रिकॉर्ड हाई 62,272.68 पर बंद हुआ.
900 अंक तक मारी थी सेंसेक्स ने उछाल
दरअसल लगातार तीसरे दिन गुरुवार को शेयर बाजार गुलजार रहा. बीएसई के 30 शेयरों वाला सेंसेक्स (BSE Sensex) इंडेक्स एक बार फिर 62,000 के स्तर को पार करने में सफल हुआ. कारोबार के दौरान एक समय यह 900 अंक की तेजी के साथ 62,405.33 अंक के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था.
ये था सेंसेक्स का पिछला रिकॉर्ड
गौरतलब है कि बीएसई के Sensex ने इससे पहले 62,245 के स्तर पर पहुंचकर रिकॉर्ड बनाया था. इसने यह रिकॉर्ड स्तर बीते 19 अक्टूबर, 2021 को छुआ था. गुरुवार को आईटी शेयरों में आज Wipro, Infosys, HCL Tech, TCS, Power Grid, HUL और Tech Mahindra के शेयरों में 2 से 3.5 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली. वहीं बजाज फिनसर्व, टाटा स्टील, बजाज फाइनेंस और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई.
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निफ्टी में भी जोरदार तेजी
Sensex के साथ-साथ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी (NSE Nifty) भी जोरदार उछाल लेकर बंद हुआ. कारोबार के अंत में निफ्टी इंडेक्स 216.85 अंक यानी 1.19 फीसदी की उछाल के साथ 18,484.10 अंक पर बंद हुआ. दिन के कारोबार में दौरान यह अपने 52 हफ्ते के हाई 18,529.70 तक पहुंच गया था.
भारतीय बाजार में तेजी के पीछे कई कारण हैं. पीटीआई के मुताबिक, अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) द्वारा ब्याज दरों में नरमी भरे रुख ने निवेशकों के सेंटीमेंट को समर्थन दिया और बाजार में जोरदार तेजी देखने को मिली.
इसके अलावा कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों में अचानक गिरावट से भी बाजार को बल मिला है. साथ ही आज मंथली एक्सपायरी की वजह से बाजार को मजबूत सपोर्ट मिला.
बुधवार को भी बढ़त के साथ हुआ था क्लोज
कारोबार की शुरुआत में Sensex 145 अंकों की तेजी के साथ 61,656 के स्तर पर खुला था. इससे पहले बुधवार को शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद हुआ था. सेंसेक्स 91 अंक की बढ़त के साथ 61,510 पर बंद हुआ था, निफ्टी भी हरे निशान पर बंद हुआ था. गुरुवार को कारोबार के अंत में सेंसेक्स के 30 में से 28 शेयरों में बढ़त देखने को मिली.
मुंबई शेयर बाजार का इतिहास
बीएसई और दलाल स्ट्रीट अब एक समान हैं परन्तु वास्तव में इस एक्सचेंज का प्रथम जन्मस्थल 1850 में एक बरगद का वृक्ष था। फिलहाल जहां हार्निमन सर्कल है, वहां टाउनहाल के पास बरगद के वृक्ष के नीचे दलाल लोग एकत्रित होते थे और शेयरों का सौदा करते थे। एक दशक के बाद ये दलाल मेडोज स्ट्रीट और महात्मा गांधी रोड के जंक्शन पर बरगद के वृक्ष की सघन छाया के नीचे जुटने लगे। शेयर दलालों की संख्या बढने शेयर बाजार के इतिहास पर उन्हें नए स्थान पर जाना पड़ता था। यह सिलसिला जारी रहा और अन्त में 1874 में उन्हें एक स्थाई जगह मिल गयी, यह स्थल शेयर बाजार के इतिहास दलाल स्ट्रीट के रूप में सुविख्यात हो गया। .
दलाल पथ
दलाल पथ संकेत दलाल पथ मुम्बई के मध्यविंदु में है और बंबई स्टॉक एक्सचेंज का स्थान है। .
बेल्जियम
किंगडम ऑफ़ बेल्जियम उत्तर-पश्चिमी यूरोप में एक देश है। यह यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य है और उसके मुख्यालय का मेज़बान है, साथ ही, अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का, जिसमें NATO भी शामिल है। 10.7 मीलियन की जनसंख्या वाले बेल्जियम का क्षेत्रफल है। जर्मनिक और लैटिन यूरोप के मध्य अपनी सांस्कृतिक सीमा को विस्तृत किये हुए बेल्जियम, दो मुख्य भाषाई समूहों, फ्लेमिश और फ्रेंच-भाषी, मुख्यतः वलून्स सहित जर्मन भाषियों के एक छोटे शेयर बाजार के इतिहास समूह का आवास है। बेल्जियम के दो सबसे बड़े क्षेत्र हैं, उत्तर में 59% जनसंख्या सहित फ्लेंडर्स का डच भाषी क्षेत्र और वालोनिया का फ्रेंच भाषी दक्षिणी क्षेत्र, जहाँ 31% लोग बसे हैं। ब्रुसेल्स-राजधानी क्षेत्र, जो आधिकारिक तौर पर द्विभाषी है, मुख्यतः फ्लेमिश क्षेत्र के अंतर्गत एक फ्रेंच भाषी एन्क्लेव है और यहाँ 10% जनसंख्या बसी है। * * * * पूर्वी वालोनिया में एक छोटा जर्मन भाषी समुदाय मौजूद है। मूल (पहले ही) 71,500 निवासियों के बजाय 73,000 का उल्लेख करता है। बेल्जियम की भाषाई विविधता और संबंधित राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संघर्ष, राजनीतिक इतिहास और एक जटिल शासन प्रणाली में प्रतिबिंबित होता है। बेल्जियम नाम, गॉल के उत्तरी भाग में एक रोमन प्रान्त, गैलिया बेल्जिका से लिया गया है, जो केल्टिक और जर्मन लोगों के एक मिश्रण बेल्जी का निवास स्थान था। ऐतिहासिक रूप से, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्ज़मबर्ग, निचले देश के रूप में जाने जाते थे, जो राज्यों के मौजूदा बेनेलक्स समूह की तुलना में अपेक्षाकृत कुछ बड़े क्षेत्र को आवृत किया करते थे। मध्य युग की समाप्ति से लेकर 17 वीं सदी तक, यह वाणिज्य और संस्कृति का एक समृद्ध केन्द्र था। 16वीं शताब्दी से लेकर 1830 में बेल्जियम की क्रांति तक, यूरोपीय शक्तियों के बीच बेल्जियम के क्षेत्र में कई लड़ाइयाँ लड़ी गईं, जिससे इसे यूरोप के युद्ध मैदान का तमगा मिला - एक छवि जिसे दोनों विश्व युद्ध ने और पुष्ट किया। अपनी स्वतंत्रता पर, बेल्जियम ने उत्सुकता के साथ औद्योगिक क्रांति में भाग लिया और उन्नीसवीं सदी के अंत में, अफ्रीका में कई उपनिवेशों पर अधिकार जमाया। 20वीं सदी के उत्तरार्ध को फ्लेमिंग्स और फ्रैंकोफ़ोन के बीच साँप्रदायिक संघर्ष की वृद्धि के लिए जाना जाता है, जिसे एक तरफ तो सांस्कृतिक मतभेद ने भड़काया, तो दूसरी तरफ फ्लेनडर्स और वालोनिया के विषम आर्थिक विकास ने. अब भी सक्रिय इन संघर्षों ने पूर्व में एक एकात्मक राज्य बेल्जियम को संघीय राज्य बनाने के दूरगामी सुधारों को प्रेरित किया। .
ईस्ट इण्डिया कम्पनी
लन्दन स्थित ईस्ट इण्डिया कम्पनी का मुख्यालय (थॉमस माल्टन द्वारा चित्रित, १८०० ई) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना ३१ दिसम्बर १६०० ईस्वी में हुई थी। इसे यदाकदा जॉन कंपनी के नाम से भी जाना जाता था। इसे ब्रिटेन की महारानी ने भारत के साथ व्यापार करने के लिये २१ सालो तक की छूट दे दी। बाद में कम्पनी ने भारत के लगभग सभी क्षेत्रों पर अपना सैनिक तथा प्रशासनिक अधिपत्य जमा लिया। १८५८ में इसका विलय हो गया। .शेयर बाजार के इतिहास
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कैसे हुआ Share Market का 'जन्म'? यहां पढ़िए पूरी कहानी
डीएनए हिंदी: सोमवार से शुक्रवार के बीच सुबह के जैसे ही 9:15 बजते हैं सभी शेयरधारक स्क्रीन के सामने नजरें गड़ाकर बैठ जाते हैं लेकिन क्या आपको यह पता है कि इस मार्केट का जन्म हमारे देश को आजादी मिलने के 107 साल पहले ही हो गई थी. हालांकि उस समय किसी भी तरह की टेक्नोलॉजी (Technology) का विकास नहीं हुआ था तो ट्रेडिंग का तरीका थोड़ा ज्यादा अलग था. चलिए जानते हैं कैसे शुरू हुआ यह मार्केट जिसने अब तक करोड़ों लोगों की किस्मत बदल डाली.
शेयर बाजार के जन्म की कहानी
साल था 1840 का, मुंबई के टाउनहाल के पास बरगद के पेड़ के नीचे 22 शेयर बाजार के इतिहास लोगों ने एक साथ मिलकर शेयर बाजार की शुरुआत की और शेयरों का सौदा करना शुरू किया. कुछ सालों बाद किसी वजह से ये दलाल महात्मा गांधी रोड (Mahatma Gandhi Road) पर बरगद के पेड़ के नीचे जुटने लगे धीरे-धीरे दलालों की संख्या बढ़ती चली गई.
शेयर बाजार की स्थापना कैसे हुई?
शेयर बाजार की स्थापना के बारे में जानने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि यह एशिया का सबसे शेयर बाजार के इतिहास पुराना एक्सचेंज है. इसे बसाने का श्रेय चार गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है. 1840 में ये सभी ब्रोकर्स बरगद के पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे. देखते ही देखते इनकी संख्या में बढ़ोतरी होती चली गई. 1875 में इन सभी ने मिलकर अपना नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन (Native Share and Stock Brokers Association) बना लिया जहां ब्रोकर्स 1 रुपये की एंट्री फीस के साथ शामिल होना शुरू किए. जिसके बाद सभी ने मिलकर दलाल स्ट्रीट पर अपना एक ऑफिस खोला.
आजादी के बाद बदली कहानी
आज़ादी के बाद देश संभलने की कोशिश में लगा हुआ था वहीं 10 साल बाद साल 31 अगस्त 1957 को बीएसई (BSE) को सरकार ने सिक्योरिटी एक्ट के तहत लाया. जिसके शेयर बाजार के इतिहास बाद 1980 में BSE को दलाल स्ट्रीट पर शिफ्ट किया गया. 1986 में एक्सचेंज में एसएनपी (SNP), बीएसई (BSE) और सेंसेक्स (SENSEX) जैसे इंडेक्स बनाए गए.
साल 1980 तक BSE बहुत ही कम पारदर्शिता के साथ काम कर रहा था.इस दश के अंत तक नई आर्थिक बल, आर्थिक ग्रोथ के लिए एक आधुनिक वित्तिय सिस्टम की जरूरत पड़ी. मार्केट वैल्यू का डिरेगुलेशन किया गया और अर्थव्यवस्था को सर्विस ओरिएंटेड कर दिया गया. जिसके बाद भारत सरकार ने सेबी (SEBI) की स्थापना की.
BSE क्यों क्रैश हुआ?
हर्षद मेहता का नाम अब तक लगभग हर भारतीय जान चुका होगा. साल 1992 में हर्षद मेहता स्कैम की वजह से BSE क्रैश हो गया. जिसके बाद एक और स्टॉक एक्सचेंज की नींव रखी गई और यह स्टॉक एक्सचेंज था नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE). देखते ही देखते NSE कुछ ही दिनों में भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज शेयर बाजार के इतिहास बन गया.
Share Market Close: शेयर बाजार में बड़ी गिरावट, अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर 8% टूटे
Share Market Close: सप्ताह के पहले कारोबारी दिन ही भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ. उम्मीद से ज्यादा अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों से आर्थिक विकास की चिंता बढ़ने के बाद वैश्विक निवेशकों के बढ़त पर बने रहने से एशियाई शेयर बाजारों में मिला जुला रुख देखने को मिल रहा है.
aajtak.in
- नई दिल्ली ,
- 03 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 03 अक्टूबर 2022, 5:11 PM IST)
सप्ताह के पहले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार (Share Market) गिरावट के साथ बंद हुआ. आज सुबह मार्केट खुलते ही रेड कलर में ट्रेड करने लगा और बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) सेंसेक्स 638 अंक की गिरावट के साथ 57,000 के नीचे 56,788 पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी (Nifty) 207 अंक की गिरावट के साथ 16,887 पर क्लोज हुआ. कुल मिलाकर बाजार की चाल आज कमजोर रही. मिड और स्मॉल कैप के शेयर लो लेवल पर क्लोज हुए. क्योंकि निफ्टी मिडकैप 1.25 प्रतिशत और स्मॉल-कैप 0.66 प्रतिशत गिर गया.
अडानी पोर्ट्स और मारुति को नुकसान
स्टॉक-मोर्चे पर अडानी एंटरप्राइजेज में बड़ी गिरावट देखने को मिली. यह स्टॉक 8.42 प्रतिशत टूटकर 3,164.75 रुपये पर बंद हुआ. आयशर मोटर्स, अडानी पोर्ट्स, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और मारुति के शेयर भी गिर गए. इसके विपरीत, ओएनजीसी, डॉ रेड्डीज, सिप्ला, बीपीसीएल और कोल इंडिया आज टॉप गेनर्स की लिस्ट में शामिल थे.
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गिरावट के साथ हुआ था ओपन
आज सुबह शेयर बाजार पिछले सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार की तेजी को बरकरार नहीं रख सका. सेंसेक्स 151 अंक या 0.26 फीसदी फिसलकर 57,277 पर और निफ्टी 46 अंक या 0.27 प्रतिशत गिरकर 17,049 पर ओपन हुआ था.
उम्मीद से ज्यादा अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों से आर्थिक विकास की चिंता बढ़ने के बाद वैश्विक निवेशकों के बढ़त पर बने रहने से एशियाई शेयर बाजारों में मिला जुला रुख देखने को मिल रहा है. भारतीय शेयर बाजार की बात करें, तो सात दिनों की लगातार गिरावट के शुक्रवार को मार्केट में चमक लौटी थी.
मंदी की आशंका
सोमवार को बाजार का मिजाज नाजुक रहा, क्योंकि तेल उत्पादकों द्वारा उत्पादन में संभावित कटौती पर कच्चे तेल की कीमतों में 4 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई. इस वजह से आशंका बढ़ गई कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक बढ़ती महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकते हैं. इससे दुनिया भर में मंदी की आशंका और बढ़ जाएगी.
आज चारो-तरफ बिकवाली थी, जिससे फार्मा को छोड़कर सभी सेक्टोरल इंडेक्स निचले स्तर पर बंद हुए. इसमें शेयर बाजार के इतिहास मेटल और पीएसयू बैंकिंग सबसे ज्यादा नुकसान में रहे. शुक्रवार को रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा किया था. इसके बाद से शेयर बाजार में जोरदार तेजी देखने को मिली थी.
इन शेयरों में दिखा उछाल
हालांकि, बाजार में आई बिकवाली के बावजूद आज बीएसई पर 100 से अधिक स्टॉक ऐसे रहे, जिन्होंने अपना 52 वीक का हाई लेवल हासिल किया. इनमें Cipl, DFM Foods, KRBL, Lemon Tree Hotels शामिल रहे.