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अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें

अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें
अगर कल तक पैन-आधार को लिंक नहीं किया तो देना होगा 500 से 1,000 रुपये का जुर्माना साथ में.

Apple या Facebook के मुनाफे में चाहते हैं हिस्सा? जानिए घर बैठे आप कैसे विदेशी शेयरों में कर सकते हैं निवेश?

आप विदेशी शेयरों में म्यूचुअल फंड के जरिए या सीधे स्टॉक एक्सचेंजों और फिनटेक ऐप के जरिए निवेश कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि डायवर्सिफिकेशन के लिए अपने पोर्टफोलियो का 10 से 30% हिस्सा ग्लोबल स्टॉक्स में लगाया जा सकता है

पिछले कुछ सालों से भारतीयों के बीच विदेशी शेयरों में निवेश का चलन बढ़ा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) को म्यूचुअल फंड (MFs) की तरफ से विदेशी शेयरों में निवेश को निलंबित करना पड़ा क्योंकि उसने जितनी निवेश की अधिकतम सीमा तय की थी, वह पूरी हो गई थी। हालांकि विदेशी स्टॉक में निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड इकलौता तरीका नहीं है। इसे सीधे स्टॉक एक्सचेंजों और फिनटेक ऐप के जरिए भी किया जा सकता है। वित्त वर्ष 2022 में भारतीय ने 74.7 करोड़ डॉलर विदेशों में निवेश किए हैं।

विदेशी बाजारों में मौजूदा गिरावट ने भारतीय निवेशकों के लिए एक सस्ते वैल्यूएशन पर निवेश का मौका मुहैया कराया है। आइए जानते हैं कि आप विदेशों में सूचीबद्ध शेयरों में किन तरीकों से निवेश कर सकते हैं-

म्यूचुअल फंड्स

विदेशी सूचीबद्ध शेयरों में म्युचुअल अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें फंड निवेश का प्रदर्शन अच्छा रहा है। अंतरराष्ट्रीय शेयरों पर फोकस वाली म्यूचुअल फंड्स स्कीमें 31 अगस्त, 2022 तक 38,014 करोड़ रुपये का एसेट मैनेज कर रही थीं। ये स्कीमें, ग्लोबल स्टॉक्स, किसी इलाके या किसी खास थीम वाले विदेशी शेयरों में निवेश करती है। विदेशों में निवेश करने के लिए म्युचुअल फंड एक पसंदीदा रास्ता के रूप में उभरा है क्योंकि यहां पोर्टफोलियो एक प्रोफेशनल के द्वारा मैनेज किया जाता है। साथ ही यह आपको छोटी रकम और मंथली एसआईपी की सुविधा भी देता है।

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इन योजनाओं के माध्यम से किए गए निवेश उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) के माध्यम से किए गए निवेश के अंतर्गत नहीं आते हैं और इसे कराधान के उद्देश्य से गैर-इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं की इकाइयों में किए गए किसी भी अन्य निवेश की तरह माना जाता है।

आप सीधे भी स्टॉक खरीद सकते हैं

अगर आप म्यूचुअल फंड्स के जरिए निवेश नहीं करना चाहते हैं, अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें तो आप सीधे भी स्टॉक खरीद सकतें हैं। विनवेस्टा (Winvesta), स्टॉककल (Stockcal), वेस्टेड फाइनेंस (Vested Finance) जैसी कई फिनटेक कंपनियों ने विदेशों में सूचीबद्ध शेयरों को खरीदना आसान बना दिया है।

कुछ भारतीय ब्रोकरेज ने इन फिनटेक कंपनियों के साथ करार किया है और अपने ग्राहकों को विदेशों में निवेश करने की अनुमति दी है। अमेरिका में, आपको शेयर का आंशिक हिस्सा खरीदने की भी इजाजत है जो भारतीय निवेशकों के लिए महंगे दाम वाले शेयरों को भी सुलभ बनाते हैं। लिब्ररलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत प्रत्येक वित्त वर्ष में 2,50,000 डॉलर तक निवेश कर सकते हैं।

गिफ्ट सिटी: ग्लोबल निवेश का प्रवेश द्वार

नेशलन स्टॉक एक्सचेंज का NSE IFSC और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के समर्थन वाले इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज (India INX), दो ऐसी इकाईयां हैं जो विदेशों में निवेश की अनुमति देती हैं। India INX ने इंटरएक्टिव ब्रोकर्स के साथ करार किया है और विदेशों में 135 एक्सचेंजों तक पहुंच प्रदान करता है। यह किसी अन्य फिनटेक ऐप पर ट्रेड करना जैसा ही है।NSE IFSC आपको अमेरिका में सूचीबद्ध 50 चुनिंदा शेयरों के खिलाफ जारी किए गए अनसिक्योर्ड डिपॉजिटरी रिसीप्ट्स (UDR) में ट्रेड करने की इजाजत देता है। अमेरिका में मार्केट पार्टिसिपेंट्स भारत में पूर्व निर्धारित अनुपात में स्टॉक अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें खरीदते हैं और UDR जारी करते हैं। आप इन्हें खरीद सकते हैं और ट्रेड गिफ्ट सिटी में तय होते हैं।

विदेशी शेयरों में आपको कितना निवेश करना चाहिए?

गूगल (अल्फाबेट), फेसबुक (Meta), माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी कंपनियों का शेयरहोल्डर होना एक दिलचस्प विचार है। यह आपको इन ग्लोबल कंपनियों के मुनाफे का हिस्सा बनने में मदद करता है।

एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि डायवर्सिफिकेशन के नजरिए से अपने पोर्टफोलियो का 10 से 30 प्रतिशत हिस्सा ग्लोबल शेयरों में लगाना चाहिए। आप जो रास्ता अपनाते हैं और जितना पैसा आप विदेशों में निवेश करते हैं, वह आपके पोर्टफोलियो के साइज, वित्तीय लक्ष्यों और निवेश के समय के अलावा आपकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार अलग-अलग होगा। अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें अधिकतर रिटेल निवेशकों के लिए पहले म्युचुअल फंड मार्ग बेहतर हो सकता है। अगर आप विदेशों में इक्विटी में पैसा लगाने के इच्छुक हैं, तो यह सब एक बार में न करें। संयमित तरीके से निवेश करना बेहतर है।

डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि शेयरों में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।

MF: अपने Equity पोर्टफोलियो में दिग्गज ग्लोबल स्टॉक क्यों जोड़ रहे हैं म्यूचुअल फंड

पिछले एक साल में कम से कम 6 इक्विटी फंड (Equity Fund) ने अपनी होल्डिंग में ग्लोबल कंपनियों के शेयर जोड़े हैं। पिछले एक साल में डायरेक्ट स्टॉक एलोकेशन के जरिए यह शेयर म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो (MF Portfolio) में शामिल किए गए हैं।

MF: अपने Equity पोर्टफोलियो में दिग्गज ग्लोबल स्टॉक क्यों जोड़ रहे हैं म्यूचुअल फंड

MF: अपने Equity पोर्टफोलियो में दिग्गज ग्लोबल स्टॉक क्यों जोड़ रहे हैं म्यूचुअल फंड

हाइलाइट्स

  • MF बेहतर रिटर्न कमाने के लिए अब इंटरनेशनल फ्लेवर डाल रहे हैं।
  • ग्लोबल स्टॉक (Global Stock) पोर्टफोलियो में शामिल करने से रिटर्न बढ़ता है।
  • विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने का ट्रेंड बढ़ा है।

कम से कम 6 इक्विटी फंड (Equity Fund) ने अपनी होल्डिंग में ग्लोबल कंपनियों के शेयर जोड़े हैं। पिछले एक साल में डायरेक्ट स्टॉक एलोकेशन के जरिए यह शेयर म्यूचल फंड पोर्टफोलियो में शामिल किए गए हैं।

यह भी पढ़ें: देश में कोरोना टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए मोदी सरकार ने उठाया है बड़ा कदम, जानिए क्या
रिटर्न कमाने का सही फंडा
अब तक डोमेस्टिक म्यूच्यूअल फंड स्कीम के विदेशी आवंटन में विदेश के किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करना शामिल होता है। पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड (PPFCF) ने हाल में ही इस तरह निवेश के जरिए सफलता हासिल की है। इस तरह के प्रोडक्ट में इंटरनेशनल स्टॉक (Global Stock) में अपने पोर्टफोलियो का 25-30 फीसदी निवेश किया जा सकता है।

निवेश से रिटर्न बेहतर
विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश से रिटर्न कमाने वाले इन्वेस्टर के बीच यह तरीका काफी लोकप्रिय हो रहा है। इस वजह अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें से किसी म्यूच्यूअल फंड (MF) का प्रदर्शन काफी बेहतर हो जाता है। पिछले 3 साल और 5 साल की अवधि में पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड (PPFCF) ने 20 फ़ीसदी सालाना से अधिक की दर से रिटर्न दिया है।

शेयर बाजार की चाल एक जैसी नहीं
पराग पारिख म्युचुअल फंड (PPMF) के चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर राजीव ठक्कर ने कहा, "घरेलू और इंटरनेशनल शेयरों के सही मिक्स से पोर्टफोलियो में उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद मिलती है। इसकी वजह यह है कि ग्लोबल और घरेलू शेयर बाजार की चाल हमेशा एक दूसरे से अलग होती है।" अगर पराग पारिख म्यूचुअल फंड (PPMF) के अंतरराष्ट्रीय निवेश की बात करें तो इनकी टॉप तीन कंपनियों में अल्फाबेट इंक, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक (Facebook) शामिल हैं।

ग्लोबल स्टॉक का बढ़ा क्रेज
कई अन्य म्यूचुअल फंड (MF) ने भी इस तरह के प्रोडक्ट लॉन्च किए हैं। इसमें घरेलू और ग्लोबल स्टॉक (Global Stock) में निवेश किया जा सकता है। इनमें एक्सिस ईएसजी, एक्सिस ग्रोथ अपॉर्चुनिटी, कोटक पायनियर, डीएसपी वैल्यू, डीएसपी एनआरएनई और एडलवाइज एमएससीआई इंडिया जैसे फंड शामिल हैं।

टैक्स के मामले में भी फायदा
भारत के शेयर बाजार में ग्लोबल थीम (Global Theme) उपलब्ध नहीं है। इंटरनेशनल कंपोनेंट की वजह से ग्लोबल स्टॉक (Global Stock) में अच्छा मूवमेंट दर्ज किया जाता है। फाइनैंशल प्लानर का कहना है कि ग्लोबल स्टॉक (Global Stock) में निवेश करने से टैक्स बचाने में भी मदद मिलती है, इसलिए भी निवेशक इस तरह की MF स्कीम को पसंद करते हैं। इंटरनेशनल फंड (Global Fund) वास्तव में डेट फंड की तरह के टैक्स कैटेगरी में आते हैं। अगर ग्लोबल स्टॉक (Global Stock) में पोर्टफोलियो का 35% निवेश किया जाए तो वह इक्विटी फंड की तरह टैक्स के दायरे में आते हैं। अगर ग्लोबल फंड में निवेश करने के बाद पहले और तीसरे साल में बेच देते हैं तो उस पर 30 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है, जबकि ग्लोबल स्टॉक (Global Stock) के मामले में यह सिर्फ 10 फीसदी है।

निवेश के मंत्र 51: क्या हैं इक्विटी म्यूचुअल फंड, निवेश के लिए क्यों है बेहतर विकल्प?

इक्विटी म्यूचुअल फंड

इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादातर इक्विटी या स्टॉक्स में अपना पैसा लगाते हैं। भारत में एक म्यूचुअल फंड स्कीम अपने कॉर्पस का 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी, भारतीय स्टॉक्स, टैक्सेशन के लक्ष्य से इक्विटी म्यूचुअल फंड से संबंधित निवेश में लगाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय फंड के स्टॉक में पैसा लगाने के बाद भी उन्हें इक्विटी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।


अंतरराष्ट्रीय फंड भारतीय स्टॉक में निवेश नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें डेट स्कीम की तरह पेश किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नियमों के मुताबिक देश में इक्विटी म्यूचुअल फंड को दस श्रेणी में बांटा गया है, जो इस तरह हैं.

मल्टीकैप इक्विटी फंड
जैसा कि नाम से ही साफ हो रहा है, मल्टीकैप इक्विटी फंड वो स्कीम है जो सभी तरह के सेक्टर में निवेश करती है। इसमें लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और तमाम तरह के सेक्टर शामिल होते हैं।

लार्जकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने कॉर्पस का 80 फीसदी हिस्सा लार्जकैप कंपनियों में निवेश करता है, फंड के लिए ऐसा करना जरूरी है। बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की टॉप 100 कंपनियों में लार्जकैप फंड निवेश करता है।

लार्ज और मिडकैप इक्विटी फंड
इस स्कीम के तहत अपनी संपत्ति का 35 फीसदी लार्जकैप कंपनियों और 35 फीसदी हिस्सा मिडकैप कंपनियों में निवेश करना जरूरी होता है।

मिडकैप इक्विटी फंड
ये फंड्स अपनी एसेट यानि संपत्ति का 65 फीसदी मिडकैप स्टॉक्स में निवेश करते हैं। मिडकैप कंपनियां वो होती हैं जिनकी बाजार पूंजीकरण के आधार पर रैंक 101-250 के बीच में होती है।

स्मॉलकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने नाम की तरह अपनी संपत्ति या एसेट का 65 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करती अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें हैं। स्मॉलकैप कंपनियों में उन कंपनियों को शामिल किया गया है, जो बाजार पूंजीकरण के आधार पर 251 पायदान से नीचे आती हैं।

डिविडेंड यील्ड फंड
इस तरह के फंड्स को अपने एसेट का 65 फीसदी डिविडेंड यील्ड स्टॉक में निवेश करना जरूरी होता है।

वैल्यू इक्विटी फंड
ये फंड स्कीम अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा ऐसे स्टॉक में निवेश करते हैं जो वैल्यू निवेश के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।

कॉन्ट्रा इक्विटी फंड
इस तरह के फंड्स विपरीत निवेश की रणनीति का पालन करते हैं और अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा उसी रणनीति के आधार पर निवेश करते हैं।

फोक्स्ड इक्विटी फंड
ये फंड ज्यादा से ज्यादा 30 स्टॉक के पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें ज्यादातर फोक्स्ड फंड मल्टीकैप रणनीति का पालन करते हैं।

सेक्टोरल और थीमैटिक फंड
इस तरह के फंड अपने एसेट या संपत्ति का 80 फीसदी हिस्सा किसी विशेष सेक्टर और थीम में निवेश करते हैं।

इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम फंड (ईएलएसएस)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम और टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करना है तो तीन साल का लॉक-इन पीरियड जरूरी होता है। इस तरह के निवेश में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादातर इक्विटी या स्टॉक्स में अपना पैसा लगाते हैं। भारत में एक म्यूचुअल फंड स्कीम अपने कॉर्पस का 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी, भारतीय स्टॉक्स, टैक्सेशन के लक्ष्य से इक्विटी म्यूचुअल फंड से संबंधित निवेश में लगाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय फंड के स्टॉक में पैसा लगाने के बाद भी उन्हें इक्विटी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।


अंतरराष्ट्रीय फंड भारतीय स्टॉक में निवेश नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें डेट स्कीम की तरह पेश किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नियमों के मुताबिक देश में इक्विटी म्यूचुअल फंड को दस श्रेणी में बांटा गया है, जो इस तरह हैं.

मल्टीकैप इक्विटी फंड
जैसा कि नाम से ही साफ हो रहा है, मल्टीकैप इक्विटी फंड वो स्कीम है जो सभी तरह के सेक्टर में निवेश करती है। इसमें लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और तमाम तरह के सेक्टर शामिल होते हैं।

लार्जकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने कॉर्पस का 80 फीसदी हिस्सा लार्जकैप कंपनियों में निवेश करता है, फंड के लिए ऐसा करना जरूरी है। बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की टॉप 100 कंपनियों में लार्जकैप फंड निवेश करता है।

लार्ज और मिडकैप इक्विटी फंड
इस स्कीम के तहत अपनी संपत्ति का 35 फीसदी लार्जकैप कंपनियों और 35 फीसदी हिस्सा मिडकैप कंपनियों में निवेश करना जरूरी होता है।

मिडकैप इक्विटी फंड
ये फंड्स अपनी एसेट यानि संपत्ति का 65 फीसदी मिडकैप स्टॉक्स में निवेश करते हैं। मिडकैप कंपनियां वो होती हैं जिनकी बाजार पूंजीकरण के आधार पर रैंक 101-250 के बीच में होती है।

स्मॉलकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने नाम की तरह अपनी संपत्ति या एसेट का 65 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करती हैं। स्मॉलकैप कंपनियों में उन कंपनियों को शामिल किया गया है, जो बाजार पूंजीकरण के आधार पर 251 अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें पायदान से नीचे आती हैं।

डिविडेंड यील्ड फंड
इस तरह के फंड्स को अपने एसेट का 65 फीसदी डिविडेंड यील्ड स्टॉक में निवेश करना जरूरी होता है।

वैल्यू इक्विटी फंड
ये फंड स्कीम अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा ऐसे स्टॉक में निवेश करते हैं जो वैल्यू निवेश के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।

कॉन्ट्रा इक्विटी फंड
इस तरह के फंड्स विपरीत निवेश की रणनीति का पालन करते हैं और अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा उसी रणनीति के आधार पर निवेश करते हैं।

फोक्स्ड इक्विटी फंड
ये फंड ज्यादा से ज्यादा 30 स्टॉक के पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। ज्यादातर फोक्स्ड फंड मल्टीकैप रणनीति का पालन करते हैं।

सेक्टोरल और थीमैटिक फंड
इस तरह के फंड अपने एसेट या संपत्ति का 80 फीसदी हिस्सा किसी विशेष सेक्टर और थीम में निवेश करते हैं।

इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम फंड (ईएलएसएस)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम और टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करना है तो तीन साल का लॉक-इन पीरियड जरूरी होता है। इस तरह के निवेश में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है।

Mutual Fund में है निवेश तो 31 मार्च से पहले पूरा करें ये काम वरना नहीं निकाल सकेंगे पैसे

अगर आपने भी म्यूचुअल फंड (Mutual fund) में निवेश कर रखा है तो आपके लिए बेहद जरूरी खबर है। कल यानी 31 मार्च 2022 तक अपने पैन कार्ड को आधार से लिंक करा लें, वरना इसका सीधा असर आपके म्यूचुअल फंड इन्वेस्ट

Mutual Fund में है निवेश तो 31 मार्च से पहले पूरा करें ये काम वरना नहीं निकाल सकेंगे पैसे

Mutual fund investors alert: अगर आपने भी म्यूचुअल फंड (Mutual fund) में निवेश कर रखा है तो आपके लिए बेहद जरूरी खबर है। कल यानी 31 मार्च 2022 तक अपने पैन कार्ड को आधार से लिंक करा लें, वरना इसका सीधा असर आपके म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट (Mutual fund investment) पर पड़ेगा। बता दें कि पैन-आधार लिंकिंग की आखिरी तारीख 31 मार्च है। इस दौरान अगर कोई पैन-आधार को लिंक नहीं कराते हैं तो वे म्यूचुअल फंड में नया निवेश नहीं कर सकेंगे और न ही अपना पैसा निकाल सकेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह के निवेश साधन के लिए पैन कार्ड (PAN Card) होना अनिवार्य रहता है।

जानिए क्या होगा असर
अगर म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश कर रहे हैं या किसी अन्य स्कीम में पहली बार निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो आपका पैन कार्ड वैलिड होना चाहिए। वहीं अगर आप म्यूचुअल फंड निवेशक हैं लेकिन आपका पैन इनवैलिड हो चुका है तो अपने वर्तमान म्यूचुअल फंड निवेश में अतिरिक्त यूनिट नहीं जोड़ सकेंगे।Mutual Fund में निवेश करने के लिए, आपको दो दस्तावेजीकरण प्रक्रिया (Documentation Process) से गुजरना होगा। एक, आपको अपने ग्राहक को जानिए (KYC) मानदंडों का पालन करना होगा और दूसरा, आपके पास एक वैध पैन होना चाहिए। ऐसे में आधार से लिंक न होने के कारण अगर आपका पैन अमान्य अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करें हो जाता है तो आप म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं कर पाएंगे।

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SIP पर भी पड़ेगा असर
अगर आपका पैन इनवैलिड हो जाता है तो सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) से किए जाने वाला निवेश भी रुक जाएगा। यानी आप अपने म्यूचुअल फंड स्कीम में नई यूनिट नहीं जोड़ सकेंगे। अगर किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश किया है तो पैन इनवैलिड होने पर उसे निकाल नहीं सकेंगे। यानी रिडेंप्शन रिक्वेस्ट्स रिजेक्ट हो जाएगी। वहीं, सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान (SWP) भी रुक जाएगा।

अगर कल तक पैन-आधार को लिंक नहीं किया तो देना होगा 500 से 1,000 रुपये का जुर्माना साथ में.

जानें कैसे करें PAN Card को Aadhaar Card से लिंक-

अगर आपने अपना पैन कार्ड आधार से लिंक कर लिया है तो आर इस लिंक पर क्लिक करके अपना स्टेट्स चेक कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/home पर जाना होगा।

बाईं तरफ 'Link Aadhaar' के विकल्प पर क्लिक करें। अपने स्टेटस को देखने के लिए ‘Click here’ पर क्लिक करें।

अपने स्टेट्स को देखने के लिए हाइपर लिंक‘Click here’ पर क्लिक करें। यहां आपको अपने आधार और पैन कार्ड की डिटेल्स भरनी होंगी।

अगर आपका पैन कार्ड आधार कार्ड से लिंक हैं तो आपको "your PAN is linked to Aadhaar Number" ये कंफर्मेशन दिखाई देगा।

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