इन्वेस्टमेंट के प्रकार या इन्वेस्टमेंट कहाँ करें

आज के दौर में विश्व के सभी राष्ट्रों के मार्केट अपनी-अपनी बाउंड्री तोड़कर एक साथ आ रहे हैं और मिलकर एक ग्लोबल विलेज तैयार कर रहे हैं. ऐसे में विश्व के किसी भी हिस्से में घटित कोई भी घटना या कोई भी महत्वपूर्ण ईवेंट, हर देश के फाइनेंशियल मार्केट को काफी ज्यादा प्रभावित करता है. इसलिए जरूरी है कि सभी ग्लोबल ईवेंट्स को लेकर अपडेट रहा जाए और पोर्टफोलियो को लगातार मॉनिटर किया जाए. अगर आप खुद से पोर्टफोलियो का रिव्यू नहीं कर सकते तो अच्छा रहेगा कि किसी फाइनेंशियल एडवायजर या प्लानर को हायर कर लिया जाए.
निवेश का सबसे अच्छा साधन कौन सा है?
इसे सुनेंरोकेंआप किसी म्यूचुअल फंड की वेबसाइट से सीधे निवेश कर सकते हैं. अगर आप चाहें तो किसी म्यूचुअल फंड एडवाइजर की सेवा भी ले सकते हैं. अगर आप सीधे निवेश करते हैं तो आप म्यूचुअल फंड स्कीम के डायरेक्ट प्लान में निवेश कर सकते हैं. अगर आप किसी एडवाइजर की मदद से निवेश कर रहे हैं तो आप रेगुलर प्लान में निवेश करते हैं
म्यूचुअल फंड में पैसे इन्वेस्ट कैसे करें?
इसे सुनेंरोकेंम्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने का सही तरीका है – सबसे पहले इसका पोर्टफोलियो बनाना। एक पोर्टफोलियो, म्युचुअल फंड का एक समूह होता है। यह आपको अपने इन्वेस्टमेंट के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा। आपका सारा रिटर्न् आपके पूरे पोर्टफोलियो पर टिका होता है, ना कि किसी एक विशेष फंड पर।
म्यूच्यूअल फण्ड में कितना रिटर्न मिलता है?
इसे सुनेंरोकेंअमूमन म्यूचुअल फंड्स में 10 से 12 फीसदी तक का अनुमानित रिटर्न मिलता है. एसआईपी के जरिए इंवेस्ट किया जाए तो जोखिम कम रहता है. इसमें आप थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाकर लाखों रुपए जोड़ सकते हैं. अगर आप हर महीने महज 1500 रुपए भी निवेश करते हैं तो आप इसके जरिए 30 साल में लगभग 53 लाख तक का फंड बना सकते हैं
निवेश से क्या अभिप्राय है इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंनिवेश या विनियोग (investment) का सामान्य आशय ऐसे व्ययों से है जो उत्पादन क्षमता में वृद्धि लायें। यह तात्कालिक उपभोग व्यय या ऐसे व्ययों संबंधित नहीं है जो उत्पादन के दौरान समाप्त हो जाए। निवेश शब्द का कई मिलते जुलते अर्थों में अर्थशास्त्र, वित्त तथा व्यापार-प्रबन्धन आदि क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है।
निवेश क्या है निवेश के प्रकारों को समझाइए?
1. निवेश के उद्देश्य को लेकर हों स्पष्ट
कहीं भी पैसा लगाने से पहले यह इस बात को लेकर स्पष्ट हो जाना चाहिए कि आप किस उद्देश्य से इन्वेस्ट करना चाहते हैं. क्या यह होम लोन की जरूरत को लेकर है या फिर भविष्य के खर्चों की पूर्ति के लिए? अगर इन्वेस्टर एक बार अपने निवेश उद्देश्य को इन्वेस्टमेंट के प्रकार या इन्वेस्टमेंट कहाँ करें लेकर स्पष्ट हो जाए तो वह टार्गेट रिटर्न, टाइम हॉरिजन और जोखिम जैसे अन्य महत्वपूर्ण फैक्टर्स के बीच चुनाव ज्यादा अच्छे से कर सकता है.
इन्वेस्टमेंट एक झटके में नहीं होता है. इसके लिए सही प्लानिंग और अनुशासन भरी कोशिश की जरूरत होती है. अच्छा रिटर्न पाने के लिए यह मायने नहीं रखता कि कोई कितना बड़ा या छोटा अमाउंट इन्वेस्ट कर रहा है, बल्कि मुख्य जरूरत होती है कि जिस प्लान में इन्वेस्ट करना चाहते हैं उसकी स्पष्ट समझ हासिल की जाए. इसलिए निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें और उन प्लान्स पर टिके रहें, जो आपको पूरी तरह स्पष्ट हों.
3. एक ही प्लान में न लगाएं सारा फंड
इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी के मामले में विभाजन कामयाबी का मंत्र है. किसी को भी अपना पूरा फंड एक ही प्लान में नहीं लगा देना चाहिए. इन्वेस्टर को निवेश किए जा सकने वाले विभिन्न सेक्टर्स की स्टडी करनी चाहिए और उसके बाद विभिन्न आॅप्शंस में अपने फंड का एक निश्चित हिस्सा लगाना चाहिए. डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो पूरा पैसा डूबने के जोखिम को कम कर देता है.
ट्रेडिंग मार्केट में सच से ज्यादा प्रचार चलता है. लोग दूसरों के कहे पर यकीन कर बिना पूरी रिसर्च किए प्लान्स इन्वेस्टमेंट के प्रकार या इन्वेस्टमेंट कहाँ करें में इन्वेस्ट कर देते हैं. जबकि सही तो यह है कि किसी के भी कहे—सुने पर यकीन करने के बजाय प्लान्स के बारे में रिसर्च की जाए और अफवाहों व प्रचारों को लेकर अलर्ट रहा जाए.
5. कोई नहीं जान सकता मार्केट की टाइमिंग
स्टॉक मार्केट अस्थिर है, इसमें उतार—चढ़ाव लगा रहता है और कोई भी इसके बारे में सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकता. हालांकि कुछ लोग सही अंदाज लगा लेते हैं लेकिन ऐसा केवल एक या दो बार सही हो सकता है, हर बार नहीं. ज्यादातर इन्वेस्टर्स मानते हैं कि वे सही समय पर मार्केट के उतार—चढ़ाव का सही और वक्त पर पता लगा सकते हें लेकिन मार्केट की टाइमिंग का पता रहना केवल एक मिथ है.
जिस तरह जिंदगी में अनुशासन होना जरूरी है, उसी तरह इन्वेस्टमेंट में भी अनुशासन मायने रखता है. अच्छा रिटर्न देने के बावजूद स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने वालों की कमी है, जिसकी वजह इसका उतार—चढ़ाव है. हालांकि जिन इन्वेस्टर्स ने सिस्टेमेटिक अप्रोच के साथ पैसा लगाया है, उन्हें वक्त के साथ सही रिटर्न मिला है. इसलिए जरूरी है कि लॉन्ग टर्म सिनेरियो को ध्यान में रखने के अलावा धैर्य के साथ अनुशासनात्मक इन्वेस्टमेंट अप्रोच को फॉलो किया जाए.
निवेश इन्वेस्टमेंट के प्रकार या इन्वेस्टमेंट कहाँ करें करते समय अफवाहों से कैसे निपटें?
आप कितनी बार ऐसे परिचित लोगों से मिलते हैं जिन्होंने शेयर बाजार में अपना पैसा गंवा दिया होता है क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि बाजार में अगले पल क्या होगा या फिर जिन्होंने पैसा कमाया क्योंकि उन्हें पता था कि बाजार कहाँ जा रहा था? यहाँ तक कि बेहतरीन मार्केट विश्लेषक भी सही भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं कि अगले पल बाजार कैसे आगे बढ़ेगा क्योंकि फ़ाइनेंशियल मार्केट मनोभाव से चलते हैं और बाजार के मनोभाव बाजार की खबरों पर निर्भर करते हैं।
एक निवेशक आजकल बाजार की खबरों को आसानी से जान सकता है जो असल में सही हो सकती हैं या अफवाह या महज अटकलें हो सकती हैं। जहाँ सही खबरों पर आधारित निवेश के फैसले अच्छे परिणाम दे सकते हैं, वहीं अफवाहों या अटकलों पर आधारित निवेश के फैसलों से निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
बिहेवियरल फाइनेंस थ्योरी के अनुसार, निवेशक स्वभाव से तर्कहीन होते हैं यानी शोध और जांच करके निवेश नहीं करते हैं, बल्कि झुंड मानसिकता की मानसिकता के साथ अलग-अलग मानसिक और भावनात्मक पूर्वाग्रहों से प्रभावित होते हैं। इसलिए, बाजार की कोई भी गलत जानकारी निवेशकों में घबराहट पैदा कर सकती है जिससे निवेशकों की संपत्ति को भारी नुकसान हो सकता है।
मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं ?

कल्पना करें कि आप अपने ट्रेवल एजेंट से ये सवाल कर रहे हैं - ‘मैं अपने यातायात के साधन का चयन कैसे करूं?’ जो पहली बात वो कहेगा/कहेगी, ‘ये इस बात पर निर्भर है कि आपको जाना कहाँ है?’ गर मुझे पांच किलोमीटर की दूरी तय करनी है, ऑटो रिक्शा सर्वोत्तम विकल्प हो सकता है जबकि नई दिल्ली से कोची की यात्रा हेतु हवाई जहाज़ बढ़िया विकल्प होगा| छोटी दूरियों के लिए हवाई जहाज़ उपलब्ध नहीं और लम्बी दूरी के लिए ऑटो रिक्शा से यात्रा अत्यंत धीमी और असुविधाजनक होगी|
म्यूच्यूअल फंड्स में भी उचित है शुरुआती बिंदु हो –आपकी ज़रूरतें क्या हैं?
इसकी शुरुआत आपके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने के माद्दे पर निर्भर है|
हम अपने म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट पर लगने वाला एग्जिट लोड कैसे कैलकुलेट कर सकते हैं ?
एग्जिट लोड छोटी छोटी पेनॉल्टी होती है जिसे AMC द्वारा लगाया जाता है ताकि इन्वेस्टर्स अपने म्यूच्यूअल फण्ड से कम समय पर एग्जिट न करें। एग्जिट लोड के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिये :
एग्जिट लोड का कैलकुलेशन हर एक इन्वेस्टमेंट/SIP के लिए फैक्टशीट में दिए गए एग्जिट लोड के अनुसार चार्ज किया जाता है , जब आप फण्ड को खरीदते हैं।
म्यूचुअल फंड के एग्जिट लोड का कैलकुलेशन फंड के नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर किया जाता है।
एग्जिट लोड को समझने के लिए यहाँ एक उदाहरण दिया गया है :
मान लें कि आपने 1 जून 2021 को एक X म्यूचुअल फंड में 5000 रुपये का इन्वेस्टमेंट किया है और फंड की फैक्टशीट के अनुसार एग्जिट लोड 1% है।
मान लीजिये फंड का NAV Rs 50 रुपये है। NAV का कैलकुलेशन कैसे किया जाता है, यह जानने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये।